किस कारण देवर्षि नारद को बनना पड़ा था बंदर जानिए

किस कारण देवर्षि नारद को बनना पड़ा था बंदर जानिए

डेस्क-श्री नारद मुनि बड़े ही तपस्वी और ज्ञानी ऋषि हुए जिनके ज्ञान और तप की माता पार्वती भी प्रशंसक थीं। तब ही एक दिन माता पार्वती श्री शिव से नारद मुनि के ज्ञान की तारीफ करने लगीं। शिव ने पार्वती जी को बताया कि नारद बड़े ही ज्ञानी हैं। लेकिन किसी भी चीज का अंहकार अच्छा नहीं होता है।

  • एक बार नारद को इसी अहंकार (घमंड) के कारण बंदर बनना पड़ा था। यह सुनकर माता पार्वती को बहुत आश्चर्य हुआ ।
  • उन्होंने श्री शिव भगवान से पूरा कारण जानना चाहा। तब श्री शिव ने बतलाया।
  • इस संसार में कोई कितना ही बड़ा ज्ञानी हो, लेकिन श्री हरि जो चाहते हैं वो उसे बनना ही पड़ता है।
  • नारद को एक बार अपने इसी तप और बुद्धि का अहंकार (घमंड) हो गया था ।
  • इसलिए नारद को सबक सिखाने के लिए श्री विष्णु को एक युक्ति सूझी।

हिमालय पर्वत में एक बड़ी पवित्र गुफा थी। उस गुफा के निकट ही गंगा जी बहती थीं। वह परम पवित्र गुफा नारद जी को अत्यन्त सुहावनी लगी। वहां पर के पर्वत, नदी और वन को देख कर उनके हृदय में श्री हरि विष्णु की भक्ति अत्यन्त बलवती हो उठी और वे वहीं बैठ कर तपस्या में लीन हो गए । नारद मुनि की इस तपस्या से देवराज इंद्र भयभीत हो गए कि कहीं देवर्षि नारद अपने तप के बल से उनका स्वर्ग नहीं छीन लें। इंद्र ने नारद की तपस्या भंग करने के लिये कामदेव को उनके पास भेज दिया। वहां पहुंच कर कामदेव ने अपनी माया से वसंत ऋतु को उत्पन्न कर दिया। पेड़ और पत्ते पर रंग-बिरंगे फूल खिल गए कोयले कूकने लगीं और भौंरे गुंजार करने लगे। कामाग्नि को भड़काने वाली शीतल.मंद.सुगंध सुहावनी हवा चलने लगी। रंभा आदि अप्सराएं नाचने लगीं।

  • किन्तु कामदेव की किसी भी माया का नारद मुनि पर कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा। तब कामदेव को डर सताने लगा कि कहीं नारद मुझे शाप न दे दें।
  • इसलिए उन्होंने श्री नारद से क्षमा मांगी। नारद मुनि को थोड़ा भी क्रोध नहीं आया और उन्होंने कामदेव को क्षमा कर दिया।
  • कामदेव वापस अपने लोक में चले गए। कामदेव के चले जाने पर नारद मुनि के मन में अहंकार (घमंड) हो गया कि मैंने कामदेव को जीत लिया।
  • वहां से वे शिव जी के पास चले गए और उन्हें अपने कामदेव को हारने का हाल कह सुनाया।
  • भगवान शिव समझ गए कि नारद को अहंकार हो गया है।
  • शंकरजी ने सोचा कि यदि इनके अहंकार की बात विष्णु जी जान गए तो नारद के लिए अच्छा नहीं होगा।
  • इसलिए उन्होंने नारद से कहा कि तुमने जो बात मुझे बताई है उसे श्री हरि को मत बताना।

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