एक ही समय पर जन्म होने पर भी सबका अलग भाग्य क्यों होता है ???

एक ही समय पर जन्म होने पर भी सबका अलग भाग्य क्यों होता है ???

एक साथ जन्म होने पर भी किस्मत अलग क्यों होती हैं ??

डेस्क - अक्सर एक प्रश्न ज्योतिष जगत में उठाया जाता है की एक ही समय एक ही स्थान पर एक ही घर में यहाँ तक की एक ही गर्भ अर्थात एक ही माता पिता की जुडवा संतानों के भाग्य अलग क्यों और कैसे हो जाते हैं |ज्योतिष को नीचा दीखाने के लिए भी कुछ लोग इस प्रश्न का उपयोग करते हैं |ज्योतिष जगत इसका उत्तर देश -काल -परिस्थिति के रूप में देता है ,अर्थात देश -काल और परिस्थिति अलग होने से भाग्य अलग हो जाता है ,किन्तु यह तर्क वहां बेमानी हो जाता है जब एक ही गर्भ से एक ही समय दो बच्चे पैदा हों और उनके भाग्य अलग हों |फिर यहाँ तर्क दिया जाता है की सेकण्ड अता मिनट के अंतर से भाग्य बदल जाता है |अगर लग्न और राशि ,नवांश आदि सामान हों तो क्या केवल किन्ही एक दो वर्गों में थोडा अंतर आ जाने से पूरा भाग्य बदल जाएगा |तर्क पूरी तरह गले नहीं उतरता |चूंकि हम ज्योतिषी नहीं हैं ,[यद्यपि ज्योतिष की मूल भूत जानकारी है ]यह प्रश्न हममे उत्कंठा जगाता है तो हम इसका उत्तर जानने का प्रयास अपने तंत्र ज्ञान के आधार पर करते हैं ,अब पढने वाले पाठक निर्णय करेंगे की हम कितना सही हैं |जरुरी नहीं की हम पूरी तरह सही ही हों |

इस प्रश्न का एक उत्तर ज्योतिष में ही मौजूद है जो कुछ हद तक सही है |ज्योतिष कहता है व्यक्ति के संचित कर्म उसका भाग्य बनाते हैं ,यह संचित कर्म हर व्यक्ति के अलग होते हैं अतः व्यक्ति का भाग्य अलग होता है |यहाँ इसे काटने वाला तर्क उत्पन्न होता है की संचित कर्मों के ही आधार पर तो ग्रह स्थितियां जन्म की बनती हैं और उन स्थितियों में जन्म लेने वाले वाले का भाग्य निर्धारित होता है ,फिर संचित कर्म अलग से कैसे प्रभावित करते हैं |इसका उत्तर ज्योतिष के पास कठिन होता है |अलग अलग तर्क प्रस्तुत किये जाने लगते हैं |किन्तु इसका उत्तर तंत्र के पास है |संचित कर्म अगले जन्म के भाग्य में भारी परिवर्तन लाते हैं भले ग्रह स्थितियां समान हों ,जन्म समय समान हों कई लोगों के ,परिस्थितियां और परिवार समान हों |

जब भी ज्योतिष की बात होती है ,तो एक बात हमेशा उठकर आती है ,जो बहुत ही रोचक है ,कि एक ही समय पर कई बच्चों का जन्म होता है ,तो सब की कुंडली एक जैसी बनेगी ।परंतु सब का भाग्य अलग-अलग होता है ।ऐसा क्यों ?

ज्योतिष में कुंडली देखकर ही मनुष्य का भाग्य बताया जाता है ।इस बात को मैं आज कल के संदर्भ में ही समझाना चाहूंगा ।जिस प्रकार आप देखते हैं की wifi अपने इंटरनेट की सर्विस कई मोबाइलों को एक साथ दे रहा होता है ।परंतु सभी मोबाइल अलग अलग तरीके से उसको प्रयोग करते हैं ।या यह कहो ,कि सब मोबाइलों की क्षमता अलग-अलग होती है ।यह इस बात पर निर्भर करता है की मोबाइल किस कंपनी का है और किस क्वालिटी का है ।

ध्यान रखें,अगर मोबाइल एप्पल का होगा तो बिल्कुल अलग होगा ।अगर Android होगा तो बिल्कुल अलग होगा ।अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल अलग-अलग तरीके की सुविधाएं देते हैं ।Nokia का अलग है ,samsung का अलग है ,Sony का अलग है बहुत सारी कंपनियां है ।और एक ही कंपनी में भी बहुत सारे मॉडल्स हैं ।इससे हमने यह जाना है कि वाईफाई को प्रयोग करना मोबाइल की अपनी क्षमताओं में ,और क्वालिटी में निर्भर करता है ।अब इसे मैं कुंडली से और हम से जोड़ देता हूँ ।वाईफाई को हम लेंगे किसी निश्चित समय पर ग्रहों की स्थिति ।और जन्म लेने वाले बच्चे मोबाइल है ।वह किस कंपनी के हैं ?किस क्वालिटी के हैं ?किस कीमत के हैं ?इस पर ही निर्भर करेगा कि वह वाईफाई की सुविधा का किस प्रकार से लाभ ले सकते हैं ।

इसे हम ज्योतिष की भाषा में कहेंगे देश काल पात्र के अनुसार ।ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति को भाग्य उसके देश काल पात्र के अनुसार मिलता है ।उसने किस देश में जन्म लिया है ,किस घर में जन्म लिया है ,और किस पात्र के रुप में जन्म लिया है इस पर ही निर्भर करता है कि उसे कैसा जीवन मिलेगा ।वह अपने जीवन में भोगों को कितना भोग पाएगा ।जिसके पास जैसा मोबाइल ,जैसा इंस्ट्रूमेंट ,वही है उसका देश काल पात्र ।उसी के अनुसार वह सुविधाएं ले पाएगा ।सभी की कुंडलियां एक ही तरीके से नहीं देखी जा सकती ।पहले हमें उसका देश काल पात्र जाना पड़ता है ।और उसी के हिसाब से ही उसके भाग्य को बताया जाता है ।क्योंकि उसकी क्वालिटी के हिसाब से ही उसको सर्विसेस मिलती हैं ।अब आप समझ रहे हैं ना ,कितना आसान हो गया इस बात को समझना जिसको आप बहुत मुश्किल समझ रहे थे ।और आप सब लोग यह जानते ही हैं कि भाग्य हमें ,हमारे पिछले जन्मों के कर्मों के फल स्वरुप ही मिलता है ।तो आप ही बताइए कोई भी दो व्यक्ति एक से कर्म कर सकते हैं ?जब दो व्यक्तियों की एक शक्ल नहीं होती ,तो आप इस बात की कैसे उम्मीद लगा सकते हैं ?

जब कर्म ही हमारे एक से नहीं है तो भाग्य कैसे एक सा होगा ।हर मनुष्य अपने आप में अलग है ।मोबाइल कंपनियां तो कुछ ही हैं और उनके मॉडल भी कुछ ही हैं ।लेकिन मनुष्य हर एक अलग है ।अलग कंपनी का और एक अलग मॉडल ।उसकी अपनी एक अलग शख्सियत है ।तो उसका भाग्य एक जैसा कैसे हो सकता है ।जब मोबाइल का इंस्ट्रूमेंट सबका अलग है तो वाईफाई की सर्विस से सब को एक से फ़ायदे कैसे मिल सकते हैं ?सबके पास एक से ऐप कैसे डाउनलोड हो सकते हैं ?आज सब लोग मोबाइल से अच्छी तरीके से परिचित हैं ।और उसकी ऐप्स से भी ।

जन्म लेने वाले हर व्यक्ति के पिछले जन्मों की अनुभूतियाँ अलग होती हैं ,उसकी यादें अलग होती हैं ,संघर्ष अलग होते हैं ,लग्न अलग होते हैं [भले इस जन्म में समान हों ],जिनके आधार पर उनकी अवधारणा और व्यक्तित्व अलग होता है |उन व्यक्तित्वों के अनुसार उनके अवचेतन की संगृहीत यादें अलग होती हैं |अवचेतन की कार्यप्रणाली अलग होती हैं |जैसा की हिन्दू मतावलंबी जानते हैं आत्मा अमर है कभी नहीं मरती ,शरीर बदलती है यह आत्मा |तो इस आत्मा के शरीर से अलग हो जाने पर आत्मा की यादें पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती |अवचेतन की यादें आत्मा के साथ बनी रहती हैं |अगर आत्मा की यादें समाप्त हो जाती तो फिर पित्र नहीं होते ,न उन्हें अपने कुल की याद होती |भूत-प्रेत की यादें भी न होती और वह प्रतिक्रया अलग अलग नहीं कर रहे होते |गुरु और साधू महात्मा अपने अनुयाइयों और शिष्यों का मार्गदर्शन न कर रहे होते शरीर छूटने पर भी |कोई बच्चा अपने पूर्व जन्म की बातें न बता देता |इस तरह यह यादें व्यक्ति की आत्मा के साथ जुडी रहती हैं और जन्म के बाद अवचेतन में सुरक्षित रहती हैं |कभी कभी कोई स्वप्न दिखाती हैं किसी स्थान अथवा दृश्य की और कुछ दिन बाद व्यक्ति को आभास होता है की अरे यहाँ तो में सपने में पहले आ चूका हूँ |या अचानक लगता है अरे यहाँ तो पहले आया हूँ कभी ,भले स्वप्न नहीं आया था |यह पूर्व जन्म की यादें होती हैं जो अवचेतन में सुरक्षित होती हैं |

जब व्यक्ति जन्म लेता है तो भले उसकी लग्न और ग्रह स्थितियां समान हों किन्तु अवचेतन की यादें और सोच अलग होती हैं |इसके कारण उसके निर्णय ,सोचने की दिशा ,उसका व्यक्तित्व ,उसकी अनुभूतियाँ दुसरे समान लग्न और समय में जन्मे बच्चे से अलग होती हैं |इनके आधार पर उसके निर्णय ,क्षमता प्रभावित होते हैं फलतः उसका विकास अलग हो जाता है जिससे उसका भाग्य अलग होने लगता है |समान अवसर पर भी कोई अधिक विकास कर जाता है कोई कम क्योकि उसके अवचेतन में भिन्न ज्ञान हैं |सबके गुण ,रुचियाँ भी धीरे धीरे बदल जाती हैं ,कार्यशैली बदल जाती है |अपनी अनुभूतियों के अनुसार कोई साहसी होता है और रिस्क लेने में नहीं हिचकता क्योकि उसे उसका परिणाम और हल पता है अनजाने में ही सही वह साहस भरे निर्णय लेता है जबकि दूसरा असमंजस में होता है अथवा भययुक्त होता है ,क्योकि पिछले जन्मो में उसकी यादों में ऐसा कुछ नहीं ,उसका अवचेतन रिस्क लेने की गवाही नहीं देता उसे परिणाम नहीं पता |

यह विश्लेषण सामान्य ज्योतिषी ,यहाँ तक की सामान्य तांत्रिक और वैदिक की भी समझ में नहीं आएगा किन्तु एक मनोवैज्ञानिक और जानकार तांत्रिक इसे समझ जाएगा |ऐसा ही होता है |यहाँ संचित कर्म कार्य करता है ,भले वह दिखाई नहीं देता |यद्यपि आलोचक इसके प्रमाण मांग सकते हैं किन्तु फिर भी ज्योतिषी इस तर्क को समझ कर उपरोक्त प्रश्न का उत्तर दे सकता है |यह विश्लेषण तो समान गर्भ से समान समय में जन्मे व्यक्तियों के लिए था |अब देखते हैं समान समय अलग परिवारों में जन्मे व्यक्तियों के भाग्य कैसे होंगे |

एक ही समान जन्म समय पर समान परिस्थिति में किन्तु अलग परिवारों में जन्मे व्यक्तियों का भाग्य निश्चित रूप से अलग होगा |क्योकि यहाँ कई फैक्टर कार्य करते हैं जो भाग्य निश्चित रूप से बदल देते हैं |ऐसे लोगों में उपरोक्त अवचेतन की अनुभूतियाँ और यादें तो अलग होती ही हैं ,घर परिवार ,माता-पिता पर कार्य कर रही शक्तियां और उर्जायें भी अलग होती हैं जो जन्म लेने वाले बच्चे के आनुवंशिक गुणों के साथ ही जन्म के बाद उसके विकास को भी प्रभावित करती हैं |माता-पिता ,दादा-दादी ,परिवारीजनों के कर्मानुसार सकारात्मक अथवा नकारात्मक उर्जायें अथवा शक्तियाँ उनसे जुडी होती हैं |घर पर अलग उर्जाओं का प्रभाव हो सकता है ,कुलदेवता-देवी की अलग प्रकृति हो सकती है ,पितरों की अलग स्थिति और प्रभाव हो सकता है ,अलग ईष्टों के अनुसार अलग प्रभाव हो सकता है |यह सब मिलकर हर उस बच्चे पर अलग प्रभाव डालते हैं जो उसके विकास ,सोच ,अनुभव को प्रभावित कर देते हैं फलतः भिन्न वातावरण में विकास होता है और प्रतिक्रिया भिन्न हो जाती है जिससे उन्नति और भाग्य बदल जाते हैं |यहाँ तो लाखों वर्षों के संचित आनुवंशिक गुण अथवा उत्परिर्वन भी प्रभावी होते हैं फलतः बच्चा दुसरे समान समय के बच्चे से पूरी तरह अलग होता है और उसका भाग्य भी अलग होता है |

जब एक गर्भ के समान समय के बच्चों और अलग परिवारों के समान परिस्थिति और समय के बच्चों में इतना अंतर आ जाता है तो अलग परिस्थिति और पारिवारिक स्तर के बच्चों में कितना अंतर आएगा यह आप समझ सकते हैं |इसीलिए कोई बच्चा गरीब परिवार में जन्म लेकर राजा बन जाता है जबकि समान समय में जन्मा राजा के घर का बच्चा राज्य गवां देता है |कोई कोई मुंह में चंडी का चम्मच लेकर पैदा होता है तो कोई भुखमरी में इसका विश्लेषण हम कभी दुसरे पोस्ट में करेंगे |हमारा विचार है भाग्य का अंतर क्यों होता है यह सामान्य जन को समझ आ गया होगा |इसे इस तरह से समझा जा सकता है |विज्ञान के अनुसार किसी बच्चे का 90% मानसिक विकास ५ वर्ष की उम्र तक हो जाता है |यदि उसे बेहद अनुकूल वातावरण ,सकारात्मक ऊर्जा ,ऊत्तम सोच का मार्गदर्शन मिले तो उसका 90% बेहतरीन विकास समय से हो जाता है ,पर यदि नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव घर-परिवार में हो ,बेहतर वातावरण न हो ,सही मार्गदर्शन न मिले जिसके बहुत से कारण हो सकते हैं तो उसी समान समय में जन्मे बच्चे का समय से विकास नहीं हो पायेगा ,फलतः जीवन भर यह समय उसे प्रभावित करेगा |

हमारा ज्योतिष बहुत ही वैज्ञानिक है ,प्रैक्टिकल है ,लॉजिकल है ।यह अंधविश्वास की बात नहीं करता ,तर्क की बात करता है ।आप बताइए जो मैंने आपको तर्क दिया क्या वह सही नहीं है ।अगर वह सही है तो फिर दो लोगों का भाग्य कभी भी एक सा नहीं हो सकता ।आप लोग मुझसे जुड़े रहेंगे ,तो मैं आपको ज्योतिष की बहुत सारी बातें समझाऊंगा ।और आपके मन में जितने भी ज्योतिष से जुड़े हुए सवाल हैं सभी के धीरे धीरे जवाब देने की कोशिश करूंगी ।बहुत गहरा है ज्योतिष ।आप उसे समझे ।उसकी वैज्ञानिकता को समझे ।ज्योतिषियों को समझें और अपने देश की धरोहर ज्योतिष का सम्मान करें ।और ज्योतिषियों का भी सम्मान करें ।क्योंकि यह ही आपके देश की धरोहर को संभाल कर रख रहे हैं ।

एस्ट्रोलॉजी इस पर अपनी स्पष्ट राय रखती है तथा इस मुद्दे पर उसके सामने कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। वस्तुतः ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिए जबकि एक ही हॉस्पिटल में किसी प्रसूता ने एक ही वक्त पर दो बच्चों को जन्म दिया हो।

उनकी परवरिश भी समान पर्यावरण व परिस्थितियों में होती है। किंतु आगे चलकर उनमें से एक तो बड़ा राजनेता बनता है और दूसरा एक अपराधी तथा समाज के लिए खतरनाक इंसान। सामान्य एस्ट्रोलॉजी का ज्ञान रखने वाले तो यही कहेंगे कि ऐसी स्थिति में लग्न चक्र सहित सभी ग्रह-नक्षत्र पूर्णतया एक ही होंगे तो फिर उनके जीवन का फलादेश भी एक ही होगा। किंतु वास्तविकता में ऐसा होता नहीं तो फिर या तो ज्योतिष शास्त्र ही गलत मान्यताओं पर आधारित है अथवा कोई न कोई दूसरी थ्योरी यहां काम करती होगी।

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