भूत प्रेतों का यह रहस्य जानकर आप भी रह जायेगे हैरान

भूत प्रेतों का यह रहस्य जानकर आप भी रह जायेगे हैरान

किसी के शरीर में कोई भूत समा जाता है

डेस्क-भूत या प्रेत के बारे में बहुत से लोगों के बहुत से किस्से सुन रखें होंगे लेकिन देखा किसने है? हालांकि कई लोग यह दावा करते हैं कि हमने भूत देखा है। हमारा भूतों से सामना हुआ है। यह भी देखने में आया है कि किसी के शरीर में कोई भूत समा जाता है जिसे प्रेतबाधा से ग्रस्त व्यक्ति कहते हैं। आओ हम आपको भूत के बारे में कुछ रोचक और चौंकाने वाली बाते बताते हैं।

  • देशभर में ऐसे कई स्थान हैं जहां भूतों का साया होने का दावा किया जाता है।
  • किसी जंगल में, पेड़ पर या किसी घर में भूतों के होने के किस्से आपको हर शहर के प्रत्येक मोहल्लों में मिल ही आएंगे।
  • कहते हैं कि कई दिनों से खाली पड़े घर में भूतों का बसेरा हो जाता है। दरअसल, भूत कोई भी इंसान हो सकता है।
  • बस फर्क यह होता है कि उसके पास अब वह शरीर नहीं होता जो हाड़-मास का बना है।

    आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं -जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।

मरने के बाद कौन बनता हैं भूत

जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भू‍त बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।

  • वैसे, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से आत्मा के मूलत: तीन शरीर होते हैं- पहला स्थूल शरीर, दूसरा सूक्ष्म शरीर और तीसरा कारण शरीर।
  • स्थूल शरीर की प्राकृतिक उम्र 120 वर्ष है जबकि सूक्ष्म शरीर की उम्र करोड़ों वर्ष है
  • आत्मा का कारण शरीर अजर अमर रहता है। इस अवस्था में आत्मा बीज रूप में विद्यमान रहती है।
  • जिस तरह से स्थूल शरीर को योग, आयुर्वेद के माध्यम से 150 वर्षों से भी अधिक समय तक जिंदा रखा जा सकता है
  • उसी तरह सूक्ष्म शरीर जितना मजबूत और स्वस्थ होगा वह उतना शक्ति और सिद्धि संपन्न बन जाता है।

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