छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों पर सेटेलाइट कॉलर के प्रयोग में मिली सफलता

छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों पर सेटेलाइट कॉलर के प्रयोग में मिली सफलता

अंबिकापुर । शनिवार को बहरादेव हाथी को ट्रैंकुलाइज कर गले में सेटेलाइट कॉलर लगाने का प्रयोग सफल रहा। साउथ अफ्रीका में निर्मित करीब तीन लाख रुपये के सेटेलाइट कॉलर की मदद से वन विभाग को पल-पल की गतिविधि की जानकारी मिली रही है। इससे लोगों को पूर्व में सूचित करने से परेशानी कम हो गई है। अब सरगुजा में विचरण कर रहे पांच दलों के हाथियों को सेटेलाइट कॉलर लगाने पर काम होगा।सरगुजा वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक केके बिसेन के नेतृत्व में भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों की टीम ने शनिवार सुबह सूरजपुर व बलरामपुर जिले की सीमा पर रेवतपुर से लगे जंगल में लंबे समय से अकेले घूम रहे बहरादेव हाथी को ट्रैंकुलाइज कर सेटेलाइट रेडियो कलर लगाया गया था।

साउथ अफ्रीका में निर्मित सेटेलाइट कॉलर की कीमत 3 लाख रुपये है। ऐसे छह कॉलर वन विभाग को दिए गए हैं। पहले हाथी को कॉलर लगाकर उसकी निगरानी का प्रयोग सफल रहा है। अब तक बहरादेव हाथी द्वारा किए जा रहे नुकसान में प्रतिदिन 75 से 1.50 लाख रुपये मुआवजा देना पड़ता था।

अब वन विभाग पूर्व में ही उसके पहुंचने की सूचना ग्रामीणों को दे रहा है एवं लोग सतर्क हो जा रहे हैं। इससे नुकसान सीमित हो गया है। सेटेलाइट सिस्टम पर आधारित रेडियो कॉलर से उसकी वर्तमान उपस्थिति देखी जा सकती है।

सीसीएफ केके बिसेन ने बताया कि सेटेलाइट कॉलर लगाने का प्रयोग सफल होने के बाद अन्य दल के नेतृत्वकर्ता हाथियों को लगाने की है। इससे पूरे दल की निगरानी हो सकेगी।

इसमें सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाले हाथियों को रेडियो कॉलर लगा दिया जाएगा, ताकि उनकी गतिविधि की सूचना वन विभाग को पूर्व में मिल सके। वन विभाग को ऐसे छह सेटेलाइट कॉलर उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें से पांच विभाग के पास हैं।

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