जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर दफ़्न है श्रीकृष्ण की मृत्यु से जुड़ा एक राज

जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर दफ़्न है श्रीकृष्ण की मृत्यु से जुड़ा एक राज

डेस्क-परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों की भूमि भारत के हृदय में कई ऐसे भी राज दफ़्न हैं, जो कहानियां बनकर आज भी सुने और सुनाए जाते हैं। आज हम आपको भगवान जगन्नाथ की मूर्ति और भगवान श्रीकृष्ण की मौत से जुडी एक ऐसी ही कहानी से परिचित करवा रहे है। हिन्दू धर्म के बेहद पवित्र स्थल और चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी की धरती को भगवान विष्णु का स्थल माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक बेहद रहस्यमय कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार मंदिर में मौजूद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्वयं ब्रह्मा विराजमान हैं।

  • ब्रह्मा कृष्ण के नश्वर शरीर में विराजमान थे और जब कृष्ण की मृत्यु हुई तब पांडवों ने उनके शरीर का दाह-संस्कार कर दिया लेकिन कृष्ण का दिल (पिंड) जलता ही रहा।
  • ईश्वर के आदेशानुसार पिंड को पांडवों ने जल में प्रवाहित कर दिया। उस पिंड ने लट्ठे का रूप ले लिया।
  • राजा इन्द्रद्युम्न, जो कि भगवान जगन्नाथ के भक्त थे, को यह लट्ठा मिला और उन्होंने इसे जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्थापित कर दिया।
  • उस दिन से लेकर आज तक वह लट्ठा भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर है।
  • हर 12 वर्ष के अंतराल के बाद जगन्नाथ की मूर्ति बदलती है लेकिन यह लट्ठा उसी में रहता है।

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