आज हम आपको बताएंगे कि कैसे हुआ शनिदेव का जन्म और कैसे टेढ़ी हुई नजर

डेस्क-अक्सर शनिदेव का नाम सुनते ही शामत नजर आने लगती है, सहमने लग जाते हैं, शनि के प्रकोप का खौफ खा जाते हैं। कुल मिलाकर शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है लेकिन असल में ऐसा है नहीं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि न्यायधीश या कहें दंडाधिकारी की भूमिका का निर्वहन करते हैं। वह अच्छे का परिणाम अच्छा और बूरे का बूरा देने वाले ग्रह हैं।

अगर कोई शनिदेव के कोप का शिकार है तो रूठे हुए शनिदेव को मनाया भी जा सकता है। शनि जयंती का दिन तो इस काम के लिये सबसे उचित माना जाता है। आइये जानते हैं शनिदेव के बारे में, क्या है इनके जन्म की कहानी और क्यों रहते हैं शनिदेव नाराज।

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  • शनिदेव के जन्म के बारे में स्कंदपुराण के काशीखंड में जो कथा मिलती वह कुछ इस प्रकार है।
  • राजा दक्ष की कन्या संज्ञा का विवाह सूर्यदेवता के साथ हुआ।
  • सूर्यदेवता का तेज बहुत अधिक था जिसे लेकर संज्ञा परेशान रहती थी।
  • वह सोचा करती कि किसी तरह तपादि से सूर्यदेव की अग्नि को कम करना होगा।
  • जैसे तैसे दिन बीतते गये संज्ञा के गर्भ से वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना तीन संतानों ने जन्म लिया।

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