श्रावण सोमवार का महत्त्व जानिए

श्रावण सोमवार का महत्त्व जानिए

मनुष्यों में ही नही अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता

डेस्क-श्रावण का सम्पूर्ण मास मनुष्यों में ही नही अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता है जब प्रकृति अपने पुरे यौवन पर होती है और रिमझिम फुहारे साधारण व्यक्ति को भी कवि हृदय बना देती है। सावन में मौसम का परिवर्तन होने लगता है।प्रकृति हरियाली और फूलो से धरती का श्रुंगार देती है परन्तु धार्मिक परिदृश्य से सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है।

मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है | इस महीने में हमारे सभी ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा ,अर्चना और अनुष्ठान की बड़ी प्राचीन एवं पौराणिक परम्परा रही है। रुद्राभिषेक के साथ साथ महामृत्युंजय का पाठ तथा काल सर्प दोष निवारण की विशेष पूजा का महत्वपूर्ण समय रहता है।यह वह मास है जब कहा जाता है जो मांगोगे वही मिलेगा।भोलेनाथ सबका भला करते है।

श्रावण महीने में हर सोमवार को शिवजी का व्रत या उपवास रखा जाता है।श्रावण मास में पुरे माह भी व्रत रखा जाता है। इस महीने में प्रत्येक दिन स्कन्ध पुराण के एक अध्याय को अवश्य पढना चाहिए। यह महीना मनोकामनाओ का इच्छित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। पुरे महीने शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है।

सावन के सोमवार 2018 मे

इस वर्ष में 28 जुलाई को श्रावण मास की शुरुवात हुयी थी। इसके बाद से 30 जुलाई को पहला सोमवार , 6 अगस्त को दूसरा सोमवार , 13 अगस्त को तीसरा सोमवार और 20 अगस्त को चौथा सोमवार पड़ेगा।सावन का अंतिम दिन 26 अगस्त को राखी के त्योहार पर होगा।ये सब उत्तरी भारत के पंचागों के अनुसार मान्य है जबकि दक्षिणी भारत में 12 अगस्त से सावन सोमवार शरू होकर 9 सितम्बर को खत्म होगा।

इस मास के सोमवार के उपवास रखे जाते है।कुछ श्रुधालू 16 सोमवार का व्रत रखते है।श्रावण मास में मंगलवार के व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें सावन में मंगला गौरी का व्रत रखना लाभदायक रहता है।सावन की महीने में सावन शिवरात्रि और हरियाली अमावस का भी अपना अलग अलग महत्व है।

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