हवन में आहुति देते समय क्यों कहते है ‘स्वाहा’ जानिए
Aug 16, 2018, 07:38 IST
डेस्क-अग्निदेव में जो जलाने की तेजरूपा (दाहिका) शक्ति है, वह देवी स्वाहा का सूक्ष्मरूप है। हवन में आहुति में दिए गए पदार्थों का परिपाक (भस्म) कर देवी स्वाहा ही उसे देवताओं को आहार के रूप में पहुंचाती हैं, इसलिए इन्हें ‘परिपाककरी’ भी कहते हैं।
- सृष्टिकाल में परब्रह्म परमात्मा स्वयं ‘प्रकृति’ और ‘पुरुष’ इन दो रूपों में प्रकट होते हैं।
- ये प्रकृतिदेवी ही मूलप्रकृति या पराम्बा कही जाती हैं।
- ये आदिशक्ति अनेक लीलारूप धारण करती हैं।
- इन्हीं के एक अंश से देवी स्वाहा का प्रादुर्भाव हुआ जो यज्ञभाग ग्रहणकर देवताओं का पोषण करती हैं।