हो जायें सावधान ATM धोखाधड़ी में न लगे जाये बड़ी चोट

हो जायें सावधान ATM धोखाधड़ी में न लगे जाये बड़ी चोट

ATM कार्ड का पिन पता लगाने के लिए अपराधी मशीन में लगे पिन पैड के ऊपर मुलायम झिल्ली लगा देते हैं।

डेस्क-बैंकों की ऑटोमेटेड टेलर मशीनों यानी ATM में धोखाधड़ी की खबरें आए दिन आती रहती हैं। 2016 में तो हद ही हो गई थी। उस साल एटीएम नेटवर्क की सुरक्षा में सेंध लगा दी गई थी, जिससे कई ग्राहकों को चूना लग गया था।

  • एटीएम पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी सुरक्षा में सेंध लगाना आसान हो गया।
  • इस घटना से चौकन्ने हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी सभी बैंकों से अपने एटीएम के ऑपरेटिंग सिस्टम दुरुस्त करने के लिए कहा है।
  • केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जो एटीएम अभी तक विंडोज एक्सपी और उससे पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहे हैं, उनमें जून
  • 2019 तक नवीनतम ऑपरेटिंग सिस्टम डाल दिया जाए। साथ ही बैंकों से अगले साल मार्च तक स्किमिंग रोधी उपाय करने के लिए भी कहा गया है।

देश भर में करीब 2.40 लाख है  ATM


लेकिन यह काम बहुत आसान नहीं है। हिताची पेमेंट सर्विसेज के मुख्य कार्य अधिकारी रुस्तम ईरानी कहते हैं, 'एटीएम को दुरुस्त करने की कवायद तो लगातार चल रही है। लेकिन देश भर में करीब 2.40 लाख एटीएम हैं। अगर उनमें से 30 फीसदी भी पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहे हैं तो इसका मतलब है कि कम से कम 72,000 एटीएम को अपग्रेड करना पड़ेगा। इसमें खर्च तो आएगा ही, कामकाज के लिहाज से भी यह कोई छोटी कवायद नहीं है क्योंकि एटीएम बनाने वाली कंपनी ही उसे अपग्रेड कर सकती है।'

एटीएम पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहा है

विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 80 फीसदी एटीएम अब भी पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही चल रहे हैं और करीब एक तिहाई में तो विंडोज एक्सपी से भी पहले के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। आरबीआई ने तो सभी एटीएम को अपग्रेड करने और स्किमिंग रोधी उपाय लागू करने के लिए साल भर का समय दिया है, लेकिन तब तक ग्राहक थोड़ी सावधानी बरत लें तो एटीएम से जुड़ी धोखाधड़ी से आसानी से बच सकते हैं। अगर एटीएम पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहा है तो ग्राहक के हाथ में अपनी सुरक्षा के इक्का-दुक्का उपाय ही हैं। ईवाई में धोखाधड़ी जांच एवं विवाद सेवाओं के पार्टनर मुकुल श्रीवास्तव बताते हैं, 'अपना पासवर्ड नियमित रूप से बदलकर आप खतरे को कम कर सकते हैं। कई बैंक अपने ग्राहकों को एक खास सुविधा देते हैं, जिसके तहत ग्राहक अपने खाते या एटीएम कार्ड से दैनिक निकासी और दैनिक खर्च की सीमा तय कर सकते हैं। वे बैंक की ऐप पर जाकर अंतरराष्टï्रीय लेनदेन को ब्लॉक भी कर सकते हैं। अगर आप जोखिम कम से कम करना चाहते हैं तो ऐसी सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।'

रिजर्व बैंक के सामने एक बड़ी चिंता

  • रिजर्व बैंक के सामने एक बड़ी चिंता कार्ड की स्किमिंग की है।
  • जब धोखाधड़ी करने वाले तत्व कानूनी और सही लेनदेन के वक्त
  • किसी उपकरण का इस्तेमाल कर ग्राहक के क्रेडिट या डेबिट
  • कार्ड की समूची जानकारी रिकॉर्ड कर लेते हैं और ऊपर लगी काले रंग की चुंबकीय पट्टïी का ब्योरा भी ले लेते हैं तो उसे स्किमिंग कहते हैं।
  • स्किमिंग के लिए एटीएम पर नन्हा उपकरण फिट कर दिया जाता है।
  • ईरानी बताते हैं कि धोखेबाज आम तौर पर तीन तरीकों से आपकी गोपनीय जानकारी चुरा लेते हैं।
  • एटीएम में जिस जगह कार्ड डाले जाते हैं, उस जगह वे कार्ड रीडर लगा देते हैं।
  • जैसे ही ग्राहक अपना कार्ड डालता है, कार्ड रीडर उस पर दर्ज पूरी जानकारी पढ़ लेता है।
  • ईरानी आगाह करते हैं, 'जब भी एटीएम पर जाएं तो कार्ड डालने से पहले जांच लें कि उस स्लॉट में कुछ उभरा हुआ तो नहीं दिख रहा और हाथ लगाकर देखें कि कुछ अलग से तो नहीं लगाया गया।
  • यदि खोखा करने वाले ने गोंद आदि लगाकर कार्ड रीडर चिपका दिया है तो हल्का सा झटका देने पर ही वह बाहर आ जाएगा।'

नंबर पैड को दूसरे हाथ से ढकने की आदत डाल

  • एटीएम कार्ड का पिन पता लगाने के लिए अपराधी मशीन में लगे पिन पैड के ऊपर मुलायम झिल्ली लगा देते हैं।
  • अगर आप अक्सर एटीएम का इस्तेमाल करते हैं तो पिन पैड के बटन दबाते ही आपको पता चल जाएगा कि कुछ गड़बड़ है।
  • ऐसा लगे तो उस एटीएम से बिना निकासी ही बाहर आ जाएं।
  • ऐसा भी हो सकता है कि नंबर पैड के ऊपर किसी तरह का उपकरण लगा हो, जिसके भीतर कैमरा हो और कैमरे के ठीक सामने छेद हो। उस सूरत में जैसे ही ग्राहक पिन डालेगा, कैमरा उसे रिकॉर्ड कर लेगा।
  • इससे बचने के लिए पिन डालने से पहले अपना हाथ ऊपर ले जाइए और देखिए कि नंबर पैड के ठीक ऊपर छेद वाला उपकरण तो नहीं है।
  • कोई उपकरण नहीं हो तब भी पिन डालते समय नंबर पैड को दूसरे हाथ से ढकने की आदत डाल लीजिए।

कैश डिसपेंसर

अंत में यह सुनिश्चित कर लीजिए कि अगर एटीएम आपकी रकम की निकासी दिखा रहा है तो रकम आपके हाथ में भी आ जाए। जिस जगह से नकदी बाहर आती है, उसे कैश डिसपेंसर कहते हैं। धोखाधड़ी करने वालों ने अब उस डिसपेंसर के ऊपर भी कुछ लगाना शुरू कर दिया है। वैसी हालत में ग्राहक को यह लग सकता है कि एटीएम ने उसकी रकम बाहर नहीं निकाली है, लेकिन असल में रकम बाहर आई है और धोखेबाज द्वारा लगाए गए उपकरण में चली गई है। ग्राहक बैंक या एटीएम को कोसता हुआ चला जाता है और धोखेबाज फौरन एटीएम में जाकर नकदी निकाल लेता है।

ग्राहकों को कुछ सामान्य सतर्कता बरतने की भी सलाह दी जाती है


इस मामले में ग्राहकों को कुछ सामान्य सतर्कता बरतने की भी सलाह देते हैं। उनका कहना है कि अक्सर ग्राहक लापरवाह होते हैं और मामूली सी रकम बचाने के चक्कर में बैंक से एसएमएस सेवा नहीं लेते, जबकि उसके एवज में बैंक बहुत कम शुल्क लेते हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में साइबर सुरक्षा सेवाओं के पार्टनर शिवराम कृष्णन कहते हैं, 'किसी भी तरह की धोखाधड़ी का शिकार होने से बचने के लिए यह कीमत बहुत छोटी है। इसके साथ ही जांचते रहें कि रोजाना आपके खाते में कितनी राशि है।

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