मधुमक्खी पालन कर अपनी रोजी रोटी चला रहे है लोग

डेस्क- बिहार के लोगों की ¨जदगी में बाराबंकी मिठास भर रहा है मधुमक्खी पालन के लिए बिहार के लोगों का जिला पहली पसंद बना है बेहतर मौसम और गुणवत्तापूर्ण शहद के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र होने के कारण मधुमक्खी पालक यहां सैकड़ों जगहों पर कारोबार कर रहे हैं बाराबंकी क्षेत्र में कम समय में ज्यादा शहद निकलने के कारण वहां के मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ रही है।

दरियाबाद क्षेत्र में दर्जनों जगहों पर इस वक्त मधुमक्खी पालन हो रहा है शहद संकलन में ज्यादातर बिहार के लोग हैं दरियाबाद रानेपुर गांव के निकट मधुमक्खी पालन किया जा रहा है यहां पर 250 डिब्बे रखकर शहद एकत्र की जा रही है यहां पर मधुमक्खी पालन बिहार प्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी रामसेवक प्रसाद कुशवाहा कर रहें हैं वो बताते हैं कि शहद के कारोबार के लिए बिहार से काफी ज्यादा अच्छा बाराबंकी जिला हैं।

सावन मास से मधुमक्खियां होती सक्रिय : यहां पर सावन मास से ही मधुमक्खियां शहद एकत्र करने लगती हैं इस कारण बिहार के मधुमक्खी पालकों का यह क्षेत्र पहली पसंद बना हुआ है रामसेवक बताते हैं कि बिहार में लीची के पेड़ में फल आने पर शहद निकलता है लेकिन बाराबंकी में शहद अगस्त माह से फरवरी तक बहुत अच्छा निकलता हैं यहां पर सरसों के फूल के अलावा यूकेलिप्टस के फूल से मधुमक्खियां शहद एकत्र करती हैं इस कारण यह क्षेत्र उनके धंधे के लिए काफी बेहतर है।

मधुमक्खी पालक राम सेवक बताते हैं कि 250 डिब्बे यहां रखकर मधुमक्खी पालन कर रहें हैं तीन माह में पांच क्विंटल से ज्यादा शहद यहां से निकलता है इस वक्त तो 90 से 100 रुपये किलो शहद की बिक्री होती है।

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