बुराड़ी केस 2015 से ही बुना जाने लगा था मौतों का ताना बाना

बुराड़ी केस 2015 से ही बुना जाने लगा था मौतों का ताना बाना

ललित ने रजिस्टर में लिखा कि पिता की आत्मा ने ही उसे बड़ पूजा के लिए बोला था।

डेस्क -घर के मंदिर में मिले दो रजिस्टरों में निर्वाण, वट तपस्या, शून्य जैसे शब्दों का जिक्र है। नोट के मुताबिक, यदि कोई इन नियमों का पालन करेगा, उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी और भगवान उनकी मदद करेंगे।

रजिस्टर में सबसे पहली बार अगस्त 2015 में और आखिरी बार 30 जून को बातें लिखी गई हैं। बड़ पूजा के लिए चार दिन मंगलवार, बृहस्पतिवार, शनिवार व रविवार तय किए गए थे। ललित ने सभी के मोबाइल फोन साइलेंट करवाए थे और पन्नी में लपेटकर कमरे में रख दिए थे।

बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से साफ हो गया कि सभी की मौत फंदे से लटककर हुई। पुलिस की जांच में एक नया खुलासा हुआ है कि ललित दिमागी रूप से कमजोर था और बड़ पूजा (अनुष्ठान) के बहाने उसने पत्नी के साथ मिलकर सभी की जान ली। सभी को पूजा करने के बहाने फांसी पर लटकाया गया था। रजिस्टर में इसी तरह की बातें लिखी हुई हैं। हालांकि ललित की बहन सुजाता का कहना है कि सभी की हत्या हुई है।

अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ललित के पिता की करीब 12 वर्ष पहले मौत हो गई थी। मनोरोगी बन चुका ललित दावा करता था कि पिता की आत्मा उसके शरीर में प्रवेश कर जो कहती है, वह उन बातों को रजिस्टर में लिखता है।*

ललित वर्ष 2015 से रजिस्टर में लिख रहा था। ललित ने रजिस्टर में लिखा कि पिता की आत्मा ने ही उसे बड़ पूजा के लिए बोला था। पूजा वाले दिन ललित ने सभी को बोला था कि घर में 10 से 15 मिनट की बड़ पूजा (अनुष्ठान) होगी।

इस पूजा के तहत सभी के हाथ बांधेंगे और गले में चुन्नियां लटकेंगी। सभी के नीचे स्टूल होगा। ललित ने सभी को बोला था कि वे 10-15 मिनट बाद पूजा खत्म होने के बाद स्टूल हटा सकते हैं और हाथों को खोल सकते हैं। पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि ललित ने पत्नी के साथ मिलकर सभी के नीचे से स्टूल हटा दिए। नौ चुन्नियां नई मंगाई गई थीं।

ललित ने सभी को बताया था कि पूजा में किसको कहां और कैसे खड़ा होना है और गले में चुन्नी डालनी है। पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि ललित ने स्टूल हटाने के बाद पत्नी व मां के साथ खुदकुशी कर ली। ललित पहले बोल नहीं पाता था। उसका तीन साल इलाज चला, अब वह ठीक से बोलने लगा था। इसके बाद से ही ललित की बातों पर परिजनों का भरोसा बढ़ गया।
नोट में लिखे हैं बड़ तपस्या के नियम
बड़ तपस्या के अनुसार, लोगों को वटवृक्ष की शक्ल में आना पड़ता है जिनकी शाखाएं लटकती रहती हैं। ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं। इस दौरान घर में भोजन नहीं बनना चाहिए और छह घंटे तक अनुष्ठान करने के दौरान फोन को साइलेंट रखना चाहिए।

एक बाबा के संपर्क में था परिवार, तलाश तेज
कॉल डिटेल के आधार पर परिवार का एक बाबा से लगातार संपर्क में रहने का पता चला है। पुलिस उस बाबा की तलाश कर रही है। हालांकि अधिकारिक रूप से पुलिस ने किसी भी बाबा के संपर्क में होने की बात की पुष्टि नहीं की है।

तो भगवान के दर्शन होंगे और वे हम सबको बचा लेंगे..
‘जब हम फंदे पर लटकेंगे तो भगवान के दर्शन होंगे और भगवान हम सबको बचा लेंगे...।’ अब तक की पुलिस की जांच की मानें तो कुछ इसी अंधविश्वास ने पूरे भाटिया परिवार को मौत के मुंह में धकेल दिया। पुलिस के मुताबिक, भाटिया परिवार के घर में बने छोटे से मंदिर के अंदर मिले रजिस्टर में ये बातें लिखी हुई मिलीं।

11 पाइप व 11 पत्तियों का रहस्य
वहीं मौत का रहस्य तांत्रिक क्रिया की ओर इशारा करता है। पड़ोसियों को घर की दीवार पर लगे 11 पाइप और 11 पत्तियां देखकर अजीब लगा था। इनमें चार पाइप बिल्कुल सीधे थे, जबकि सात पाइप टेढ़े लगाए गए हैं। मरने वालों में चार पुरुष और सात महिलाएं हैं। पुलिस अब इस एंगल से जांच कर रही है कि इन पाइपों का कोई मौत कनेक्शन तो नहीं है। घर के मुख्य दरवाजे पर लोहे की 11 पत्तियां लगाई गई हैं।

बहन का खुदकुशी मानने से इनकार
संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया है कि सभी लोगों की मौत फंदे पर लटकने के कारण हुई। इसमें किसी बाहरी शख्स का हाथ नहीं लगता। भुवनेश व ललित की बहन सुजाता ने कहा कि अंधविश्वास के कारण मौत वाली पुलिस की थ्योरी सरासर गलत है। घर से कोई ऐसा रजिस्टर नहीं मिला, जिसमें खुदकुशी करने की बातें लिखीं हों। इस घटना के पीछे जरूर कोई गड़बड़ है।

ललित ने रजिस्टर के नोट में लिखा था..

अंतिम समय में
आखिरी इच्छा की पूर्ति के वक्त
आसमान हिलेगा,
धरती कांपेगी।
उस वक्त तुम घबराना मत।
मंत्रों का जाप बढ़ा देना
मैं आकर तुम्हें उतार लूंगा
औरों को भी उतारने में मदद करूंगा।

ललित का जीवन इतिहास खंगाल रही क्राइम ब्रांच
क्राइम ब्रांच अब ललित के पूरे जीवन का इतिहास खंगाल रही है कि क्या ललित ही अपने पिता का सबसे लाडला बेटा था, कब से उसके अंदर ये ख्याल या यह भावना आना शुरू हुई कि पिता उसके पास आते हैं या उसको देखते हैं आदि। क्राइम ब्रांच का जांच का दायरा परिवार पर आकर टिक रहा है। क्राइम ब्रांच जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की मदद ले सकती है।

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