घाघरा नदी में नाव चलाकर इन परिवारो का चलता है रोजी-रोटी का सहारा

घाघरा नदी में नाव चलाकर इन परिवारो का चलता है रोजी-रोटी का सहारा

हर तरफ तबाही का मंजर साफ दिखाई पड़ता है

डेस्क-कहते हैं बाढ़ कभी भी बताकर नहीं आती, लेकिन जब आती है तो हर तरफ तबाही का मंजर साफ दिखाई पड़ता है। वहीं बाढ़ के वक्त खतरे से निपटने के सरकारी इंतजामों की अगर बात करें तो वह भी ऊंट के मुंह में जीरा की तरह ही किसी मजाक से कम नहीं। ऐसे में गांव में कुछ लोग ऐसे हैं जो नांव बनाने का काम करते हैं। बाढ़ के समय लोग इन्हीं नांवों के सहारे सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ नांव बनाने वालों के लिए बाढ़ का सीजन अच्छी कमाई का जरिया बन जाता है।


जैसे ही घाघरा नदी में पानी बढ़ने की आहट सुनाई पड़ी, ये लोग नाव बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। बाढ़ और बरसात के पूरे सीजन में ग्रामीण इन्हीं नाव के सहारे ही अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं। हर साल बाढ़ और कटान के चलते दर्जनों गांवों में पानी का भर जाता है और सड़कें गायब हो जाती हैं। जिसके चलते ग्रामीण जरूरी सामान की खरीदारी, खेती, बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने जैसे तमाम कामों के लिए नाव का सहारा लेते हैं। जिसके चलते जुलाई महीना शुरू होते ही नाव बनाने वाले अपने काम में जुट जाते हैं।

नांव बनाने वालों ने बताया कि इलाके में जब बाढ़ आती है तभी उनके पास काम आता है। दो महीने तक नाव बनाकर वह अपने परिवार के रोजी-रोटी का इंतजाम करते हैं। नांव बनाने वालों ने बताया कि बाढ़ तो कुदरत का कहर है और उसी समय उनके काम की डिमांड भी होती है, लेकिन वह कभी नहीं चाहते की बाढ़ से कोई नुकसान हो। उन्होंने बताया कि गांव में जिसका खेत नदी के उस पार है तो वह बिना नांव के वहां पहुंच नहीं सकता। इसीलिए उनकी बनाई हुई नांव किसान तो खरीदते ही हैं इसके अलावा जब कहीं बांध कट जाए तो जरूरत पड़ने पर सरकारी लोग भी खरीदकर लेकर जाते हैं। जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है।

वहीं नांव बनवाने वाले एक ग्रामीण से जब हमने बात की तो उसने बताया कि वह भी अपने लिए एक नांव बनवा रहा है। क्योंकि जब इलाके में बाढ़ का पानी बढ़ जाता है तो अपने खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। उस समय ये नांव ही उनका सहारा बनती है और वह इसी के सहारे अपने खेतों तक पहुंच पाते हैं। ग्रामीण ने बताया कि बाढ़ के समय वह इससे लोगों को नदी भी पार कराता है और इससे कुछ कमाई भी हो जाती है।

Share this story