आइये जाने आत्महत्या या डिप्रेशन के सामान्य लक्षण

आधुनिक भागदौड के इस जीवन में कभी न कभी हर व्यक्ति डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो ही जाता है।

डेस्क-डिप्रेशन आज इतना आम हो चुका है कि लोग इसे बीमारी के तौर पर नहीं लेते और नजरअंदाज कर देते हैं।किन्तु ऎसा करने का परिणाम कभी कभी बहुत ही बुरा हो सकता है।
काम की भागदौड़ में कई बार इंसान  डिप्रेशन का शिकार हो जाता है यानी वह मानसिक अवसाद में आ जाता है। ऐसा होना आम बात है लेकिन कई बार डिप्रेशन इतना अधिक बड़ जाता है कि वह कुछ समय के लिए अपनी सुध-बुध खो बैठता है। कुछ लोग डिप्रेशन के कारण पागलपन का शिकार भी हो जाते हैं।
आए दिन अखबार के किसी कोने में देखने को मिल रहे है। कभी किसी ने परीक्षा मे फेल होने पर फांसी लगाई तो किसी ने प्यार में नाकाम होने पर किसी ने खुद को आग के हवाले कर दिया।
बदलती जीवनशैली के कारण आज युवाओं के भीतर सहनशक्ति में भी अत्याधिक कमी देखी जा रही है. वर्तमान समय में लगभग सभी ओर प्रतिस्पर्धा हावी हो चुकी है. पढ़ाई, कॅरियर और पारिवारिक जिम्मेदारियां कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं जिनमें असफलता व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर देती है. जाहिर है कोई व्यक्ति अपने सुनहरे सपनों और बहुमूल्य जीवन का अंत खुशी से नहीं करेगा. अगर वे आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाते हैं या कोशिश भी करते हैं तो इसके पीछे उनकी कोई बहुत बड़ी विवशता होती है.
पुरूषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन में ज्यादा होती है
पुरूषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन से अधिक प्रभावित होती हैं। कुछ शोधकर्ता ऐसा मानते हैं कि डिप्रेशन से वो महिलाएं प्रभावित होती हैं जिनका कोई इतिहास होता है जैसे कि वो पहले कभी सेक्सुअली एब्यूज़ हुई हों या फिर उन्हें किसी प्रकार की इकानामिक परेशानी हुई हो।कई दूसरी बीमारियों की तरह डिप्रेशन भी एक अनुवांशिक बीमारी है। डिप्रेशन की एवरेज एज 20 वर्ष से उपर होती हैं। कुछ फिज़ीशियन ऐसा मानते हैं कि ड्रिप्रेशन दिमाग में मौजूद कैंमिकल्स में हुई गड़बड़ी से होता है इसलिए वो एण्टी डिप्रेसेंट दवाएं देते हैं … लेकिन अभी तक ऐसा कोई टेस्ट सामने नहीं आया है, जिसकी मदद से इन कैमिकल्स का लेवल पता किया जा सके। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है कि मूड बदलने से जीवन के अनुभव बदलते हैं या इन अनुभवों से मूड बदलता है।डिप्रेशन शारीरिक परेशानियों से भी जुड़ा होता है जैसे फिज़िकल ट्रामा या हार्मोन में होने वाला बदलाव। डिप्रेशन के मरीज़ को अपना शारीरिक टेस्ट भी करा लेना चाहिए।

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