फ्रस्ट्रेशन कहीं और निकाल लेते बेजुबान गौरैया का क्यों उजड़वा दिया आशियाना

फ्रस्ट्रेशन कहीं और निकाल लेते बेजुबान गौरैया का क्यों उजड़वा दिया आशियाना

गोण्डा -पद मिलने पर उसकी गरिमा को न बचा पाना और ताकत का इस्तेमाल सही जगह न हो पाने पर उस व्यक्ति के बारे में लोग सोचने को मजबूर हो जाते है कि क्या सही मानसिक स्थिति वाला व्यक्ति इतना क्रूर हो सकता है कि बेजुबानो पर ही अपने पद और अधिकार के मद में इतना अंधा हो जाये कि ईश्वर जिसने इंसान और पशु पक्षियों को बनाया है उस को भी कुछ न समझे और बेजुबानों पर ही अपना सारा शुरूर उतार दे ।

चिड़ियों की चहचहाट जिसे सुनने के लिए लोग तरस गए खासकर गौरैया जो अब विलुप्त होने के कगार पर है उसकी चहचहाट सुनना तो अब बेहद को खुशनसीब हो जिसे सुनने को मिल जाये ।

लेकिन गोण्डा में एक ऐसी भी जगह हुआ करती थी जहां एक दो नही हजारों की संख्या ने गौरैया के सालों से अपना आशियाना बना रखी थी और उन्हें दाना पानी भी लोगों द्वारा दिया जा रहा था लेकिन इसी सभ्य समाज के ऐसे वही लोग हैं जिन्हें शायद प्रकृति से न प्रेम है और न ही समाज का डर उन्हें लगता है कि सरकार ने अगर उन्हें अधिकार दिया है तो वह जिसे चाहे उजाड़ दे ।

हम बात कर रहे हैं गोण्डा की जहां वर्दीधारी ने अपने ताकत का नशा बेजुबानों पर उतार दिया और आशियाने को नष्ट करा दिया ।

सेनानायक पीएसी गोण्डा द्वारा गौरया संरक्षण केन्द्र को तहस नहस कर दिया जिस पर वन्यजीव प्रेमी और गौरेया संरक्षक ने राज्पाल को पत्र भेज सेनानायक पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। राज्यपाल रामनाइक को भेजे शिकायती पत्र में वन्यजीव प्रेमी और गौरेया संरक्षक राजू ओझा ने ने सेनानायक पीएसी संतोष कुमार सिंह पर गम्भीर आरोप लगाये हैं राजू ओझा ने बताया कि इससे पूर्व भी संतोष कुमार िंसंह ने विगत काफी समय से चलाये जा रहे गौरया संरक्षण केन्द्र को तहस नहस करने की नीयत से केन्द्र में उत्पात मचाया था लेकिन मामला उच्चाधिकारियों की सज्ञान में आने से मामूली छति ही हुयी थी परन्तु विगत 17 फरवरी को कार्यकर्ताओं की गैरमौजूदगी में सेनानायक ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ पूरे केन्द्र को ही तहस नहस कर दिया। सूचना मिलने पर जब राजू ओझा केन्द्र पहुंचा गया तो वहा का नजारा पूरी तरह बदला हुआ था गौरेयों के सरक्षण हेतु रखे सभी सामानों को तोड फोड कर नष्ट कर दिया गया था यहां तक कि गौरयों के सरक्षण हेतु बनाये गये कृत्रिम घोसलों को भी तहस नहस कर दिया गया था । चिडियों के पानी पीने के लिए रखे मटके और नादे भी तोड डाले गये इस बावत जब जानकारी की गयी तो पता चला कि यह सारा कुकर्म पीएसी सेनानायक के आदेश पर पीएसी के जवानों ने किये है।
संरक्षक राजू ओझा ने बताया कि जब अन्दर जाकर देखा गया तो पीएसी के जवान चिड़ियों के सरक्षण के लिए सबसे उपयुक्त जगह झाडी झंखाड को काट कर उसमें आग लगा रहे थे जब इसका विरोध किया गया तो उन्होनें हाथ पैर तोड देने की धमकी देते हुए भाग जाने को कहा जब उनसे यह अनुरोध किया गया कि आगामी 20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस है और उसके कुछ दिनो पूर्व ही इस तरह की अमानवीयता का क्या मतलब तो उन्होनेंं बताया कि यह सब सेनानायक के आदेश से किया जा रहा है।
राजू ओझा ने राज्यपाल से मांग की है कि जहां विश्व गौरया जैसे पक्षियों के सरंक्षण हेतु विश्व गौरये दिवस मनाता है वहीं सेनानायक द्वारा गौरयों के विनाश के लिए अमानवीय कार्य किये जा रहे है इसलिए आपसे अनुरोध है कि सेनानायक पीएसी संतोष कुमार सिंह पर सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की अनुमति दी जाये।

राजू ओझा ने बताया कि सेनानायक के बारे में उन्ही के विभाग के कर्मचारी दबी जुबान से बताते है की सेनानायक का व्यवहार ठीक नही है और किसी से भी गाली गलौज करने लगते है। सेनानायक के इस व्यवहार से उनके ही कर्मचारियों और आसपास के लोगों का कहना है कि वह फ्रस्ट्रेट रहते हैं ।
ज्ञात हो कि पीएसी के सेनानायक का पद पुलिस अधीक्षक के पद के बराबर ही होता है लेकिन कोई पब्लिक डीलिंग न होने के कारण कई बार अधिकारी अवसाद में आ जाता है । डिप्रेशन का मरीज जो जाता है और फ्रस्ट्रेट रहने लगता है ।

सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर के गौरैया संरक्षण पर काम किया जा रहा है लेकिन उन्हें के इस तरह के अधिकारी सरकार के कदम को भी पलीता लगा रहे हैं ।
अब इस अधिकारी के साथ वाकई क्या स्थिति है यह तो किसी भी जांच के बाद पता लगेगा लेकिन एक बात यो तय है कि आरोपी सेनानायक द्वारा किया गया यह काम किसी भी कीमत पर न ही कानूनन और न ही सामाजिक रूप से सही कहा जा सकता है।

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