आइये जाने और समझे भय्यू महाराज की जन्म कुंडली और आत्महत्या के कारणों को

आइये जाने और समझे भय्यू महाराज की जन्म कुंडली और आत्महत्या के कारणों को

उनकी जन्म कुंडली के ग्रहों ने ऐसा खेल खेला की कुछ अशुभ ग्रहों ने मंगल के दिन हमेशा

डेस्क-राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले, दूसरों की कुंडली देखकर उनकों ग्रहों की चाल बदलने की भविष्यवाणी करने का दावा करने वाले, राष्ट्र संत का दर्जा प्राप्त जाने माने आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज आखिर क्यों स्वयं के ग्रहों की चाल नहीं बदल सके.उनकी जन्म कुंडली के ग्रहों ने ऐसा खेल खेला की कुछ अशुभ ग्रहों ने मंगल के दिन हमेशा के लिए अमंगल कर दिया, और भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली ।

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  • भय्यूजी महाराज की जन्म कुंडली और मृत्यु के समय ग्रहों की चाल एक समान थी भय्यूजी महाराज का जन्म 29 अप्रैल 1968 को सुबह 8 बजे मध्यप्रदेश के अख्तियारपुर ( शुजालपुर कस्बे से 10 किलोमीटर दूर |
  • जिलाशाजापुर (मध्यप्रदेश) में हुआ था उनका वास्तविक नाम उदय सिंह देशमुख था |
  • उनके पिता का नाम विशवास राव देशमुख था जी सरकारी बैंक शाजापुर में मैनेजर रहें |
  • इनकी माँ का नाम कुमुदनी देशमुख हैं | उनके दादा नारायण राव देशमुख, सिंधिया स्टेट के मालदार (जमींदार) थे|
  • भय्यू महाराज का प्रथम विवाह 21 मई 1991 को माधवी के साथ सम्पन्न हुआ था जिनकी मृत्य 22 जनवरी 2015 को हुई थी |
  • इनकी प्रथम संतान पुत्री किहु कल्याणी हैं |
    भय्यू महाराज का दूसरा विवाह 30 अप्रेल 2017 को ग्वालियर निवासी डाक्टर आयुषी शर्मा के साथ सम्पन्न हुआ था |
  • इनकी दूसरी संतान 4 माह पूर्व ही हुई थी|

भय्यू महाराज (उदय सिंह देशमुख ) की जन्म कुंडली का विवेचन
वृषभ लग्न और वृषभ राशि के जातक भय्यूजी महाराज की आज वर्तमान कुंडली के ग्रहों की चाल के अनुसार अष्टमेष, गुरू का मारक योग जो कि उनके लिए मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाला था, तथा उसमे सूर्य का प्रत्यांतर और उसमे भी आज 12 जून 2018 को ब्रहस्पति की उप दशा थी जो कि उनको मृत्यु के समीप लेकर गई ।कल दोपहर (मंगलवार--12 जून 2018 को)में घटना के समय चंद्रमा, शुक्र की राशि व शुक्र के उपनक्षत्र में, सूर्य के साथ सूर्य के नक्षत्र में।.... मामला स्त्री या सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़े मलाल का हो सकता है।

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  • ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कल दोपहर (मंगलवार--12 जून 2018 को घटना के समय में शनि का गोचर अष्ट भाव में ही चल रहा था । इन्हीं ग्रहों की चाल के यही प्रमुख कारण रहा है
  • जिनके चलते भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली । मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाला गूरू जबसे उनके कुंडली के छटे भाव में यानि की तुला राशि में प्रवेश किया था तब से ही वे सबसे ज्यादा तनाव में थे।

जिस समय भय्यूजी महाराज का जन्म हुआ था उस समय, और आज मौत वाले दिन, दोनों ही घड़ी में समान ग्रह थे । मन का कारक चंद्रमा जो कि भय्यूजी महाराज के जन्म लग्न में विराजमान था, आज भी वही चंद्रमा वृषभ लग्न में विराजमान था, और आज सूर्य के साथ यूति बनाकर पड़ा हुआ है । चूंकि हम जानते है कि जातक की मानसिक स्थिति चंद्रमा के द्वारा निर्धारित होती है और चंद्रमा का सूर्य के साथ होने के कारण उसका प्रभाव समाप्त हो गया, जिसके चलते वे कोई भी उपयुकत् निर्णय नहीं ले सके, और उनके जीवन का चंद्रमा अस्त हो गया, इसी कारण भय्यूजी महाराज ज्ञानी होते हुए भी ऐसा अज्ञानता वाला कार्य कर बैठे, और उन्होंने स्वयं का अंत कर लिया ।

  • ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कुछ अशुभ ग्रह होते हैं |
  • इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है । कुछ जातकों की कुंडली में अकाल मृत्यु के योग होते है ।
  • मृत्यु एक अटल सत्य है, जिसे कोई भी नहीं बदल सकता, चाहे वह ईश्वर का प्रतिनिधि कहलाने वाला संत हो या फिर राजा, रंक, कब, किस कारण से, किस की मौत होगी |
  • यह कोई भी नहीं जान और कह सकता, चाहे वह ग्रह नक्षत्रों का कितना ही बड़ा जानकार ही क्यों न हो, कुछ ग्रहों की अशुभ चाल के कारण कुछ लोगों की अल्पायु में ही मौत हो जाती है, और ऐसी मौत को अकाल मृत्यु कहते हैं ।
  • जातक की कुंडली के आधार पर अकाल मृत्यु के संबंध में जाना जा सकता है ।

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