क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा जाने गंगा दशहरा का महत्व

क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा जाने गंगा दशहरा का महत्व

धर्म डेस्क - क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा जाने गंगा दशहरा का महत्व |ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा का धरती पर हस्त नक्षत्र में अवतरण हुआ था। पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन गंगा की विशेष पूजा अर्चना और भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। गंगा दशहरा पर दान और उपवास का बड़ा महत्व होता है। दस तरह के पापों को हरने के कारण इसे दशहरा कहते हैं। इन दस तरह के पापों में तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप होते हैं।


इस साल ज्येष्ठ मास अधिकमास है इसलिए अधिकमास की शुक्लपक्ष की दशमी को गंगादशहरा मनाया जाएगा। जिस वर्ष अधिकमास हो तो उस वर्ष अधिकमास में ही गंगा दशहरा माना जाता है न कि शुद्धमास में। इस दिन व्यक्ति गंगाजी या पास में स्थिति किसी पवित्र नदी में स्नान और पूजन करने की परंपरा है। गंगा स्नान करते समय ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम: का जप करना चाहिए।

हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है

हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व जिसे सभी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते है। गंगा दशहरा देवी गंगा को समर्पित एक पर्व है जिसे ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है| जो सामान्यतौर पर मई या जून के महीने में आता है। गंगा दशहरा को गंगावतारण् भी कहा जाता है जिसका अर्थ है “गंगा का अवतार”।
वैसे तो गंगा दशहरा निर्जला एकादशी से एक दिन पहले मनाया जाता है परन्तु कुछ सालों को निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा एक ही दिन पड़ रहा है।

जाने गंगा दशहरा का महत्व

हिन्दू पुराणों के अनुसार ऋषि भागीरथ के पूर्वजों की अस्तियों को विसर्जित करने के लिए उन्हें बहते हुए निर्मल जल की आवश्यकता थी। जिसके लिए उन्होंने माँ गंगा की कड़ी तपस्या की जिससे माँ गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो सके। परन्तु माँ गंगा का भाव तेज होने के कारण वह उनकी इस इच्छा को पूर्ण नहीं कर पाई। परन्तु उन्होंने कहा की अगर भगवान शिव मुझे अपनी जटाओं में समा कर पृथ्वी पर मेरी धारा प्रवाह कर दें तो यह संभव हो सकता है।

उसके पश्चात् होने माँ गंगा के कहे अनुसार शिव जी की तपस्या की और उनसे गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करने के लिए प्रार्थना की। जिसके बाद गंगा माँ ब्रह्मा जी के कमंडल में समा गयी और फिर ब्रह्मा जी ने शिव जी की जटाओं में गंगा को प्रवाहित कर दिया। जिसके बाद शिव ने गंगा की एक चोटी सी धारा पृथ्वी की ओर प्रवाहित कर दी। जिसके बाद भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित कर उन्हें मुक्ति दिलाई।


गंगा दशहरा के दिन की जाने वाली परंपराए

  • गंगा दशहरे के दिन गंगा में स्नान का बहुत खास महत्व माना जाता है।
  • माना जाता है जो व्यक्ति गंगा दशहरे के दिन गंगा में स्नान करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और वह रोग मुक्त हो जाता है।
  • इसके साथ-साथ गंगा दशहरा के दिन दान पुण्य आदि करना भी शुभ माना जाता है।
  • मान्यता है इस दिन भक्तगण जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दश होनी चाहिए। पुण्य प्राप्त करने के लिए इस दिन दान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  • इस दिन लाखों की तदाद में भक्तगण इलाहाबाद प्रयाग, गढ़मुख्तेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में गंगा स्नान करने आते है। वाराणसी में इस पर्व को धूम अलग ही देखने को मिलती है।
  • गंगा दशहरा के दिन हजारों भक्त दशाश्वमेध घाट की आरती देखने इक्कठे होते है और साथ ही पवित्र गंगा में दुबकी भी लगाते है

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