जानिए सावन मास में शिव पूजा का महत्व

जानिए सावन मास में शिव पूजा का महत्व

सावन मास में पूरे वर्ष में की गई गलती के लिए भगवान शंकर से क्षमा माँगा जाता है|

डेस्क-सावन मास में भगवान शिव की पूजा करके जाने-अनजाने मे किए हुए पाप कर्म के लिए क्षमा मांगने और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है |

हिंदु धर्म के अनुसार भगवान शिव मनुष्य के सभी कष्टों एवं पापों को हरने वाले हैं। सांसरिक कष्टों से एकमात्र भगवान शिव ही मुक्ति दिला सकते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, शुद्धि एवं मुक्ति के लिए श्रावण मास के निशीथ काल में की गई साधना सर्वाधिक फलदायक होती है। अत: इस माह में रात को जागरण करके निशीथ काल में भगवान शिव की साधना एवं पूजा करने का अधिक महत्व है।

सावन मास ऐसे पूजा करने से खुश होते है भगवान शिव

  • सावन  मास में पूरे वर्ष में की गई गलती के लिए भगवान शंकर से क्षमा माँगा जाता है|
  • अपने भविष्य की लिए प्राथर्ना किया जाता है |
  • श्रावण मास में शिव भक्त उपवास रखते हैं, भगवान शिव का अभिषेक करते हैं तथा पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हैं।
  • भगवान शिव सब देवों में वृहद हैं, सर्वत्र समरूप में स्थित एवं व्यापक हैं।
  • इस कारण वे ही सबकी आत्मा हैं। भगवान शिव निष्काल एवं निराकार हैं।
  • भगवान शिव साक्षात ब्रह्म का प्रतीक है तथा शिवलिंग भगवान शंकर के ब्रह्म तत्व का बोध करता है।
  • इसलिए भगवान शिव की पूजा में निष्काल लिंग का प्रयोग किया जाता है।

श्रावण का महत्व महाशिवरात्रि के होता है समान

  • भगवान शिव की पूजा आराधना की विधि बहुत सरल मानी जाती है।
  • कहा जाता है कि शिव को यदि सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
  • उनकी पूजा में भी ज्यादा ताम-झाम की जरुरत नहीं होती। ये केवल जलाभिषेक, बिल्वपत्रों को चढ़ाने और रात्रि भर जागरण करने
  • मात्र से मेहरबान हो जाते हैं।
  • वैसे तो हर सप्ताह सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना का दिन माना जाता है।
  • लेकिन श्रावण का महत्व महाशिवरात्रि के समान है।
  • इस अवसर पर श्रद्धालु कावड़ के जरिये गंगाजल भी लेकर आते हैं जिससे भगवान शिव को स्नान करवाया जाता है।

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