इस तरह चार दिशाओं में आदि शंकराचार्य ने बनाये मठ

डेस्क -हिन्दू सनातन धर्म को पूरी दुनिया में बनाये रखने के लिए और उसके विज्ञान को जीवित रखने का पूरा श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है जिन्होंने भारत की संस्कृति और सभ्यता को बनाये रखने और सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए देश में चार मठों की स्थान की. देश में जो चार सनातन धार्मिक मठ हैं उनकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी. ये चारों मठ भारत की चारों दिशाओं में बने हुए हैं. आइये जानते हैं इन मठों के बारे में...

ज्योतिर्मठ: यह उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में स्थित है. जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी. इसका महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है. मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे.

शारदा मठ: यह मठ गुजरात में द्वारकाधाम में है इस वजह से इसका नाम द्वारका मठ भी है. शारदा मठ के पहले मठाधीश हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे. हस्तामलक आदि शंकराचार्य के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे. इस मठ का महावाक्य है 'तत्त्वमसि' और इसमें 'सामवेद' को रखा गया है.

श्रृंगेरी मठ: श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इस मठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है, मठ के तहत 'यजुर्वेद' को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे.

गोवर्धन मठ: गोवर्धन मठ उड़ीसा के पुरी में है. बिहार से लेकर राजमुंद्री तक और उड़ीसा से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का भाग इस मठ के अंतर्गत आता है. गोवर्धन मठ का संबंध भगवान जगन्नाथ मंदिर से है. इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' और इस मठ के तहत 'ऋग्वेद' को रखा गया है. इस मठ के पहले मठाधीश आदि शंकराचार्य के पहले शिष्य पद्मपाद हुए.

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