क्या आप जानते हैं..? मां के गर्भ में बच्चा क्यों रहता है 9 माह ही...

हमारे ब्रह्मांड के 9 गृह अपनी-अपनी किरणों से गर्भ मे पल रहे बच्चे को विकसित करते है। हर गृह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के भागो को विकसित करता है। अगर कोई गृह गर्भ मे पल रहे बच्चे के समय कमजोर है, तो उपाय से उसको ठीक किया जा सकता है। इसके आप का अनुसरण करें..

गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का प्रभाव रहता है- अगर गर्भावस्था के समय शुक्र कमजोर है, तो शुक्र को मजबूत करना चाहिए। अगर शुक्र मजबूत होगा, तो बच्चा बहुत सुंदर होगा ,और उस समय स्त्री को चटपटी चीजे खानी चाहिए ।
शुक्र का दान न करे- अगर दान किया तो शुक्र कमजोर हो जाएगा । दान सिर्फ उसी गृह का करे जो पापी और क्रूर हो और उसके कारण गर्भपात का खतरा हो ।

दूसरे महीने मंगल का प्रभाव रहता है- मीठा खा कर मंगल को मजबूत करे । तथा लाल वस्त्र ज्यादा धारण करे ।

तीसरे महीने गुरु का प्रभाव रहता है- दूध और मीठे से बनी मिठाई या पकवान का सेवन करे तथा पीले वस्त्र ज्यादा धारण करे ।

चौथे महीने सूर्य का प्रभाव रहता है- रसों का सेवन करे तथा महरून वस्त्र ज्यादा धारण करे ।

पांचवे महीने चंद्र का प्रभाव रहता है- दूध और दहि तथा चावल तथा सफ़ेद चीजों का सेवन करे तथा सफ़ेद ज्यादा वस्त्र धारण करे ।

छटे महीने शनि का प्रभाव रहता है- कशीली चीजों केल्शियम और रसों के सेवन करे तथा आसमानी वस्त्र ज्यादा धारण करे ।

सातवे महीने बुध का प्रभाव रहता है- जूस और फलों का खूब सेवन करे तथा हरे रंग के वस्त्र ज्यादा धारण करे।

आठवे महीने फिर चंद्र का तथा नौवे महीने सूर्य का प्रभाव रहता है- इस दौरान अगर कोई गृह नीच राशि गत भ्रमण कर रहा है, तो उसका पूरे महीने यज्ञ करना चाहिए। जितना गर्भ गृहों की किरणों से तपेगा उतना ही बच्चा महान और मेधावी होगा । जैसे एक मुर्गी अपने अंडे को ज्यादा हीट देती है, तो उसका बच्चा मजबूत पैदा होता है। अगर हीट कम देगी तो उसका चूजा बहुत कमजोर होगा। उसी प्रकार माँ का गर्भ गृहों की किरणों से जितना तपेगा बच्चा उतना ही मजबूत होगा। जैसे गांधारी की आँखों की किरणों के तेज़ से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो गया था।

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