आज भी रावण के खौफ के साए में जी रहे हैं यह गाँव

आज भी रावण के खौफ के साए में जी रहे हैं यह गाँव

डेस्क-इस गाँव में रावण के डर से दशहरा का पर्व नहीं मनाया जाता है। रावण के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था। रावण जाति से ब्राहमण था लेकिन कर्म से वह राक्षस था। वह भगवान शिव का भक्त था, जिस वजह से भगवान शिव ने उसे वरदान भी दिया हुआ था। रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें बंदी बनाकर अशोक वाटिका में रख दिया। माता सीता को वापस लानें और पाप का अंत करनें के लिए भगवान राम ने अपनी सेना के साथ लंका कूच किया।

कई दिनों तक चलनें वाले इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों-लाखों लोग मरे। कई राक्षसों के अंत के बाद विभीषण की मदद से भगवान राम ने दशहरा के दिन रावण का वध किया। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर भगवान राम की मदद विभीषण नहीं करते तो रावण को मार पाना असंभव था। हालांकि रावण के मारे जानें के बाद से हर साल दशहरा के दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुरे देश में रावण का पुतला फूंका जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के नॉएडा में वहाँ से 10 किलोमीटर दूर एक गाँव हैं, जहाँ दशहरा नहीं मनाया जाता है।

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  • बताया जाता है कि इस गाँव में ना ही कभी रामलीला होती है और ना ही कभी दशहरा का पर्व मनाया जाता है
  • रावण का दहन किया जाता है। रहस्यों से भरे इस गाँव का नाम विसरख है और यह कहा जाता है|
  • कि यह रावण का पैतृक गाँव है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर राक्षसों के राजा रावण का जन्म हुआ था।
  • इसलिए जिस दिन पुरे देश में दशहरा की धूम रहती है, वहीँ इस गाँव में मातम छाया रहता है।

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