क्यों होता है मासिनक रोग स्किजोफ्रेनिया पर्सनालिटी डिसऑर्डर और ज्योतिषीय उपाय

क्यों होता है मासिनक रोग स्किजोफ्रेनिया पर्सनालिटी डिसऑर्डर और ज्योतिषीय उपाय

डेस्क - मासिनक रोग स्किजोफ्रेनिया पर्सनालिटी डिसऑर्डर और ज्योतिषीय उपाय |गुस्से में उन्माद कि स्थिति तक पहुँच जाना ही सिजोफ्रेनिया है | बच्चे के जन्म से पांच वर्ष तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | इन पांच वर्षों में बच्चे के आस-पास का वातावरण, घर का माहौल, माता-पिता की मानसिक स्थिति, आर्थिक स्थिति आदि का बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है | अतः एक स्वस्थ वातावरण बच्चे को मिले इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए |ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है | इसमें रोगी कल्पनाओं में ही विचरण करने लगता है | लोगों से डरेगा, एक कोने में बैठा रहेगा, कई बार वॉयलेंट भी हो जाता है | कई बार रोगी बार-बार हाथ धोएगा, किसी को पसंद नहीं करता तो उसे देखकर वॉयलेंट हो जायेगा| अति महत्वकांक्षी व्यक्ति भी जब अपना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो इस बीमारी का शिकार हो जाता है |

महिलाएं गर्भावस्था के समय डिप्रेशन में हो तो तभी इस रोग की शुरुआत तभी हो जाती है

इस रोग की शुरुआत तभी हो जाती है जब बच्चा गर्भ में होता है | जो महिलाएं गर्भावस्था के समय डिप्रेशन तथा तनाव में रहती हैं या डर और गुस्से में रहती हैं, दुखी रहती हैं तो बच्चा इस रोग को जन्म से ही लेकर पैदा होता है | यह सामान्य मानसिक रोग (mental disease) नहीं है। इससे आमतौर पर प्रति एक लाख लोगों में से 150 लोग प्रभावित होते हैं। यह रोग इंसान (person) को आमतौर पर किशोरावस्था या युवावस्था के दौरान होता है। समाज (society) से दूरी बनाना, चिंता, भ्रम, दु: स्वप्न, पागलपन की भावना या उत्पीड़न की भावनाएं, या फिर शरीर की स्वच्छता पर ध्यान ना देना, भूखे रहना, अकेले में बडबडाना, हिंसक व्यवहार (aggressive behavior) आदि इसमें शामिल है|
पहचान और इलाज में देखरेख करने वालों की क्या भूमिका है
स्किज़ोफ़्रेनिया धीरे धीरे उभरता है, अगर इलाज न मिले तो लक्षण समय के साथ बिगड़ते चले जाते हैं. स्किज़ोफ़्रेनिया से पीड़ित मरीज़ को पता नहीं होता है कि उनका व्यवहार विचित्र या असाधारण हो गया है| उसके परिवार और मित्र निश्चित ही ये पहचान सकते हैं कि उसे ये विकार है और उसे इसके लिए उचित इलाज की ज़रूरत है|
स्किज़ोफ़्रेनिया की शुरुआती अवस्था, पहचान औऱ इलाज के लिए आदर्श अवस्था है| जितना जल्दी इलाज शुरू कर दिया जाए, उतना ज़्यादा दवाओं के असरदार रहने की संभावना रहती है. स्किज़ोफ़्रेनिया की शुरुआत के चिन्ह इस तरह से हैं| किसी स्पष्ट वजह के बिना भी चिड़चिड़ेपन में बढ़ोतरी, अलगाव, भूख और नींद का न रहना, बिना वजह हँसना या मुस्कुराते रहना, ध्यान की कमी और अपनी साफ़ सफ़ाई और साज संवर को लेकर उदासीन हो जाना|
ध्यान रखने की बात
किसी एक अकेले लक्षण की मौजूदगी का अर्थ ये नहीं है कि आपके प्रियजन को स्किज़ोफ़्रेनिया ही होगा| स्किज़ोफ़्रेनिया से पीड़ित मरीज़ एक पूरी समयावधि के दौरान ऊपर बताए गए लक्षणों का मिलाजुला व्यवहार प्रदर्शित करता है और ये लक्षण सप्ताहों या महीनों की अवधियों में धीरे धीरे उभरते जाते हैं|ये भी संभव है कि उन्हें किसी अन्य प्रकार का मनोविकार हो. जो भी हो, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और विकार की पहचाना कर इलाज शुरू करना चाहिए|
अन्य लंबी शारीरिक बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन की तरह, दवाओं और सहायता के ज़रिए इस विकार पर काबू पाया जा सकता है| ज़रुरत है तो उचित दवाओं की, परिजनों और मित्रों के सपोर्ट की, एक तयशुदा रूटीन की और उचित मनोवैज्ञानिक इनपुट की|
नियम
स्किज़ोफ़्रेनिया से पीड़ित एक तिहाई लोग सामान्य जीवन में लौट आते हैं, उनमें से एक तिहाई सामान्य से ज़रा कम के स्तर पर क्रियाशील जीवन में लौटते हैं और वे स्थितियों से निपटने में सक्षम होते हैं, शेष एक तिहाई लोगों को क्रियाशील या सामन्य जीवन बिता पाने में ज़्यादा सहायता की ज़रूरत पड़ती है|
कोई ये निश्चित अनुमान नहीं लगा सकता कि मरीज़ कब पूरी तरह से सामान्य हो पाएगा. इसका सूत्र टिका है शुरुआती पहचान परः जितना जल्दी आप समस्या की शिनाख़्त कर लेंगे और बीमारी की पहचान पक्की हो जाएगी तो आपका इलाज भी उतना ही गंभीरता और मुस्तैदी से चलेगा, और इसी आधार पर अच्छे नतीजे की संभावना बढ़ जाएगी|एक योजनाबद्ध उपचार का पालन करना सुधार की कुंजी है |

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