तो ये है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य जानिए
डेस्क-भूत और ऊपरी हवा यह सब दिमागी उपज है। तनाव, विफलता और नकारेपन को हम भूत नाम का आवरण बना देते हैं। मेहंदीपुर वाले बालाजी के दरबार में जो भूत की पेशी होती है, यह सब उसके पीछे का सच है।ऐसा कहना है डीयू एंथ्रोपोलॉजी विभाग में एमफिल शोधार्थी नीलिशा वशिष्ठ का। उसने दो साल की कड़ी मेहनत के बाद यह निष्कर्ष अपने शोधपत्र से निकाला है। डीयू में किसी शोधार्थी की बालाजी की यह पहला शोधपत्र है। विभाग इस दिशा में बड़ा शोध करने की योजना भी बना रहा है, जिसमें एम्स के कुछ चिकित्सक और फिनलैंड व जर्मनी के वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। नीलिशा का कहना है कि हजारों की तादात में बालाजी के दर्शन करने लोग मेहंदीपुर पहुंचते हैं।
दो तरह के के मनोरोगी यहां पहुंचते हैं। पहली श्रेणी में न्यूरोसिस और दूसरी श्रेणी में साइकोसिस से पीड़ित लोग होते हैं।न्यूरोसिस में सामाजिक कारणों से अवसादग्रस्त लोग अपनी असफलताओं के लिए किसी और को जिम्मेदार ठहराते हैं। क्योंकि भूत उतरवाने के लिए बालाजी पहुंचने वाले 100 फीसदी लोग अपने परिजनों के साथ आते हैं।
- इसलिए प्रसाद खाने के बाद जब भूत की पेशी होने के वक्त जब व्यक्ति के सिर भूत आता है |
- तो वह भूत नहीं बल्कि व्यक्ति अपने सिर पर मौजूद असफलताओं के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराता है |
- यह सब परिवार के सामने होता है, इसलिए परिवार के लोग भी यह मानते हैं |
- कि अब तक जो हो रहा था, उसके लिए फलां व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है |