कानून से भी बड़े हो गए नगर कोतवाल

कानून से भी बड़े हो गए नगर कोतवाल
  • भारतीय मुद्रा के अपमान को कोतवाल ने हवा में उड़ाने का किया प्रयास
  • भारतीय मुद्रा के अपमान पर दिया हवा हवाई बयान

गोण्डा (एच पी श्रीवास्तव )-वैसे तो उत्तरप्रदेश पुलिस की कार्यशैली सदा से विवादों में रही है परन्तु यह मामला अनोखा इसलिए है कि भारतीय मुद्रा के सतत चल रहे अपमान पर हुए शिकायत को भी कोतवाल ने हवा में उडा देने का प्रयास किया है।

क्या है पूरा मामला

प्रकरण जनपद के थाना नगर कोतवाली क्षेत्र का है जहां इन्कैन चौराहे पर स्थित सरदार पेट्रोल पम्प ने भारतीय मुद्रा का अपमान करते हुए भारत सरकार द्वारा जारी किये गये सिक्कों को हिकारत की दृष्टि से देखते हुए स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया।
उक्त मामले पर हुयी शिकायत पर की गयी कार्यवाही के लिए जब कोतवाल नगर अशोक सिंह से जानकारी चाही गयी तो उन्होनेंं मामले पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडते हुए कहा के इस मामले से मेरा कोई लेनादेना नही है जो करना हो प्रशासन स्वयं करें !
जबकि इस मामले पर कार्यवाही की अन्तिम जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की ही होती हैं।
ज्ञात हो कि विभिन्न छोटे बडे प्रतिष्ठानों द्वारा आये दिन कभी दस रूपये के सिक्के तो कभी एक रुपये के सिक्के तो कभी पाचं रूपये के सिक्को को लेने से इन्कार किया जाता है जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पडता है, पचडे में न पडने की मानसिकता से ग्रस्त आम जनता वैसे तो इन विषयों पर जल्दी कोई शिकायत नहीं करती और किसी जिम्मेदार नागरिक ने शिकायत करने का जोखिम उठा भी लिया तो पुलिस प्रशासन उसे इतना प्रताणित कर देता है कि वह अपनी शिकायत को भूल जाये जबकि इस तरह की शिकायतों पर प्रशासन को त्वरित कार्यवाही करते हुए आरोपियों पर राष्ट्द्रोह का मामला दर्ज कर उचित कार्यवाही करनी चाहिए, प्रशासन की इसी लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना रवैये से उत्साहित बडे छोटे दुकानदार जनता का उत्पीडन जारी रखते है और जनता इस भंयकर परेशानी से बराबर जूझती रहती है।

पीड़ित के अनुसार

फिलहाल इस मामले पर नगर कोतवाल की इस गैरजिम्मेदाराना बयान पर पीडित ने उत्साह न खोते हुए बताया कि यदि कोतवाल कार्यवाही नही करता तो मामले को एसपी के समक्ष उठाया जायेगा यदि वहा से भी प्रर्याप्त कार्यवाही नहीं हुयी तो प्रधानमत्रीं तक मामले को पहुचाया जायेगा।

केवल आर बी आइ को है अधिकार

सिक्के या नोट को चलन से बाहर करने का अधिकार केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का है। इसके लिए आरबीआइ की ओर से निर्देश जारी किए जाते हैं। सिक्के या नोट चलन से बाहर करने के लिए लोगों को उन्हें लौटाने का समय दिया जाता है। आरबीआई ने दस रुपये के सिक्के चलन से बाहर करने के कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं। ये सिक्के कुछ साल पहले ही चलन में आए हैं। आरबीआई ने वर्ष 2011 से 1 से 25 पैसे तक के सिक्के वापस लिए थे। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था। तब से ये सिक्के वैध मुद्रा नहीं हैं तथा चलन से बाहर हैं।

मना करने पर दर्ज कराएं एफआइआर

यदि कोई व्यक्ति एक रुपए व दस रुपये का सिक्का लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी के तहत कार्रवाई होगी। मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है। सिक्काकरण अधिनियम 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं। यह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) में निहित प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा प्रत्याभूत हैं।

क्या है भारतीय रिजर्व बैंक का कानून

भारत सरकार इसकी पूरी कीमत धारक को अदा करने का वचन देती है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, 'जो कोई भी भारतीय मुद्रा लेने से इनकार करता है वह आईपीसी की धारा 124A (राष्ट्रद्रोह) के तहत दोषी होगा।'

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