मनुष्य का वास्तविक स्वरूप जानिए

मनुष्य का वास्तविक स्वरूप जानिए

डेस्क-गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को यह बताते हैं कि "हे अर्जुन शरीर एक रथ की भांति है जिसके घोड़ों को मनुष्य की इंद्रियां समझो जिनमें आंख, नाक, कान, मुख और जीव्हा इत्यादि भाग शामिल हैं और इन इंद्रियों रुपी घोड़ों को जो चलाता है वह सारथी मन है और इस रथ में बैठा हुआ जो इसका स्वामी है वही आत्मा है।

  • मनुष्य की इंद्रियां अपने विषयों की और आकर्षित होती रहती है
  • उसका मन इंद्रियों को उनके विषयों की ओर ही दौड़ाता रहता है
  • लेकिन यह तभी तक हो सकता है जब तक कि जीवात्मा अपने मन को अपने काबू में ना लाए।

जब तक मन काबू में नहीं आएगा वह इंद्रियों को उनके विषयों की ओर ही दौड़ाता रहेगा, विषय उनको बुलाते हैं इंद्रियां उनकी तरफ भागती हैं और मन जीवात्मा की परवाह किए बगैर रथ को उस और लिए जाता है।

  • यदि मन किसी व्यक्ति का स्वामी है और वह व्यक्ति उसके अधीन है
  • तो मन उसको माया के बंधन मे जकड़ता रहेगा परंतु जब वह मन पर काबू पा लेगा |
  • उसका स्वामी हो जाएगा तो वही मन उसको मोक्ष के द्वार तक ले जाएगा।

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