10 जुलाई 2018 से देव गुरु वृहस्पति होंगें मार्गी

10 जुलाई 2018 से देव गुरु वृहस्पति होंगें मार्गी

नौ ग्रहों के द्वारा हम सभी का जीवन संचालित होता है

डेस्क-प्रचलित मान्यता हैं कि ज्योतिष के नौ ग्रहों के द्वारा हम सभी का जीवन संचालित होता है। हम सभी के जीवन की छोटी-बड़ी सभी घटनाओं में बदलते हुए ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि किसी एक समय के दो अच्छे मित्र ग्रह, गोचर और दशा बदलने पर शत्रु बन जाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो सभी जीवमात्र उस सर्वशक्तिमान सत्ता के हाथों की कठपुतलियां हैं |

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  • जिनमें धागों का कार्य नवग्रह कर रहे हैं। इसलिए धागों की दिशा अर्थात ग्रहों का गोचर बदलने पर जीवन स्वतः बदल जाता है।
  • कभी एक और कभी एक से अधिक ग्रह वैसे तो प्रत्येक माह अपनी राशि बदलते ही रहते हैं|
  • परन्तु जब एक साथ कई ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, तो परिणाम विशेष प्रभावशाली हो जाते हैं।

ज्योतिषशाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार देवगुरु बृहस्पति को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के स्वरूप के बारे में बताया गया है कि गुरु स्थूल शरीर, गोरे रंग, कफ प्रकृति, पीली आंखें और पीतम युक्त बाल वाले विद्वान हैं। सूर्य, चंद्र और मंगल ग्रह गुरु के मित्र हैं जबकि बुध और शुक्र शत्रु हैं। शनि ग्रह के प्रति उनका समानता का भाव रहता है। औसतन एक वर्ष एक राशि में भ्रमण करने के कारण इनके गोचर का प्रभाव शनि की भांति ही स्थाई रहता है।

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  • ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि देव गुरु बृहस्पति ज्योतिष के नवग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं।
  • गुरु मुख्य रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने के कारक ग्रह हैं।
  • ये तीर्थ स्थानों, मंदिरों, पवित्र नदियों तथा धार्मिक क्रिया-कलाप से जोड़ते हैं।
  • साथ ही गुरु ग्रह अध्यापकों, ज्योतिषियों, दार्शनिकों, संतान, जीवन-साथी, धन-सम्पत्ति, शैक्षिक गुरु, बुद्धिमत्ता, शिक्षा, ज्योतिष, तर्क, शिल्पज्ञान, अच्छे गुण, श्रद्धा, त्याग, समृद्धि, धर्म, विश्वास, धार्मिक कार्यों, राजसिक और सम्मान के सूचक ग्रह भी हैं।

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गुरु का गोचर वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि गुरु जीवन में उन्नति का कारक होता है और वैदिक ज्योतिष में गुरु को अत्यंत शुभ ग्रह माना जाता है। बृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है और यह ज्ञान, कर्म, धन, पुत्र और विवाह का कारक होता है। बृहस्पति के प्रभाव से जातक का मन धर्म एवं आध्यात्मिक कार्यों में अधिक लगता है। इसके अलावा जातक को करियर में उन्नति, स्वास्थ्य लाभ, मजबूत आर्थिक स्थिति, विवाह एवं संतानोत्पत्ति जैसे शुभ फल प्राप्त होते हैं। यदि कुंडली में बृहस्पति बलवान है तो अन्य ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं होने पर भी कोई कष्ट या हानि नहीं होती है। बृहस्पति के बलवान होने पर उक्त जातक का परिवार, समाज और हर क्षेत्र में प्रभाव रहता है।

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