दिन में बिछाई पटरियां रात को उखाड़ जाती थी पटरियां आखिर क्या रहस्य चारबाग रेलवे स्टेशन मजार का
डेस्क-अगर किसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कोई धार्मिक स्थल मौजूद हो और आपको अचानक पता चले कि जहां आप खड़े हैं वो इबादत वाली जगह है तो उस समय आपको कैसा महसूस होगा ऐसा ही यहां के सेंट्रल रेलवे स्टेशन के इस प्लेटफार्म पर रोजाना सैकड़ों लोगों के साथ होता है, जब उन लोगों को पता चलता है कि जहां वो जूते-चप्पल पहनकर खड़े हैं, वो मत्था टेकने वाली जगह तो वो लोग फटाफट ऊपरवाले से माफी मांगने लगते हैं।
चारबाग रेलवे स्टेशन पर मजार की देखरेख करने वाले मौलवी रहमत अली के कहा है कि करीब 50 साल पहले जब यहां रेल की पटरियां बिछाने का काम शुरू किया गया था, तब दिन में यहां पटरियां बिछाई जाती थीं, लेकिन जब अगले दिन आकर देखा जाता तो पटरियां उखड़ी हुई मिलती थीं। उस समय लोगों का मानना था कि कोई रूहानी ताकत रात में पटरियां उखाड़ देती थी।रहमत अली ने बताया कि पटरियों के उखड़ने का सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। तभी यहां काम करने वाले एक वर्कर को सपना आया कि अगर यहां एक मजार बना दी जाए तभी पटरियां बिछाने का काम सफल हो सकता है। इसके बाद मजार का निर्माण कराया गया।
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हर गुरुवार यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। यहां चादर चढ़ाई जाती है। फूल चढ़ाए जाते हैं। अगरबत्तियां और मोमबत्तियां जलाई जाती हैं।मौलवी ने कहा कि करीब 50 साल से लोग यहां मन्नत मांग रहे हैं। गुरुवार के दिन दीप जलते हैं और चादर चढ़ती है। इसके साथ ही कव्वाली जैसे कार्यक्रम का आयोजन भी होता है।