चुनाव में उतरने से चुनाव में उतरने से पहले संगठन दुरुस्त करने में जुटी भाजपा

चुनाव में उतरने से चुनाव में उतरने से पहले संगठन दुरुस्त करने में जुटी भाजपा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में चौथी पारी खेलने को आतुर भाजपा चुनाव में उतरने से पहले संगठन के कील-कांटे दुरूस्त करने में जुटी है। सूत्र बता रहे कि अंदरखाने प्रदेश संगठन में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर ली गई है। कभी भी बदलाव का निर्णय सामने आ सकता है।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में पिछले तीन चुनावों में भाजपा जीतती आ रही है, हालांकि इस बार मुकाबला आसान नहीं है। कांग्रेस और जोगी कांग्रेस जोर लगा ही रहे हैं, छोटे दल भी वोट काटने को आतुर हैं। पार्टी 65 प्लस का लक्ष्य लेकर भले चल रही हो, नेताओं को पता यह लक्ष्य पाना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ही पार्टी के चेहरे हैं। चुनाव का सारा दारोमदार उन्हीं पर है।

पार्टी हाईकमान भी जानता है कि यहां संगठन से ज्यादा सीएम का रोल होगा। दूसरी तरफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह देशभर में संगठन के सूत्र अपने हाथ में रखने की तैयारी में जुटे हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश में पार्टी अध्यक्षों को बदलने के पीछे हाईकमान की यही मंशा दिख रही है।

ऐसे में चुनावी साल में एक महत्वपूर्ण राज्य में संगठन को नहीं छोड़ा जा सकता। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यहां संगठन में पूरे बदलाव की तैयारी चल रही है। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कमान किसे मिलेगी लेकिन ज्यादा संभावना यही है कि आदिवासी और दलित फैक्टर को ध्यान में रखा जाएगा।

पिछड़े वर्ग को भी नहीं सा पाया संगठन

नेताओं का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पिछड़े वर्ग को ध्यान में रखकर की गई थी। हालांकि पिछड़े वर्ग में कोई प्रभाव पड़ा हो यह नहीं कहा जा सकता। साहू, कुर्मी, कलार सभी जातियों के आंदोलन हो चुके हैं। कांकेर में पिछले दिनों मुख्यमंत्री पहुंचे तो साहू समाज के नेताओं ने नंदलाल साहू हत्याकांड के मुद्दे पर उन्हें घेर लिया।

आदिवासी सीटों पर नजर

भाजपा को पता है कि चौथी पारी में एंटी इंकम्बेंसी से निपटना है तो हाथ से निकली आदिवासी सीटों को वापस अपने पाले में लाना होगा। पिछले चुनाव में बस्तर और सरगुजा में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई थी। अभी एट्रोसिटी एक्ट के मुद्दे पर देशभर में बवाल मचा। इसका असर यहां भी पड़ना लाजिमी है। ऐसे में आदिवासी नेता को सामने लाकर आदिवासी वोटरों को साने की तैयारी पार्टी कर रही है।

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