EPFO सब्सक्राइबर्स को मिलेगा इक्विटी इनवेस्टमेंट बढ़ाने का ऑप्शन

नई दिल्ली : एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) के सब्सक्राइबर्स को ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए शेयरों में रिटायरमेंट कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाने का ऑप्शन जल्द मिल सकता है। यह जानकारी श्रम मंत्रालय के एक सीनियर अफसर ने दी है। श्रम मंत्रालय 26 जून को होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मीटिंग में 15% की इक्विटी इनवेस्टमेंट लिमिट को बढ़ाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है। नॉर्म में किसी तरह का बदलाव करने के लिए फाइनैंस मिनिस्ट्री को नए इनवेस्टमेंट पैटर्न का नोटिफिकेशन जारी करना होगा। ईपीएफओ के अभी 5 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं।

वित्त मंत्रालय के तहत आनेवाले नैशनल पेंशन सिस्टम में 75% तक का कॉन्ट्रिब्यूशन शेयरों में करने का विकल्प मिलता है। सरकारी अधिकारी ने बताया कि रिस्की एसेट्स में निवेश करने के अनिच्छुक ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स को प्लान में इक्विटी कॉन्ट्रिब्यूशन घटाने का ऑप्शन देने पर विचार किया जा रहा है लेकिन यह बात पक्की है कि शेयरों में इनवेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने के लिए इंडियन स्टॉक मार्केट में ज्यादा फंड आ सकता है। ट्रेड वॉर के आसार के बीच ऐसा होना भारतीय बाजार के लिए फायदेमंद होगा।

सीबीटी ईपीएफओ में फैसले लेने वाली शीर्ष संस्था है और इसकी अध्यक्षता श्रम मंत्री करते हैं। इस मिनिस्ट्री की कमान फिलहाल संतोष गंगवार के पास है। इसमें ट्रेड यूनियंस के अलावा सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के एंप्लॉयर्स के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीबीटी की 222वीं मीटिंग के एजेंडे को अब भी अंतिम रूप दिया जा रहा है लेकिन इसमें इक्विटी इनवेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने के प्लान पर भी विचार किए जाने की संभावना है।

सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इक्विटी इनवेस्टमेंट के लिए हमारे पास एक यूनिटाइजेशन पॉलिसी है जो जल्द लागू हो जाएगी। इसको देखते हुए हम एक कदम और बढ़ाते हुए सब्सक्राइबर्स को 15% की लिमिट से ज्यादा या कम इक्विटी इनवेस्टमेंट करने का विकल्प देने पर विचार कर रहे हैं।' सीबीटी ने पिछले साल मेंबर्स के एकाउंट में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) के जरिए इक्विटी में इनवेस्टमेंट करने के बजाय यूनिट क्रेडिट करने वाली एकाउंटिंग पॉलिसी अपनाई थी।

इस एकाउंटिंग पॉलिसी के मुताबिक हर ईपीएफ सब्सक्राइबर के लिए दो अलग अलग मेंबर एकाउंट हेड-फिक्स्ड इनकम और इक्विटी होंगे, जिनमें होल्डिंग यूनिट के तौर पर दिखाई जाएगी और रिटर्न की मार्केट से मार्किंग की जाएगी। उसने ईपीएफओ की अडवाइजरी बॉडी- फाइनैंस इनवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी (FIAC) की इस सिफारिश को भी मंजूरी दी थी कि सब्सक्राइबर्स को कॉन्ट्रिब्यूशन के सिर्फ 15% के लिए इक्विटी यूनिट्स दिए जाएं। इस एलोकेशन के अलावा जो भी यूनिट्स होंगी वे ईपीएफओ के पास रहेंगी।

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