मुंबई व अन्य नगरों का अलग-अलग होगा आपदा प्रबंधन तंत्र

मुंबई व अन्य नगरों का अलग-अलग होगा आपदा प्रबंधन तंत्र

मुंबई । महाराष्ट्र उच्च न्यायालय द्वारा नजरें तिरछी करते ही फड़नवीस सरकार राज्य आपदा प्रबंधन व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को लेकर हरकत में आ गई है। सरकार ने बांबे हाई कोर्ट को बताया है कि वह मुंबई जिला और अन्य नगरों के लिए अलग-अलग आपदा प्रबंधन तंत्र बनाने जा रही है।बांबे हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने कहा था कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन कानून को लेकर गंभीर नहीं है। निर्देश के बावजूद वह इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। यदि राज्य सरकार मुंबई और अन्य जिलों के लिए अलग-अलग आपदा प्रबंधन तंत्र (अधिकरण) की व्यवस्था

करने में विफल रही तो अदालत राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगी।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह जनवरी 2018 तक अलग-अलग आपदा प्रबंधन अधिकरण का गठन करे। हालांकि, राज्य सरकार ने मुंबई समेत राज्य के सभी जिलों के लिए एक ही आपदा प्रबंधन अधिकरण का गठन कर दिया था। कोर्ट ने पिछले महीने इस मामले पर सुनवाई करते हुए

कहा था कि सरकार जानबूझकर निर्देशों की अवहेलना कर रही है।

सरकार ने मई के पहले हफ्ते में हलफनामा पेश कर कोर्ट को मुबंई और अन्य नगरों के लिए अलग-अलग आपदा प्रबंधन अधिकरण की स्थापना किए जाने की जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया कि अदालत के

निर्देशों और आपदा प्रबंधन के केंद्रीय कानून के तहत सरकार विधि और न्याय विभाग के साथ मिलकर आपदा प्रबंधन नियमावली तैयार कर रही है। इसके साथ ही हलफनामे में प्राकृतिक आपदा प्रबंधन अधिकरण की ओर से तय दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य की आपदा प्रबंधन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी गई है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने सूखे के हालात से निपटने के लिए अलग से योजना तैयार की है।

उल्लेखनीय है कि मराठवाड़ा अनुशेष निर्मूलन अणि विकास मंच के अध्यक्ष संजय लखे पाटिल ने उच्च

न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें राज्य में सूखे के चलते किसानों को होने वाली परेशानी का मामला उठाया गया था। याचिका में राज्य सरकार को सूखे से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने और आपदा प्रबंधन कानून 2005 के प्रभावी अनुपालन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि सूखे के कारण हालात बेकाबू से हो चले।

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