पुलिस का टूटा गांव वालों पर कहर गांव छोड़ने को हो रहे मजबूर
तस्करी के लिए कुख्यात टिकरा की बदली आबोहवा,
लेकिन नहीं बदल पाई पुरानी पहचान
पुराने दाग के चलते पुलिस आज भी करती है शर्मसार
बाराबंकी (सैफ मुख्तार) -बाराबंकी की पुलिस अपने को कानून से ऊपर समझती है दबिश के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न करती है । सुरक्षा करने के बजाय इतना लोगों को प्रताड़ित कर चुकी है कि अब लोग गांव ही छोड़ने को मजबूर है ।
करीब सत्तर के दशक से ही बाराबंकी जिला अफीम की खेती का देश में सबसे बड़ा हब बनकर उभरा था। यहां के कई गांवों में किसान अफीम की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते थे। इन्हीं में से एक गांव ऐसा था जो अफीम की तस्करी और मारफीन बनाने के लिए कुख्यात रहा। इस गांव का नाम है टिकरा, कहते हैं दशक भर पहले तक यहां घर-घर अफीम से मारफीन बनाने का काम होता था। टिकरा का यही अतीत आज भी यहां रह रहे लोगों का साथ नहीं छेड़ रहा। खास रिपोर्ट...
नई जिंदगी की अंगड़ाई ले रहा टिकरा गांव बाराबंकी जिले के जैदपुर थाना क्षेत्र में आता है। दरअसल एक समय अफीम तस्करी का हब बनने वाले यूपी में बाराबंकी जिले का ये गांव पूरे विश्व में कुख्यात था। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, पंजाब से लेकर दुबई और कुवैत तक फैले तस्करी नेटवर्क को लोग यहीं से बैठकर हैंडिल करते थे। कहते हैं टिकरा के जाशिम मियां ने तो एक बार हेलीकाप्टर के लिए आवेदन तक कर दिया। इसी सब के चलते टिकरा का नाम दुनिया भर में जाना जाने लगा। हालांकि अब कुछ ही लोग इस धंधे से जुड़े हैं और टिकरा के ज्यादातर लोगों की रोजी-रोटी का साधन बदल गया है, लेकिन गांव की पुरानी पहचान से यहां के बुजुर्ग और नौजवान आज भी शर्मसार होते रहते
उस समय तस्करी के जरिए बने रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है जिले के थानों में तैनाती बस टिकरा के लोग अपने हिसाब से करवाते थे। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट है। उस दौर में यहां रहने वाले लोगों के ऊपर रसूखदार और सफेदपोशों का हाथ रहता था। जैसे-जैसे अफीम तस्करों में कमी आई, यहां के लोगों का रसूख मिट्टी में मिलता चला गया। लेकिन गांव पर लगा वो दाग आज भी यहां के लोगों की जिंदगी में किसी अभिशाप से कम नहीं है। उसी पुरानी पहचान के चलते अक्सर पुलिस वाले यहां आते हैं और गांव के लोगों के साथ बुरा बर्ताव करते हैं।
गांव के इसरार बताते हैं कि पुलिस वालों का जब मन होता है तो फोर्स लेकर यहां चले आते हैं। हमारे घरों में तोड़फोड़ करते हैं और हम लोगों को भी मारते पीटते हैं। पुलिस वाले हमारे घरों की लड़की और औरतों को भी नहीं छोड़ते और उनसे अभद्रता करते हैं।
इसरार ने बताया कि पुलिस वालों का बस एक मकसद रहता है कि हम लोग उन्हें पैसे दें। जब हम लोग मना करते हैं तो वह हमें झूठे मामले में फंसाने की धमकी देते हैं। इसरार के मुताबिक यहां के लोग अब इतना परेशान हो चुके हैं कि वह गांव छोड़कर दूसरी जगह बसने को तैयार हैं।
गांव की ही एक महिला के मुताबिक दो दिन पहले उनके घर में जैदपुर थाने के पुलिसवाले धुस आए और सभी के साथ मारपीट करने लगे। उनकी बहू गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच गई है। पुलिसवाले हमारे देवर को पकड़कर ले गए और हम लोगों से पैसे मांग रहे थे।
वहीं गांव वालों के आरोपों पर बाराबंकी के पुलिस अक्षीधक वीपी श्रीवास्तव का कहना है कि पुलिस का प्रयास रहता है कि तस्करी से जुड़ी हर सूचना पर तत्परता से काम किया जाए। इसीलिए मुखबिर की सूचना पर पुलिस अक्सर दबिश देती रहती है। एसपी का कहना है कि वह फिर भी गांव वालों की शिकायत की जांच करवाएंगे और अगर उनके आरोप सही हैं तो वह सख्त कार्रवाई करेंगे।