Rudraksh धारण करना सेहत के लिए है फायदेमंद

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गणेश Rudraksh धारण करने से बुध ग्रह अनुकूल फल देने लगता है।

डेस्क- Rudraksh का पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों में बहुत महत्व है़| यह एक से लेकर 14 मुखी तक होता है़ | इसकी माला गले में धारण करने से ह्दय और मन को शांति मिलती है़।

पण्डित दयानन्द के अनुसार एक मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का विग्रह माना जाता है़ ।
यह शरीर के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है़। इससे रक्तचाप सामान्य होता है़ । इसका वानस्पतिक नाम इलेकारपस गोनटीरस है यह इलेकारपेसी परिवार का पौधा है़ ।

उपयोगी भाग : इसका उपयोगी भाग फल और फूल होता है।

जानें Rudraksh के औषधीय उपयोग

  • यह यानी रुद्राक्ष गर्म प्रकृति का होता है़|
  • इसलिए खून साफ करता है़ ।
  • रात को इसे पानी में फुला कर रखना चाहिए़।
  • सुबह इस पानी को पीने से हृदय रोग में लाभ होता है़।
  • यह आंख, कान, नाक और गले की बीमारी में भी उपयोगी है़ साथ ही इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है़।
  • यह घाव, दाग और धब्बे को भी ठीक करता है़ ।

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 Rudraksh इन बीमारी में है फायदेमंद

अनिद्रा, मिर्गी :

ब्राह्मी के साथ घिस कर पीने से अनिद्रा और मिर्गी की बीमारियों में लाभ पहुंचता है ।

स्मरण शक्ति :

  • स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाने के लिए रुद्राक्ष घोड़ा बच, स्वर्ण, शंख को एक साथ पत्थर पर घिस कर सुबह और शाम को एक चम्मच शहद के साथ प्रयोग करना चाहिए़ ।

दमा :

खांसी और दमा में रुद्राक्ष को घिस कर शहद के साथ प्रयोग करना चाहिए़ । गाय के ताजे दूध के साथ घिस कर प्रयोग करने से भी लाभ होता है़ ।

रक्तचाप : इसकी माला को गले में पहनना चाहिए ।

चर्म रोग : रुद्राक्ष को गोमूत्र के साथ घिस कर प्रयोग करना चाहिए ।

घाव : घाव में रुद्राक्ष को तुलसी पत्ता के साथ पीस कर लेप किया जाता है़ ।

जोड़ों को दर्द : रुद्राक्ष को पीस कर सरसों के तेल के साथ मिला कर मालिश करने से गठिया, जोड़ों का दर्द में आराम मिलता है़ ।

ध्यान दें- रुद्राक्ष को चिकित्सीय परामर्श के बाद ही उपयोग करें।।

स्मरण शक्ति बढ़ाता है

  • यदि आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नही लगता है तो घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि गणेश रुद्राक्ष इन सभी समस्याओं का एकमात्र आसान उपाय है।
  • इसके साथ या अतिरिक्त आप 6 मुखी रूद्राक्ष भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • ज्योतिष के अनुसार पढ़ाई में सफलता के लिए बुध ग्रह का अनुकूल होना आवश्यक होता है।
  • बुध ग्रह यदि अनुकूल हो तो व्यक्ति तीव्र बुद्धि से युक्त होता है तथा सामान्य प्रयास करने पर भी बेहतर परिणाम पा सकता है।
  • पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गणेश रुद्राक्ष धारण करने से बुध ग्रह अनुकूल फल देने लगता है।
  • गणेश रुद्राक्ष अध्ययन के प्रति एकाग्रता में वृद्धि करता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है तथा लेखन की शक्ति में भी वृद्धि करता है। इसके प्रभाव से सामान्य क्षमता वाला विद्यार्थी भी बेहतर परीक्षा परिणाम प्राप्त कर सकता है।

जानिए कैसे व कब धारण करें

  • ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गणेश रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे गाय के कच्चे दूध तथा गंगाजल से धो लें तथा उसका पूजन करें। इसके पश्चात गणपति अर्थवशीर्ष का पाठ करें।
  • गणेश रुद्राक्ष को हरे रंग के धागे में धारण करें।

किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष में जिस बुधवार को सर्वाथसिद्धि योग बन रहा हो, उस दिन गणेश रुद्राक्ष पहनना शुभ होता है।

कुछ तो विशेष है रुद्राक्ष में
ध्यान, योग, ताई-ची जैसी वैकल्पिक चिकित्सा में रुद्राक्ष का स्थान सबसे ऊपर है। रुद्राक्ष के अध्यात्मिक गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं। मस्तिष्क को एकाग्र और कुशाग्र बनाने में रुद्राक्ष के गुण सर्वविदित हैं। इसे पहनने वाले के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बन जाता है, जिससे अच्छा स्वास्थ्य, आंतरिक प्रसन्नाता, आध्यात्मिक उन्नति, समृद्घि, रचनात्मकता, परिवार में सामंजस्य, आकर्षण, निडरता और मानसिक प्रबलता आती है।

रुद्राक्ष का रसायनिक संयोजन
तत्व.......................प्रतिशत
कार्बन.....................50.024
हाइड्रोजन..................17.798
नाइट्रोजन.................0.9461
ऑक्सीजन..............30.4531

रुद्राक्ष में एल्यूमीनियम, कैल्शियम, क्लोरिन, कॉपर, कोबाल्ट, निकल, आयरन, मैग्नीशियम, मैग्नीज, फास्फोरस, पौटेशियम, सोडियम, सिलिकॉन ऑक्साइड और जिंक भी पाया जाता है। हालाँकि इनकी मात्रा काफी कम होती है। रुद्राक्ष में चुंबकीय और विद्युतीय गुण भी होतेहैं। वनस्पति शास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष का पेड़ इलयोकैरपस जेनिट्रस प्रजाति का होता है।

रुद्राक्ष से मिलता है सकारात्मक ऊर्जा

ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार रुद्राक्ष से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा का सबसे ज्यादा असर इसे पहनने वाले व्यक्ति के मन, मस्तिष्क और रक्त पर पड़ता है। मानसिक बीमारियों, तनाव, अनिद्रा को दूर करने के साथ इससे रक्त की शुद्घता बनी रहती है।

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