ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जब एक व्यक्ति का जन्म होता है, उस समय ग्रहों के आधार पर उसकी जन्म कुंडली को देख कर एक वेदिक ज्योतिषी उसके या उसके शारिरिक गठन और उसके लिए उपयुक्त भोजन के बारे में बता सकता है। यह कार्य वह ग्रहों का विश्लेषण करके करता है। भविष्य का बयान करने वाले प्रकृति तरीके के अलावा, वैदिक ज्योतिष एक समान रूप से प्रभावी चिकित्सा तकनीक है जिसमें कई विभिन्न प्रकार के प्रभावी चिकित्सा और सुरक्षा उपाय होते है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के सभी पहलुओं में से कम से कम एक अप्रत्यक्ष तरीका है जो ग्रहों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है और तीन चीजों को, वात, पित्त और कफ को संतुलन में लाने की कोशिश करता है।
कैसे करें सही भोजन की पहचान -
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार सही आहार की पहचान करने के लिए जरुरी है कि सबसे पहले कुंडली में देखा जाए कि कौन सा ग्रह निर्धारित है। आम तौर पर, लग्न और लग्न स्वामि होता है, जो खास तौर पर शरीर और समग्र व्यक्तित्व से संबंधित होता है। लेकिन ग्रहों की वजह से लग्न के मजबूत पहलुओं और संघों में बदलाव भी हो सकते हैं।
किस तरह से आहार का सेवन करें?
जब वात या वात ग्रह बहुत अधिक हो या कुंडली पर भारी पड़ रहा हो, तो मीठा, खट्टा, नमकीन और तीखे स्वाद के उपयोग की सलाह दी जाती है। जिनमें अनाज, सेम, जड़ वाली सब्जियां, बीज, नट और डेयरी उत्पादों के पोषक आहार शामिल होते हैं। इसके साथ ही अदरक, दालचीनी, इलायची जैसे हल्के मसालों के अलावा चवनप्राश शामिल हैं, जो कि शरीर के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जब कफ बहुत अधिक हो, तब तीखे, कसैले और कड़वे स्वाद का उपयोग करना चाहिए। एक हल्का आहार जिसमें कि मिठे, नमकीन, खट्टे और तेल जैसे खाद्य पदार्थो के अलावा डेयरी उत्पाद भी मिला हो तो वह बहुत अच्छा होगा। गरम मसाले जैसे अदरक और काली मिर्च का उपयोग, वजन कम करने में मदद करता है। जब पित्त काफी ज्यादा हो तो, कड़वे, कसैले और मीठी जड़ी बूटियों के खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। अच्छे ग्रह उपचार के लिए ठंडे मसालों जैसे हल्दी और धिनया का भी उपयोग किया जा सकता है।
अपने कमजोर ग्रह को पहचानें ---
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यह जानना महत्वपूर्ण है कि किस तरह से ग्रह आपके जीवन को प्रभावित करते हैं। यह आपके जीवन में सही र्निणय और वांछित लक्ष्यों को करीब से पहचानने में मदद करने के साथ साथ आपको सफलता तक पहुंचाने में भी मदद करते हैं। तो आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं। जितनी जल्दी हो सके अपनी कुंडली की एक झलक से पहचानिए अपने अच्छे और बुरे ग्रहों को और फिर झट से खोज डालिए उनके सरल उपाय।
राशियों दा्रा वर्गीकरण -
मेष, सिंह, वृश्चिक प्रकृति वाले ज्वलंत होते हैं।
वृषभ , कर्क, तुला, धनु, मीन लोगों का प्रकृती पानी है यानि वह सुस्त होगें।
मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ राशि की प्रकृति हवादार होती है।
ग्रहों के आधार पर प्रभुत्व -
सूर्य, मंगल और केतु, पित्त निर्वाचन क्षेत्र हैं।
जो गर्म और तेजस्वी स्वभाव के होते हैं |
बृहस्पति, चंद्रमा, और शुक्र, कफ निर्वाचन क्षेत्र हैं और यह सुस्त प्रभाव के होते हैं।
शनि बुध, और राहु वात निर्वाचन क्षेत्र हैं और इनका हवा स्वभाव है |अर्थात वायु तत्व |
भोजन से ग्रह बदले
भोजन द्वारा कैसे ठीक करें सूर्य को
किसी का सूर्य कुपित हो या नीच का हो के बुरे परिणाम दे रहा हो तो आदमी को नमक कम खाना चाहिए |गुड़ जरूर खाए ,विटामिन डी जरूर ले |सूर्य यदि 11वे भाव में हो और मांसाहार शराब खाता हो तो संतान का सुख बेहद कठिनाई से मिलता है | 11 वे भाव का सूर्य संतान से रिलेशन ख़राब कर देगा | यदि सूर्य 11वे भाव में है और यदि ख़राब है तो संतान होने के बाद भी यदि ऐसा व्यक्ति शराब और मांसाहार का सेवन करे तो उसके संतान के साथ संबंध बहुत ख़राब हो जाते है और उसकी संतान उससे बहुत दूर चली जाती है |
आपको मोक्ष तब मिलेगा जब आप अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वाह कर सके लेकिन यदि सूर्य ख़राब है तो आप अपने दयित्ब आसानी से निभा नहीं पाएंगे ,लोग इतना उलझ जाते है की हो ही नहीं पाता | खास तौर पे यदि आप मांस मदिरा इत्यादि का सेवन करते है तो आपको अपने पुत्र से वियोग झेलना पड़ेगा | जाड़ो में अधिक तली हुई वस्तुए नहीं खानी चाहिये वरना नुकसान होगा (जबकि जाड़ो में अधिक तली हुई वस्तुये बहुत पसंद आती है )
चंद्रमा कुपित हो के बुरे परिणाम देने लगे तो कभी भूलकर भी मांसाहार मत लीजियेगा
जल पिये विटामिन c जरूर ले ,चंद्रमा जब भी ख़राब होगा शरीर में जल की कमी कर देगा और बहुत नुकसान देगा ,
यदि ऐसे में चंद्रमा की महादशा भी शुरू हो जाये तो ठंडी वस्तुओ का प्रयोग एक दम बंद कर दे ,और फ्रिज की रखी हुई चीज़े जिसमे केला आता है ,चावल आता है ,दही आता है ऐसी वस्तुओ का प्रयोग आपको एकदम बंद कर देना चाहिए ,या वो चीज़े खाना बंद कर दीजियेगा जिसमें पिपरमिंट होता है मेंथोल होता है , , नहीं तो आप काफी परेशानी में आते है ,खास तौर पे एकादशी को चावल छुए भी नहीं
यदि जन्म कुंडली में वृष, कर्क, तुला ,धनु , मकर ,कुम्भ का चंद्रमा हो तो रात को दूध पीना सामान्यतः अच्छे परिणाम नहीं देता रात को दूध वही लोग पिये जिनका digestive सिस्टम बहुत मजबूत हो और भोजन करने के 3-3.5 घंटे बाद वो सोते हो ,अन्यथा रात का दूध पीना avoid करना चाहिये | सर्वोत्तम तो ये है की यदि सूर्यास्त के 1 घंटे के अन्दर आप भोजन कर लेते है तो रात को दूध पिये तो फिर भी ठीक रहता है आपकी सेहत के लिये |
चंद्रमा या शुक्र ख़राब हो तो कफ अधिक होगा ,और रात का दूध आपको नुकसान ही देगा |यदि सप्तम में चंद्रमा हो तो और विवाह में मांसाहार और शराब का सेवन ,तो विवाह में जीवन भर परेशानी रहेगी | कुंडली मिला ली सब कुछ कर लिया वगैरह वगैरह सब कर लिया और मान लो
विवाह घोषित कर दिया की 36 में से 30 गुण मिल गए है कोई भकूट नहीं है कोई योनि नहीं है लेकिन परेशानिया तो है ,सप्तम अच्छा होने के बावजूद यदि परेशानिया है यदि जिस मुहूर्त में किसी रिश्ते का जन्म हुआ है वो यदि अशुद्ध हो गया या उस मुहूर्त में कुछ ऐसे कार्य किये गए|