भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर छुपा है यह रहस्य

बीमार भी हो जाते हैं भगवान

धर्म डेस्क - उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को नील माधव के नाम से जाना जाता है। भगवान का यह विग्रह अपने आपमें अनुपम और अद्भुत है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान इस मंदिर में सशरीर मौजूद हैं और उनकी सेवा उसी रूप में की जाती है। भगवान भी सामान्य मनुष्य की भांति बीमार होते हैं और उनका उपचार किया जाता है। हर 12 साल में इनका आवरण बदल दिया जाता है। भगवान की इस मूर्ति के संबंध में अनेक अजब-गजब कथाएं हैं।

राजा के आदेश पर ब्राह्मण निकले खोजने
एक पौराणिक कथा के अनुसार, आदिवासी जनजाति के मुखिया ‘विश्व्वासु’ स्वामी जगन्नाथ को अपने कुल देवता ‘नील माधव’ के रूप में पूजते थे। वहीं दूसरी तरफ, मालवा के राजा इन्द्रद्युम्न भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। एक बार राजा इन्द्रद्युम्न को सपना आया कि उत्कल (ओडिशा का प्राचीन नाम) में भगवान विष्णु अपने श्रेष्ठ स्वरूप में मिलेंगे।
राजा ने तुरंत कई ब्राह्मणों को उस मूर्ति की खोज में अलग-अलग दिशाओं में भेजा। इन्हीं ब्राह्मणों में एक थे, विद्यापति। भटकते हुए वह एक कबीले में पहुंचे जहां इन्हें पता चला कि यहां के सरदार भगवान विष्णु के नील माधव विग्रह की पूजा करते हैं। यह विग्रह एक घने जंगल के बीच किसी पहाड़ी में गुप्त स्थान पर विराजमान है।

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