जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व और कैसे करें गुरु की पूजा
श्रद्धानुसार उनका पूजन अर्चन करके उनसे आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए
डेस्क-आज 27 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, इसको ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस दिन सभी को अपने गुरुओं को आसन प्रदान कर के अपनी श्रद्धानुसार उनका पूजन अर्चन करके उनसे आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इस दिन ही वर्ष का सबसे लंबा चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है. जो रात्रि 11:54 से प्रारंभ होगा और रात्रि 3:49 तक रहेगा। जिसका सूतक 9 घंटे पूर्व दोपहर 2:54 से प्रारंभ हो जाएगा।
इस दिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, इसको ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरु पूजा का विधान है. गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है. इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं. ये चार महीने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होते हैं. न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं. जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, ऐसे ही गुरु चरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
गुरु पूर्णिमा का यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी. इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है. उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।
राम कृष्ण सबसे बड़ा उनहूं तो गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी गुरु आज्ञा आधीन॥’