वर्ष 2018 में सावन सोमवार व्रत की तिथियां

वर्ष 2018 में सावन सोमवार व्रत की तिथियां

सावन सोमवार व्रत की तारीख

(राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार)

तारीख दिन पर्व
28th जुलाई 2018 शनिवार सावन माह का पहला दिन
30th जुलाई 2018 सोमवार सावन सोमवार व्रत
06th अगस्त 2018 सोमवार सावन सोमवार व्रत
13th अगस्त 2018 सोमवार सावन सोमवार व्रत
20th अगस्त 2018 सोमवार सावन सोमवार व्रत
26th अगस्त 2018 रविवार सावन माह का अंतिम दिन

सावन सोमवार व्रत की तारीख
(आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडू)

तारीख दिन पर्व
12th अगस्त 2018 रविवार सावन माह का पहला दिन
13th अगस्त 2018 सोमवार सावन-सोमवार व्रत
20th अगस्त 2018 सोमवार सावन-सोमवार व्रत
27th अगस्त 2018 सोमवार सावन-सोमवार व्रत
03rd सितंबर 2018 सोमवार सावन-सोमवार व्रत
09th सितंबर 2018 रविवार सावन माह का अंतिम दिन
ऐसे करें भगवान् शिव जी की आराधना ----
।। || ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं,वन्दे जगत्कारणम् lवन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं,वन्दे पशूनां पतिम् लाल
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं,वन्दे मुकुन्दप्रियम् lवन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं,वन्दे शिवंशंकरम।।।
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कुछ छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है, ये उपाय इतने सरल हैं कि इन्हें बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। हर समस्या के समाधान के लिए शिवपुराण में एक अलग उपाय बताया गया है, ये उपाय इस प्रकार हैं-
शिवपुराण के अनुसार इन छोटे उपायों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है :-
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद जरूरतमंदों में बांट देना चाहिए।
शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है, सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा भगवान शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
तीक्ष्ण बुद्धि के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।
यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर है तो उसे उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का अभिषेक गौ माता के शुद्ध घी से करना चाहिए ।
शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
शिव को प्रसन्न करने के लिए डमरू जरूर बजाएं और बम बम भोले बम बम भोले कहने से कृपा मिलेगी |
जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
कनेर के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजन में शुभ माना गया है।
दूर्वा से भगवान शिव का पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
शिव जी को स्तुति प्रिय है अतः स्तुतियों से करें शिव आराधना---
शिव सहस्त्रनामावली का पाठ करें | शिव की सबसे प्रचलित स्तुति है---
ॐ कर्पूर गौरं करुणावतारं
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं
सदा वसन्तं हृदयारवृन्दे
भवं भवानी सहितं नमामि !!
जानिए सावन में शिवजी की पूजा का कारण----
देवी सती ने पिता दक्ष के घर में शरीर त्यागने के समय हर जन्म में महादेव को पति बनाने का प्रण लिया था। अगले जन्म में देवी ने पार्वती के
रूप में जन्म लिया और सावन के महीने में निराहार व्रत करके महादेव को प्रसन्न करके उनसे विवाह किया था। इसी वजह से सावन का महीना
शिवजी को प्रिय है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए और विवाहित महिलाएँ सुहाग की सलामती के लिए सावन के सोमवार का व्रत करती है।
स्त्री पुरुष सभी को सावन के महीने में शिव की पूजा करने से लाभ होता है।
शिव जी का व्रत तीन प्रकार से किया जाता है।
प्रति सोमवार व्रत , सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार व्रत। तीनो की विधि एक समान ही होती है। व्रत उपवास अवश्य करने चाहिए। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग है ,जो की शिव जी के विशेष मंदिर है। इनके दर्शन का बहुत महत्त्व है।
12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार है :
सोमनाथ – गुजरात ,
मल्लिकार्जुन – आन्ध्र प्रदेश ,
महाकालेश्वर – उज्जैन , मध्य प्रदेश ,
ओंकारेश्वर – इंदौर , मध्य प्रदेश ,
केदारनाथ – उत्तराखंड ,
भीमाशंकर – पूना , महाराष्ट्र ,
विश्वनाथ – काशी ,उत्तर प्रदेश ,
त्रयंबकेश्वर – नासिक , महाराष्ट्र ,
बैद्यनाथ – बिहार ,
नागेश्वर – द्वारिका , गुजरात ,
रामेश्वरम – रामनाथ पुरम , तमिलनाडु ,
घृष्णेश्वर – दौलताबाद , महाराष्ट्र
इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव---
सावन के माह में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं, इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी ।
अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल का धूप दें।
सावन के माह में शिवलिंग पर केशर मिला दुध चढाने से विवाह कार्य में आ रही बाधा दूर होती है।
सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में ‘राजा’ ‘महाराजा’ जैसी सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।
सावन में गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद शिव मंदिर में भगवान शिव का जल से अभिषेक कर उन्हें काले तिल अर्पण करें तत्पश्चात मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। इससे मन को शांति मिलेगी।
सावन में किसी नदी या तालाब जाकर ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं, यह धन प्राप्ति का बहुत ही सरल उपाय है।
सोमवार के दिन भगवान शिवजी को घी, शक्कर, गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद धूप, दीप से आरती करें। प्रसाद को गुरुजनों, बुजुर्गों और परिवार, मित्र सहित ग्रहण करें।
सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
इस मंत्र का करें जाप---
ॐ नमः शिवाय॥
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार एक ग्रन्थ में आया की श्रावण में कोई नित्य रावण कृत शिव ताण्डव स्त्रोत का पाठ करता हैं तो रावण उन पर मेहरबान होता हैं ।
और यदि द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग मंत्र का पाठ करता हैं तो भगवान् विष्णु प्रसन्न होते हैं ।
और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करते हैं तो माँ दुर्गा आपके रोग और ग्रह को दोष को नष्ट कर देती हैं ।
और मात्र
""ॐ नमः शिवाय"" जपते हैं तो भगवान् शिव स्वयं खुश होते हैं ।
और ""ॐ गं पां बं कां शिवाय नमः"" बोलने से शिव परिवार खुश होता हैं जो सभी अभिष्ट फल को देते हैं ।
इस श्रावण मास में आप हो सकते हैं कष्ट से मुक्त एक मंत्र मात्र शिव के नाम से ।
""जय सदा शिव आनंद श्रावणानन्द नमः शिवाय शिव तराय ।"'
किसी भी समस्या के लिए श्रावण में करे उचित उपाय किसी योग्य विद्वान् ब्राह्मण आचार्य द्वारा आपको शीघ्र सफलता प्राप्त होगी । कल्याण हो।। शुभम भवतु।।
शिव की पूजा से बढ़ाए आमदनी---
सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें-
ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं||
प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं, बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें। अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें तथा उसे अपने पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन उसकी पूजा करें।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान् हैं जो प्रकृति से उत्पन्न किसी भी वस्तु को चढाने से खुश होते हैं ।
1. बिल्व पत्र
2 आक के फूल
3 शमी के पत्ते
4 शमी के फूल
5 धतुरा
यह 5 ऐसी वस्तु हैं जिनको शिव को चढाने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती और सुख सम्पदा धन यश कीर्ति की वृद्धि होती हैं ।
संतान प्राप्ति के लिए अद्भुत उपाय---
सावन में किसी भी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव का पूजन करें, इसके पश्चात गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं। अब प्रत्येक शिवलिंग का शिव महिम्न स्त्रोत से जलाभिषेक करें। इस प्रकार 11 बार जलाभिषेक करें, उस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।
उत्तम स्वास्थ्य और बीमारी ठीक करने के लिए उपाय---
सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें, अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय ॐ जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
सावन के सोमवार को शिवजी की पूजा करने का तरीका---
सावन के सोमवार के व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। दैनिक कार्यों से निवृत होकर नहा धोकर शुद्ध सफ़ेद रंग के कपडे पहनने चाहिए। भगवान शिव की पूजा यदि घर में करनी हो तो पूजा का स्थान साफ करके गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद शिव जी की मूर्ती या तस्वीर को स्थापित करके साफ आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। घर में सिर्फ पारद या नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। बाहर मंदिर में पूजा करने जाना हो तो पूजा का सामान ढक कर ले जाना चाहिए। संभव हो तो मंदिर में भी शुद्ध आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
शिव पूजा की सामग्री –
जल कलश
गंगा जल
कच्चा दूध
दही
घी
शहद
चीनी
केसर
वस्त्र
चन्दन रोली
मौली
चावल ( अक्षत )
फूलमाला , फूल
जनेऊ
इत्र
बील पत्र
आंक , धतूरा
भांग
कमल गट्टा
पान
लौंग , इलायची , सुपारी
धूप , दीप , अगरबत्ती
माचिस
कपूर
फल
मेवा
मिठाई
नारियल
दक्षिणा के पैसे
शिव पूजा की विधि –
— पूजा के लिए सबसे पहले पूजा के सामान को यथास्थान रख दें ।
— अब भगवान शिव का ध्यान करके ताम्बे के बर्तन से शिव लिंग को जल से स्नान कराएँ ।
— गंगा जल से स्नान कराएं।
— इसके बाद दूध , दही , घी , शहद और शक्कर से स्नान कराएँ । इनके मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भी स्नान करा सकते है।
— इसके बाद सुगंध स्नान के लिए केसर के जल से स्नान कराएँ ।
— चन्दन आदि लगाएँ ।
— अब मौली , जनेऊ , वस्त्र आदि चढ़ाएँ।
— अब इत्र और पुष्प माला , बील पत्र आदि चढ़ा दें। बील पत्र 5 ,11 , 21 , 51 आदि शुभ संख्या में लें। बीलपत्र चढाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
— आंकड़े और धतूरे के फूल चढ़ाएँ । शिव जी को सफ़ेद रंग अतिप्रिय है क्योकि ये शुद्ध , सौम्य और सात्विक होता है। आंकड़ा और धतूरा
चढ़ाने से पुत्र का सुख मिलता है।
— वाहन सुख के लिए चमेली का फूल चढ़ाएँ , धन की प्राप्ति के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या जूही का फूल चढ़ाएँ , विवाह के लिए बेला
के फूल चढ़ाएँ , मन की शांति के लिए शेफालिका के फूल चढाने चाहिए। पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनेर का फूल चढ़ाएं।
— शिव जी की पूजा करते समय आपकी भावना शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए ( जैसे शिव खुद है ) ।
— अब धूप , दीप आदि जलाएँ।
— अब फल मिठाई आदि अर्पित कर भोग लगाएँ।
— इसके बाद पान , नारियल और दक्षिणा चढ़ाएँ।
— अब आरती करें। जय शिव ओमकारा ….
— आरती के बाद क्षमा मंत्र बोलें। क्षमा मन्त्र इस प्रकार है :
” आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर: “
श्रद्धा पूर्वक इस प्रकार सावन के सोमवार को पूजा सम्पूर्ण करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करते है। इस दिन महामृत्युंजय , शिवसहस्र नाम , रुद्राभिषेक ,शिवमहिमा स्रोत ,शिवतांडव स्रोत या शिवचालीसा आदि का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है।
ध्यान रखें –
— शिवलिंग पर सिन्दूर , हल्दी , लाल रंग के फूल , केतकी और केवड़े के फूल आदि या स्त्री सौंदर्य से सम्बंधित सामान ना चढ़ाएँ। क्योंकि
शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है। जलधारी पर ये चढ़ाये जा सकते है क्योकि जलधारी माता पार्वती और स्त्रीत्व का प्रतीक होती है।
— शिव लिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है। आधी परिक्रमा ही लगाएं।
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सावन के सोमवार व्रत करने का तरीका--------------
यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू करके दिन के तीसरे पहर यानि सूर्यास्त तक किया जाता है। सूर्यास्त के बाद भोजन कर सकते है। उसके पहले
अनाज व नमक नहीं लिया जाता है। जहाँ तक संभव हो सूर्यास्त तक पानी , फ्रूट जूस , दूध , छाछ आदि ही लेने चाहिए। नींबू पानी सेंधा नमक
व काली मिर्च डालकर पी सकते है। व्रत के समय तला – भुना सामान बिलकुल नहीं लेना चाहिए। यदि कंट्रोल न हो तो पनीर ,उबला आलू , कुट्टू , सिंघाड़े या राजगिरि का आटा , साबूदाना , दही , सूखे मेवे , मूंगफली , नारियल पानी , शेक आदि में से अपनी पसंद से सिर्फ एक बार कुछ भी ले सकते है। पानी खूब पिएँ। सिर्फ तरल पदार्थ लेने से शरीर के विषैले तत्व निकल जाते है और मन व आत्मा की शुद्धि हो जाती है।
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जानिए सावन महीना क्यों हैं विशेष महिलाओं के लिए..??
क्या रखें सावधानी और क्या करें तैयारी..??
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सावन का महीना शुरू हो गया है और इस महीने में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।लेकिन शिव पूजन में चौंकाने वाली बात यह है कि विवाहित हों या अविवाहित, महिलाओं के लिए शिवलिंग छूना पूरी तरह वर्जित है।
इस सावन में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन, बिल्वार्चन, अक्षतार्चन, रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय अनुष्ठान सामथ्र्य अनुसार करने से भगवान आशुतोष प्रसन्न हो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं। इस मास में दूध, घी, धेनु, स्वर्ण दान करने से हर के साथ हरि भी प्रसन्न होते हैं। सावन में भगवान शिव के निमित्त मास पर्यंत नित्य बिल्व पत्रार्पण, नैमेत्तिक पार्थी वार्चन का विधान है।
सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन शिव पूजन में चौंकाने वाली बात यह है कि विवाहित हों या अविवाहित, महिलाओं के लिए शिवलिंग छूना पूरी तरह वर्जित है।
इस वर्ष 27 जुलाई 2018 (शुक्रवार) से 26 अगस्त 2018 (रविवार) तक सावन का महीना रहेगा ।
ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो शिवलिंग की पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह है कि महिलाओं को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को हाथ नहीं लगाना चाहिए। महिलाओं को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं। देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए इसलिए महिलाओं को शिवलिंग की पूजा न करने के लिए कहा गया है। जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं।
इसके अलावा महिलाओं का शिवलिंग को छूकर पूजा करना मां पार्वती को भी पसंद नहीं है। मां पार्वती इससे नाराज हो सकती हैं और पूजा करने वाली महिलाओं पर इस तरह की गई पूजा का विपरीत असर हो सकता है। ऐसी मान्यता भी है कि लिंगम एक साथ योनि जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की रचनात्मक ऊर्जा है का प्रतिनिधित्व करता है।
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सावन/श्रवण माह में स्त्रियां/महिलाएं/कन्यायें रखें विशेष सावधानी, शिव पूजन में---
सावन का महीना हो और महिलाओं की बात न हो यह अटपटा लगता है। सावन में महिलाएं विशेष तौर पर साज-श्रंगार करती हैं।सावन में सुहागिन महिलाएं साज-श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। सावन महीना शुरू होते ही सुहागिन महिलाओं पर सावन का रंग चढ़ना शुरू हो गया है। सावन महीने में महिलाओं के लिए हरे रंग का विशेष महत्व होता है। लिहाजा सावन महोत्सव के जरिये महिलायें हरे रंग का परिधान और श्रंगार करना शुभ मानती हैं। सावन का महीना आते ही चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। खासतौर पर हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा रहती है। मेहंदी हार्मोन को तो प्रभावित करती ही है साथ की रक्त संचार (ब्लड प्रेशर) को भी नियंत्रण रखती है। मेहंदी दिमाग को शांत और तेज भी बनाता है।सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है।हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है। शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रूप माना गया है। इस मौसम में बारसात की बूंदों प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलाएं भी मेंहदी लगाती हैं। हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं। प्रचलित मान्यता हैं की जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हरा रंग बुध से प्रभावित होता है। बुध एक नपुंसक ग्रह है। इसलिए बुध से प्रभावित होने के कारण हरा रंग काम भावना को नियंत्रित करने का काम करता है। सावन में मेंहदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी यही माना जाता है।
सावन के महीने में कई प्रकार की बीमारियां फैलने लगती हैं। आयुर्वेद में हरा रंग कई रोगों में कारगर माना गया है। यही कारण है कि सावन में महीलाएं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मेंहदी लगाती हैं और हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं। मेहंदी की सोंधी खुशबू से लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है, लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते है। इसलिए कहा भी जाता है कि मेहंदी के बिना दुल्हन अधूरी होती है। आखिर मेहंदी सजने की वस्तु है तो महिलायें सावन में इससे अलग नहीं रह पातीं। आखिर सजना जो है सजना के लिए।
सावन के महीने में महिलाएं और कुंवारी कन्याएं भी भगवान शिवजी की पूजा करती हैं। लेकिन शिवजी की पूजा में महिलाओं और कन्याओं को कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिवजी की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर शिवजी की पूजा ठीक तरीके से नहीं की जाती है तो भगवान शिवजी गुस्सा हो जाते हैं।
इस वर्ष 2018 के श्रावण महीने में गौरी-शंकर की पूजा करने की परंपरा है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस वर्ष 29 अगस्त 2017 (बुधवार )को कजली तीज का पर्व मनाया जायेगा । नए वर-वधू भी अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शिव-पार्वती की पूजा करते हैं।
सावन में भगवान शिवजी को खुश करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि किसी को विवाह में कुछ परेशानी आ रही है तो सावन के महीने में रोज शिवलिंग पर दूध में केजर मिलाकर चढ़ाएं। ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं। सावन के महीने में बैल का हरा चारा खिलाना भी अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में बैल को खाना खिलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मन शांत रहता है।
सावन के महीने में घर में शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा की जाती है और भगवान शिवजी के मंत्रों का 108 बार जाप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिवजी खुश होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सावन के महीने में हर सोमवार पानी में दूध और काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। सावन के महीने में हर सोमवार को किसी नदी और तालाब में आटे की रोटियों को मछलियों को खिलाने को भी शुभ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री का कहना है कि सावन के महीने में व्रत रखने से कन्याओं को अच्छा पति मिलता है। लेकिन शिवलिंग की पूजा करते समय कन्याओं को शिवलिंग को न छूने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को शिवलिंग छूने की इजाजत नहीं होती। कहा जाता है कि शिवजी तपस्या में लीन रहते हैं और किसी महिला के शिवलिंग को छूने से उनकी तपस्या भंग हो जाती है। यही कारण है कि महिलाओं को शिवलिंग छूने से मना किया जाता है।
सावन के इस पावन और पवित्र माह में सुहागन स्त्रियों के लिए कई त्योहार आते हैं जिनमें कज्जली तीज, हरियाली तीज शामिल हैं। इन त्योहारों में हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने के नियम हैं। श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन श्रावणी तीज, हरियाली तीज मनायी जाती है इसे मधुस्रवा तृतीय या छोटी तीज भी कहा जाता है| यह त्यौहार खासतौर पर महिलाओं का त्यौहार है| तीज का आगमन वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही आरंभ हो जाता है| हरियाली तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं| ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है।हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।
भगवान शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।
अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिये स्त्रियां यह व्रत किया करती हैं| इस दिन व्रत रखकर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर षोडशोपचार पूजन किया जाता है जो रात्रि भर चलता है| सुंदर वस्त्र धारण किये जाते है तथा कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है| इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है| इस व्रत को करने वालि स्त्रियों को पार्वती के समान सुख प्राप्त होता है|
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जानिये सावन के महीने में शिवलिंग पर दूछ चढ़ाने का महत्व----
सावन का महीना शुरू हो गया है। पूरे सावन के महीने में भगवान शिव जी का अभिषेक किया जाता है। सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का विशेष महत्व है लेकिन क्या आप जानते है कि लोग सावन के महीने में शिलविंग पर दूध क्यों चढ़ाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं0 दयानन्द शास्त्री (उज्जैन वालों) ने बताया कि हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग में दूध चढ़ाने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। घर में सुख शान्ति और वैभव आता है। भगवान शिव तारक ब्रम्ह है जो सभी का कल्याण करने वाले है इसलिए शिवलिंग पर दूध से अभिषेक किया जाता है। विज्ञान की मानें तो बारिश के समय जानवर हरी घास पत्ते खाते है जिसमे बहुतायत में जीवाणुओं की मात्रा पाई जाती है। इसलिए बारिश के समय दूध प्रदूषित हो जाता है इसलिए इस ऋतु में दूध का प्रयोग वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि हमारी मान्यताएं विज्ञान को समझ कर ही बनाई गईं थीं।
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हम क्यों नहीं चढ़ाएं शिवलिंग पर दूध ??
"मैं अपने धर्म की शपथ लेता हूँ, मैं इसके लिए अपनी जान दे दूंगा. लेकिन यह मेरा व्यक्तिगत मामला है. राज्य का इससे कुछ लेना-देना नहीं. राज्य का काम धर्मनिरपेक्ष कल्याण, स्वास्थ्य , संचार, आदि मामलों का ख़याल रखना है, ना कि तुम्हारे और मेरे धर्म का." - महात्मा गाँधी
प्रिय पाठको/मित्रों, आजकल सोशल मिडिया पर आयेदिन आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं कि भगवान् महादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर हिन्दू त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है।
कभो लिखते हैं की दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, तो कभी होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, या फिर सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही क्यों?
भारत माता, जो एक हिन्दू देवी दुर्गा का प्रतिरूप लगती है, को दक्षिणपंथी समूहों ने एक “राष्ट्रीय” प्रतीक के रूप में लगभग स्थापित कर लिया है. भारत माता गौरवर्णा है. भारत माता का रंग-रूप से लेकर उनका पहनावा तक एक हिन्दू देवी की तरह है, जो आधे से अधिक भारतीय महिलाओं के रंग-रूप और पहनावे से मेल नहीं खाता. वह दुर्गा की तरह शेर पर सवार है. दिलचस्प बात यह है कि देश का एक प्रमुख दक्षिणपंथी संगठन भारत माता की इस छवि को अपने प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करता आया है. भारत माता की जय के नारे हिन्दू संगठनों के कार्यक्रमों से लेकर भारतीय सेना में समान रूप से गूँजते है.
मीडिया का जितना कवरेज हिन्दू धर्म के पर्व-त्योहारों को मिलता है, उतना कवरेज दूसरे धर्मों के पर्व-त्योहारों को शायद ही नसीब होता है. हिन्दू पर्व-त्योहारों के समय प्रमुख हिंदी अखबार अपने ‘मास्टहेड’ को उन पर्व-त्योहारों के रंग से रंग देते हैं. त्योहार विशेष पृष्ठों और खबरों से अखबारों को भर दिया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी बहुसंख्यक धर्म के त्योहारों में पूरी तरह डूब जाती है. वैसे भारतीय मीडिया सालभर हिन्दू धर्मग्रंथों के पात्रों और मिथकों को उद्धृत करती रहती है. भीम जैसे धार्मिक पात्रों को लेकर कार्टून-शो बनाए जाते हैं. हिंदी फिल्मों के नायक भी अधिकतर हिन्दू पात्र ही होते हैं, भले ही उस पात्र को निभाने वाले अभिनेता किसी दूसरे धर्म के हो. हाल ही में इतिहास से छेड़छाड़ का एक और उदाहरण देखने को मिला. टीवी पर शुरू हुए एक नए “ऐतिहासिक” कार्यक्रम में जानबूझकर अकबर को एक मुस्लिम आक्रान्ता और खलनायक के रूप में दिखाने की कोशिश की गयी है. यह अकबर जैसे उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष शासक का गलत चित्रण कर नयी पीढ़ी को भ्रमित करने की कोशिश है.
क्या ये एक साजिश है हमें अपने रीति-रिवाजों से विमुख करने की ??
हमारे शासक वर्ग ने (खासकर भाजपा के शासन-काल के दौरान) विज्ञान, स्वदेशी तकनीक और आविष्कारों को हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार का साधन बना दिया. भारत में विकसित तकनीकों और मिसाइलों का नामकरण हिन्दू मिथकों और पात्रों के नाम पर किया जाने लगा. “अग्नि”, “इंद्र”, “त्रिशूल”, “वज्र”, “पुष्पक” आदि इसके उदाहरण हैं. दिलचस्प बात यह है कि हिन्दू मिथकों के नाम पर रखे गए इन मिसाइलों के विकास और निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ‘मिसाइलमैन’ डॉ कलाम एक अल्पसंख्यक समुदाय से है.
इतना ही नहीं, खेल के क्षेत्र में मिलने वाले पुरस्कारों के नाम “अर्जुन”, “द्रोणाचार्य” आदि भी हिन्दू धर्मग्रंथों से लिए गए हैं. मध्यप्रदेश में “गो-रक्षा कानून” जैसे अनूठे कानून लागू है. अब वहाँ निचली कक्षा के बच्चों को स्कूलों, मिशिनिरियों और मदरसों में गीता पढ़ाये जाने की कोशिश की जा रही है. यहाँ यह सवाल उठाना बेकार है कि यह कृपा सिर्फ हिन्दू धर्मग्रंथों पर ही क्यूँ की जा रही है? ईसाई और मुस्लिम धर्म के धर्मग्रंथों पर यह कृपा क्यूँ नहीं की जा रही? जब नरेन्द्र मोदी खुद के हिन्दू राष्ट्रवादी होने की घोषणा करते है तो हम भारतीयों को आश्चर्य नहीं होता क्योंकि यह देश तो पहले ही आधे हिन्दू-राष्ट्र में बदल चुका है. सावरकर और गोलवलकर के “हिन्दू-राष्ट्र” की संकल्पना को यथार्थ में बदलने की पूरी कोशिश की जा रही है.
दुर्भाग्य है कि बुद्धजीवियों और वैज्ञानिकों का एक वर्ग आधे-अधूरे और बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर हिन्दू मिथकों को स्थापित करने और हिंदूत्व का प्रचार-प्रसार करने का प्रयास कर रहा है. हाल ही में मीडिया और विज्ञान के भगवाकरण का एक बेमिसाल उदाहरण देखने को मिला.
लेकिन इस विशेष पृष्ठ पर “विशेषज्ञ” शिव और शिव-अराधना के महत्व का बखान कर रहे हैं. एक विशेषज्ञ जहाँ शिव की उपासना विधि बता रहे है वहीँ दूसरी तरफ एक दूसरे विशेषज्ञ यह दावा कर रहे है कि “शिवजी की उपासना से अपमृत्यु योग से मिल सकता है छुटकारा”. इस तरह के विशेष पृष्ठ और विशेषज्ञ विश्लेषण दूसरे धर्मो के त्योहारों के लिए नहीं दिखते हैं.
प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की हम सब प्रतिदिन दूध पीते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध का दान करिए और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध ही क्यों दान करना?
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया कीआप अपने व्यसन का दान कीजिये दिन भर में जो आप सिगरेट, पान-मसाला, शराब, मांस अथवा किसी और क्रिया में जो पैसे खर्च करते हैं उसको बंद कर के गरीब को दान कीजिये | इससे आपको दान के लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा|
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया कीमहादेव ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें। घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही चढ़ाएं।
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शिवलिंग की वैज्ञानिकता ....
शिवलिंग का अर्थ है शिव का प्रतिक, जैसे पूरूष लिंग यानि पुरुष का प्रतिक , स्त्रीलिंग स्त्री का प्रतीक,नपुसकलिंग नपुशक का प्रतीक . उसी तरह योनि शब्द मतलब जन्म से भी है. मनुष्ययोनि मनुष्य का जन्म (स्त्री या पुरूष) . कीट योनि यानि कीडो का जन्म, कुत्ते की योनि यानी कुत्ते का जन्म (कुत्ता या कुत्ती). हिंदू धर्म मे 84 लाख प्रकार की योनिया है यानि 84 लाख प्रकार के जन्म. हम जैसा कर्म करेगे वैसा हमे जन्म मिलेगा. वैज्ञानीक भी मानते है की 84 लाख के आसपास धरती मे जीव है. ……………………………………………
वैज्ञानीक की भाषा मे शिवलिंग एक Radioactive Source Container है। जाग्रत शिवलिंग, Live source का Container है, बाकी सब प्रतीक हैं। चूंकि Source गर्म हो जाता है, इसलिये इस पर लगातार जल की बूंदे डाली जाती हैं। शिवालय में शिवलिंग नीचे तल पर होता है, ताकि इसका पानी बाहर न छलके, शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है तभी जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। पहले के जमाने में शिवालय हमेशा बस्ती से बाहर वीराने में होते थे, जैसे कि परमाणु बिजलीघर विरान मे. ……
Mahakaleshwar Temple Ujjain मे शिवलिग मे भगवान का चेहरा क्यो बना है ?
अगर हिंदू vagina की पुजा करता है तो फ़िर hand-pump के निचले सिमेंट वाला भाग (जहां से पानी बहता है )को भी vagina (योनि) कहेगे ? या kaaba stone जिसे मुसलमान चूमते है वो भी तो vagina ही है (Google: kaaba stone) अगर लिंग का अर्थ penis ही है तो फ़िर voting-card मे या कोई exam फ़ार्म मे क्यो लिखा होता है आपकी लिंग/sex क्या है -सत्री या पूरूष ? …
अगर मुल्लो की बात सही है तो फ़िर Bhabha Atomic Research Centre की आकृती को भी penis कहेगे ? या अपने खुद के हाथो की उंगलीयो को भी penis कहेगे ?
भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें ! भारत सरकार के नुक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।
शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे.
महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है।
क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।
हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।
जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है।विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।..
हो सके तो शेयर भी कर दें, दूसरे भक्त भी बाबा के दर्शन का आनंद ले पाएंगे. जय बाबा.
अपना व्यवहार बदलो हमें और हमारे धर्म को बदलने का प्रयास मत करो..
संदर्भ:--
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आखिर क्यूँ है हिन्दू धर्म में श्रावण (सावन) माह का महत्व!!
जानिए की कैसे और किस शुभ घड़ी में करें श्रावण मास में भगवान शिव का पूजन---
भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण 27 जुलाई 2018 (शुक्रवार) से 26 अगस्त 2018 (रविवार) तक रहेगा । पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुनाई देगी। शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ नजर आएंगी। धार्मिक पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है।
एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। साथ ही शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय होने के कारण यह सभी चीजों खास तौर पर अर्पित की जाती है। इसके साथ ही श्रावण मास शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं मंत्र जाप करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश होता है।
वैसे इस बार श्रावण 27 जुलाई 2018 (शुक्रवार) से 26 अगस्त 2018 (रविवार) तक तक चलेगा || श्रावण का यह महीना भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। माना जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास अपना विशेष महत्व रखता है।
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ध्यान रखें--
पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस वर्ष श्रावण संक्रांति में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे||
इस दौरान खास तौर पर महिलाएं श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं। खास कर सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है।
श्रावण शिव का अत्यंत प्रिय मास है। इस मास में शिव की भक्ति करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। उनके पूजन के लिए अलग-अलग विधान भी है। भक्त जैसे चाहे उनका अपनी कामनाओं के लिए उनका पूजन कर सकता है। इस मास में प्रतिदिन श्री शिवमहापुराण व शिव स्तोस्त्रों का विधिपूर्वक पाठ करके दुध, गंगा-जल, बिल्बपत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए || इसके साथ ही इस मास में "ऊँ नम: शिवाय:" मंत्र का जाप करते हुए शिव पूजन करना लाभकारी रहता है|| इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजानादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृ्द्धि होती है |
शवे भक्ति:शिवे भक्ति:शिवे भक्तिर्भवे भवे ।
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरंण मम्।।
उच्चारण में अत्यंत सरल शिव शब्द अति मधुर है। शिव शब्द की उत्पत्ति वश कान्तौ धातु से हुई हैं। जिसका तात्पर्य है जिसको सब चाहें वह शिव हैं ओर सब चाहते हैं आंनद को अर्थात शिव का अर्थ हुआ आंनद।
इस व्रत को वैशाख, श्रावण मास, कार्तिक मास और माघ मास में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है। इस व्रत की समाप्ति पर सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपति को भोजन व किसी वस्तु का दान उपहार देकर उद्यापन किया जाता है।
सम्पूर्ण विश्व में शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्श न को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिर और घर में स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। हिन्दू धर्म परंपराओं में प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में भगवान शिव की पूजा व उपासना बहुत शुभ फलदायी मानी गई है।
- शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करें। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरूर चढ़ावें। स्नान के बाद भगवान शंकर के साथ-साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल चढ़ाएं। इससे संपन्नता आती है। सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाह‌िए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसल‌िए द्वादशी, चतुर्दशी के द‌िन और कार्त‌िक मास में भी इसे खाने की मनाही है।
- शिव जी की अराधना सुबह में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
- शाम में शिव साधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
- अगर आप रात्रि में शिव उपासना करते हैं तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
श्रावण मास में भगवान शिव का श्रेष्ठ द्रव्यों से अभिषेक करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। जैसे जल अर्पित करने से वर्षा की प्राप्ति, कुश और जल से शांति, गन्ने के रस से लक्ष्मी, मधु व घी से धन की प्राप्ति, दूध से संतान सुख, जल की धारा और बेलपत्र से मन की शांति, एक हजार मंत्रों सहित घी की धारा से वंश वृद्धि एवं मृत्युंजय मंत्रों के जाप से रोगों से मुक्ति और स्वस्थ एवं सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
पण्डित "विशाल"दयानन्द शास्त्री के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय’ का नियमित जाप, तन-मन को शुद्ध करता है। विधि व सच्चें मन से की गई उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती और शिव जी अपने भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं।।।
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सावन महीने के पहले सोमवार पर समूचा देश आज शिवमय होने जा रहा है। देश के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सुरक्षा के मद्देनजर शासन-प्रशासन की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई है। देश भर के मंदिरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सावन महीने के प्रथम सोमवार पर राज्य के सभी शिव मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। श्रद्धालुओं ने मंदिरों के अलावा अपने घरों में भी पूजा-अर्चना के लिए विशेष तैयारियां की हैं।
मंदिरों के आस पास पूजा सामग्री जैसे धतूरा, बेल-पत्र, फूल-माला और प्रसाद आदि की दुकानें सज गईं हैं। काशी (वाराणसी), इलाहाबाद, मथुरा, अयोध्या सहित पूरे देश में सावन के प्रथम सोमवार को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। देश के मंदिरों में सोमवार तड़के से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है। ओम नम: शिवाय के जाप के साथ श्रद्धालु महादेव का दर्शन और अभिषेक कर रहे हैं।
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“सावन/श्रावण माह का महत्व”---
पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है, श्रावण माह कहलाता है । इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है । सावन का महीना रिमझिम फुहारों और हरियाली से मन को आनंदित कर देता है। इसी महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है भारत में रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में।

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