सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने में विज्ञान क्यों हो रहा है नाकाम

डेस्क-सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने में विज्ञान क्यों हो रहा है नाकाम |आज आधुनिक विज्ञान अपने उपकरणों की मदद से आपको और बेहतर देखने की क्षमता देता है और इस तरह इसने जीवन को आसान नहीं, बल्कि पहले से ज्यादा जटिल बना दिया है। कल्पना कीजिए कि आप मुझे देख नहीं सकते, और आपको बस मेरी आवाज सुनाई दे रही है। यह आपके लिए रहस्यमय हो सकता है न? जब मैं एक जगह बैठकर आप से बात करता हूं, और मेरी आवाज चारों तरफ से आ रही होती है तो क्या ऐसे में आपको आश्चर्य होता है? नहीं। क्योंकि आपको पता है की माइक्रोफोन, स्पीकर्स और पी.ए. सिस्टम है जो विज्ञान के बारे में सबकुछ जानते हैं। सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने में विज्ञान हो रहा है नाकाम |अगर आपको यह न पता होता कि ये सब चीजें कैसे काम करती हैं तो यह बहुत बड़ा रहस्य हो सकता था। लेकिन विज्ञान सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने में लगा है |इसका मतलब यह हुआ कि जो बात आपको समझ नहीं आती, वह आपके लिए रहस्यमयी है। आधुनिक विज्ञान की कोशिश यही है कि वह आपके जीवन के रहस्यों को खोले, जीवन की प्रकृति को समझे। जब आपने एक नवजात बच्चे के रूप में इस दुनिया में कदम रखा और आसपास की चीजों को देखा तो हर चीज आपके लिए रहस्यमय थी|लेकिन एक-एक करके चीजें समझ में आती चली गईं। लेकिन अभी भी बहुत बातें ऐसी हैं जो आपकी समझ से परे हैं। सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने को जितना ज्यादा सुलझाने में लगे हुए है उतना ही जटिलता बढ़ रही है|

हम जितना ज्यादा जान रहे हैं, उतनी जटिलता बढ़ रही है उतना ही

तो जिसे हम विज्ञान कहते हैं, वह बस जीवन की प्रकृति को जानने की एक कोशिश मात्र है। पिछले सौ-दो सौ सालों में विज्ञान ने अद्भुत काम किए हैं। विज्ञान ने इंसान के लिए स्पष्टता लाने की प्रक्रिया में जो कुछ भी किया, वह सब विज्ञान के उपकरणों से ही संभव हुआ। लेकिन इन उपकरणों के जरिए हम इस सृष्टि को जितने करीब से देख रहे हैं, यह और ज्यादा जटिल और पेचीदा होती जा रही है। जब आप बच्चे होंगे तो आपने आसमान और तारों की ओर जरूर देखा होगा? क्या आपने उन्हें कभी गिनने की कोशिश की? जब मैं छोटा था तो अपनी छत पर बैठ जाता था और ध्यान से तारों को गिनने की कोशिश करता था। कभी-कभी तो उन्हें गिनते हुए सत्रह सौ के पार चला जाता था, लेकिन फिर उसके आगे खो जाता था। अगर आप गणित में निपुण होंगे, तो शायद आपने आठ-दस हजार या बारह हजार तक भी गिना होगा, और फिर सोचा होगा कि ये बहुत हैं।

विज्ञान ने सिर्फ आपके चेहरे की त्वचा पर ही अठारह खरब जीव खोज निकाले हैं-

आज आधुनिक विज्ञान अपने उपकरणों की मदद से आपको और बेहतर देखने की क्षमता देता है और वह कह रहा है कि आसमान में खरबों तारे हैं। इस तरह इसने जीवन को आसान नहीं, बल्कि पहले से ज्यादा जटिल बना दिया। क्या आपको आज पता है कि विज्ञान ने सिर्फ आपके चेहरे की त्वचा पर ही अठारह खरब जीव खोज निकाले हैं? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपना चेहरा कितनी बार साफ करते हैं, ये वहीं रहते हैं। तो विज्ञान आपको किसी चीज के जितना करीब लेकर जाता है, उतना ही चीजें पहले से ज्यादा जटिल होती जाती हैं। जाहिर है इससे स्पष्टता नहीं आती।

सृष्टी के रहस्यों को सुलझाने में लगे हुए है विज्ञान

दरअसल विज्ञान का जो महत्व मिला है| तकनीक की वजह से ही मिला है। आप तकनीक का आनंद ले रहे हैं, लेकिन यह तकनीक विज्ञान नहीं है| यह एक नतीजा भर है। चूंकि आप इस तकनीक के फायदों का आनंद ले रहे हैं, इसलिए आप सब विज्ञान के साथ हैं। मान लीजिए कि तकनीक नहीं होती और केवल वैज्ञानिक ही होते जो आपको बताते कि आकाश में दो खरब तारे और आपके चेहरे पर अठारह खरब जीव हैं तो आप उन्हें सिरे से खारिज कर देते। शुरू में ज्यादातर वैज्ञानिकों को ऐसे ही मार दिया गया| क्योंकि लोगों को लगता था कि वे पागल हैं| वे ऐसी बातें बता रहे हैं जो कोई और देख ही नहीं सकता। चूंकि विज्ञान और वैज्ञानिक आपको कई सारे गैजट्स या और भी बहुत सारी चीजें दे रहे हैं, इसलिए आप उन्हें इज्जत देते हैं। अगर तकनीक नहीं होती तो कोई भी वैज्ञानिकों को महत्व नहीं देता। लोगों को बस इस बात से मतलब होता है कि उन्हें क्या मिलने वाला है।

विज्ञान सृष्टी के रहस्यों दूसरे नज़रिए से देखता है

  • सृष्टि को कई तरह से खंगालने की कोशिशों से चीजें आसान नहीं हो रही हैं|
  • बल्कि यह सब और जटिल होता जा रहा है। जैसे-जैसे हमें शरीर की हर कोशिका के बारे में पता चला|
  • हमें लगा कि हम इंसान को पूरी तरह समझ गए हैं|
  • लेकिन अब हमें अहसास हो रहा है कि हम शरीर के एक अणु को भी नहीं समझ सकते।
  • यही सच है। तो विज्ञान आपको इस ब्रह्मांड की बारीकियों से तो अवगत करा रहा है|
  • लेकिन चीजों में स्पष्टता नहीं ला रहा, बल्कि उन्हें और ज्यादा जटिल बना रहा है।
  • तो रहस्यवाद या अध्यात्म कुछ और नहीं है।
  • बस इतना है कि हम चीजों को दूसरे नजरिये से देख रहे हैं। यह भी वही है |
  • जानने की चेष्टा है। अध्यात्म और विज्ञान दोनों ही ज्ञान पाने के मार्ग हैं, दोनों की चेष्टा जानने की है।

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