स्मार्टफ़ोन आपके बच्चो को कर सकता है बीमार

स्मार्टफ़ोन आपके बच्चो को कर सकता है बीमार

डेस्क- बड़ो होने पर तो मिलता ही है फ़ोन लेकिन आज कल छोटे बच्चे भी जिद करने लगे है स्मार्टफ़ोन लेने का और उनकी जिद न देखकर घर वाले दिला भी देते है ऐसे में उनको ये नही पता होता है कि लडकी बिगड़ेगा या या उसकी आदत खराब होगी सबसे बड़ी बात तो ये है कि लडके जब स्मार्टफ़ोन में विडियो गेम खेलने के आदि हो जाते है सबसे ज्यादा नुकशान यही करता है और इससे कई बीमारियाँ हो जाती है

नींद की समस्या होना:- लगातार खेलते रहने के कारण एक समय के बाद लोगों को नींद से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं कभी नींद देर से आती है तो कभी वे रात को उठ कर खेलने लग जाते हैं उनके लिए फोन पास में रख कर सोना भी एक मुसीबत है, अगर पानी पीने के लिए भी उनकी आंख खुलेगी तो वे उस गेम में व्यस्त हो जाएंगे, जिसके कारण उनकी नींद कई घंटों के लिए प्रभावित हो सकती है।

समाज से कटना:- लगातार टेक्नोलॉजी के संपर्क में रहने से व्यक्ति अपने आसपास के लोगों से दूर होने लगता है पार्टी या किसी और सामाजिक कार्यक्रम में होने पर भी वह अपने फोन में आंखें गड़ाए ही बैठा रहेगा इससे उसके वहां होने या न होने का कोई खास मतलब नहीं रहता है कुछ नहीं तो कई लोग फोटो एडिटिंग एप्स व फिल्टर्स की सहायता से सेल्फी लेते हुए नज़र आते रहते हैं यह भी एडिक्शन की श्रेणी में आता है।

चिड़चिड़ापन होना:- गेमिंग एडिक्शन के कारण ज़्यादातर लोग, खासकर बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं उनके हाथ से ज़रा देर के लिए भी फोन ले लेने पर वे विचलित होने लगते हैं कई बार खाना-पीना तक छोड़ देते हैं और इन सबके बीच उनकी पढ़ाई तो डिस्टर्ब होती ही है।

बचाव करना जरूरी है-

  • इस तरह के एडिक्शन से बचना बहुत ज़रूरी होता है, वर्ना उसका असर आपकी निजी जि़ंदगी पर भी पड़ सकता है लगातार काम या रिश्तों को अनदेखा करना किसी भी तरह से हितकर नहीं है।
  • लोगों से जितना अधिक हो सके, मेलजोल बढ़ाएं इसके लिए विभिन्न अवसरों पर पार्टी आदि का आयोजन करते रहें अपने परिवार व दोस्तों के लिए समय निकालें।
  • अपने कार्यों के लिए समय-सीमा निर्धारित कर उसका गंभीरता से पालन करें।
  • एकाग्रता बढ़ाने के लिए ज़रूरी व दिमागी कार्यों के बीच कुछ समय का ब्रेक लेते रहें हो सके तो इन ब्रेक्स में फोन व लैपटॉप का कम से कम इस्तेमाल करें।
  • बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप व इंटरनेट का ज़्यादा इस्तेमाल न करने दें और उन पर नज़र भी रखे रहें।
  • अगर तमाम कोशिशों के बावज़ूद इन डिजिटल गेम्स से दूरी न बन पा रही हो तो किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार की मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं।

Share this story