श्रावण मास का अंतिम और चौथा सोमवार जानिए क्या है खास महत्व

श्रावण मास का अंतिम और चौथा सोमवार जानिए क्या है खास महत्व

डेस्क-श्रावण माह में भी सोमवार का विशेष महत्व है। वार प्रवृत्ति के अनुसार सोमवार भी हिमांशु अर्थात चन्द्रमा का ही दिन है। स्थूल रूप में अभिलक्षणा विधि से भी यदि देखा जाए तो चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव को ही प्राप्त हो जाती है क्योंकि चन्द्रमा का निवास भी भुजंग भूषण भगवान शिव का सिर ही है।

रौद्र रूप धारी देवाधिदेव महादेव भस्माच्छादित देह वाले भूतभावन भगवान शिव जो तप-जप तथा पूजा आदि से प्रसन्न होकर भस्मासुर को ऐसा वरदान दे सकते हैं कि वह उन्हीं के लिए प्राणघातक बन गया, वह प्रसन्न होकर किसको क्या नहीं दे सकते हैं |

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  • असुर कुलोत्पन्न कुछ यवनाचारी कहते हुए नजर आते हैं कि जो स्वयं भिखमंगा है वह दूसरों को क्या दे सकता है
  • किन्तु संभवतः उसे या उन्हें यह नहीं मालूम कि किसी भी देहधारी का जीवन यदि है तो वह उन्हीं दयालु शिव की दया के कारण है।
  • अन्यथा समुद्र से निकला हलाहल पता नहीं कब का शरीरधारियों को जलाकर भस्म कर देता |
  • किन्तु दया निधान शिव ने उस अति उग्र विष को अपने कण्ठ में धारण कर समस्त जीव समुदाय की रक्षा की।
  • उग्र आतप वाले अत्यंत भयंकर विष को अपने कण्ठ में धारण करके समस्त जगत की रक्षा के लिए उस विष को लेकर हिमाच्छादित हिमालय की पर्वत श्रृंखला में अपने निवास स्थान कैलाश को चले गए।

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