उपराष्ट्रपति ने कहा- युवा आगे बढ़ें, लेकिन न भूलें राष्ट्र धर्म

कुरुक्षेत्र। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने छात्रों को राष्ट्रीय का पाठ पढ़ाया। उन्होंने युवाओं से कहा कि वह आगे बढ़ें, लेकिन सबसे पहला धर्म राष्ट्र धर्म होना चाहिए। देश में बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह निंदनीय है।

नायडू कुरुक्षेत्र विश्र्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में पहुंचे थे। उपराष्ट्रपति का पूरा भाषण आरक्षण के नाम पर देशभर में हुई हिंसा और महिला व बच्चियों के साथ आए दिन हो रही घटनाओं पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने व आंदोलन करने का हक है। हिंसात्मक रूप से आंदोलन करने का मतलब देश को गर्त में ले जाना है और यह ठीक नहीं है।

इसी तरह उन्होंने बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं को जिक्र करते हुए कहा कि भारत में महिलाओं का गौरवशाली इतिहास रहा है। देश को आगे ले जाने में उनका बड़ा योगदान रहा है, इसीलिए इस देश का नाम भारत माता है। यहां माताओं का सम्मान किया जाता है, देवी के रूप में पूजा होती है। जिस समाज व देश में महिलाओं का सम्मान किया जाता है वह तरक्की करता है।

उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे कहीं भी जाएं, लेकिन राष्ट्रीयता मन में होनी चाहिए। महिलाओं का सम्मान करें। अपनी मातृ भाषा से प्यार करें। देश को सुराज की ओर ले जाएं क्योंकि केवल प्रधानमंत्री या मंत्रियों का ही काम नहीं है कि देश के बारे में सोचें। देश के युवाओं को सोचना होगा और ऐसे देश का निर्माण करना करना होगा जिसमें जाति का भेदभाव नहीं हो। जाति के नाम पर एक दूसरे का विरोध नहीं करें। सभी एक दूसरे का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल भी केवल चुनाव के समय राजनीति करें, बाकी समय देश व प्रदेश के विकास में लगाएं।

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