ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का महत्व जानिए

ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का महत्व जानिए

डेस्क-वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रह हैं जिन्हें नवग्रह कहा जाता है। इसमें सूर्य और चंद्रमा को भी ग्रह माना जाता है। इसके अलावा मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु-केतु भी इनमें शामिल हैं। हालाँकि राहु और केतु ग्रह को छाया ग्रह कहा जाता है।

इन ग्रहों की अपनी एक अलग प्रकृति और अपना भिन्न स्वभाव होता है। अपनी विशेषता के कारण इनमें से कुछ ग्रह शुभ तो कुछ क्रूर ग्रह होते हैं। हालाँकि केवल बुध एक ऐसा ग्रह है जो तटस्थ ग्रह की श्रेणी में आता हैसभी ग्रहों को तीन श्रेणी में विभाजित किया गया है। इनमें शुभ ग्रह में बृहस्पति और शुक्र हैं तो क्रूर ग्रह में सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु शामिल हैं।

जबकि बुध को तटस्थ ग्रह है अर्थात यह शुभ ग्रह के साथ होने पर शुभ और अशुभ ग्रह के साथ होने पर अशुभ प्रभाव देता है। वहीं चंद्रमा शुभ ग्रह तथा अशुभ ग्रह दोनों श्रेणी में है। हालाँकि यह बली होने पर ही शुभ ग्रह माना जाता है, जबकि कमज़ोर होने पर यह क्रूर ग्रह के समान ही फल देता है। इनके द्वारा ही समस्त ज्योतिषीय गणना संभव हैं।

ग्रह क्या होते हैं
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार ग्रह (राहु-केतु को छोड़कर) आकाश मंडल में स्थित वे खगोलीय पिण्ड हैं जो गतिमान अवस्था में रहते हैं। ग्रह पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीव-जंतुओं और मनुष्यों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। खगोल शास्त्र के अनुसार ग्रह सौर मंडल में गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक-दूसरे से निश्चित दूरी में बंधें हुए हैं और वे सूर्य की परिक्रमा कर रह रहे हैं। इसमें सभी ग्रहों की एक निश्चित गति होती है। जैसे- चंद्रमा की गति सबसे तेज़ है अतः चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। इसी प्रकार शनि की गति सबसे मंद है और गोचर के दौरान यह एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढ़ाई वर्ष का समय लेता है।

खगोल विज्ञान के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति
खगोल विज्ञान में बिग बैंग थ्योरी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ब्रह्माण्ड की रचना महाविस्फोट के कारण हुई है। इस सिद्धांत के अनुसार लगभग 14 अरब वर्ष पहले पूरा ब्रह्माण्ड एक इकाई के रूप में था जिसमें एक भयंकर विस्फोट हुआ और इस महाविस्फोट के कारण पूरा ब्रह्माण्ड हीलियम और हाइड्रोजन तथा अन्य गैसों से भर गया। फिर लंबी अवधि के बाद अंतरिक्ष में आकाश गंगा ग्रहों व तारों का जन्म हुआ। खगोल शास्त्र में इसे महाविस्फोट का सिद्धांत कहा गया। खगोल विज्ञान के अनुसार ग्रह सूर्य को केन्द्र मानकर उसकी परिक्रमा करने लगे। सूर्य से ग्रहों की दूरी के आरोही क्रम में सबसे पहले बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि आते हैं। इनमें केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिसमें जीवन है। जल की अधिक मात्रा के कारण इसे नीला ग्रह भी कहते हैं।

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