मृत्यु के बाद सबसे पहले इसी मंदिर में पहुंचती है आत्मा

मृत्यु के बाद सबसे पहले इसी मंदिर में पहुंचती है आत्मा

डेस्क-श्रीमद् भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि जन्म और मृत्यु का चक्र अनवरत चलता रहता है। आत्मा कभी मरती नहीं है और निश्चित समय के लिए अलग-अलग शरीर धारण करती है। इंसान की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा यमलोक पहुंचती है, जहां उसके द्वारा किए गए पाप-पुण्य का हिसाब होता है और आत्मा को स्वर्ग या नर्क में भेजा जाता है।

यमलोक के राजा यमराज हैं। यमराज सूर्यदेव के पुत्र हैं और शनिदेव के भाई हैं। यमुना नदी इनकी बहन है। दिल्ली से करीब 600 किमी दूर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर नाम की जगह है, जहां यमराज का प्राचीन मंदिर है। इस क्षेत्र में मान्यता है कि इंसान की मृत्यु के बाद सबसे पहले इसी मंदिर में आत्मा पहुंचती है। जानिए यमराज के इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें...

मॉडर्न ड्रेस में सपना चौधरी ने कराया फोटो शूट

AsianGames2018 भारतीय महिला हाॅकी टीम ने कजाकिस्तान को 21-0 से हराया

INDvsENG टीम इंडिया अपने लक्ष्य से 1 विकेट दूर

1. यमराज का ये मंदिर किसी घर की तरह दिखाई देता है। माना जाता है कि इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो सोने, चांदी, तांबा और लोहे के बने हैं।

2. यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में भी बताया गया है कि यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार हैं।

3. मंदिर में एक खाली कमरा है। मान्यता है कि इसी कमरे में ही भगवान यमराज विराजमान हैं और यहां पर इंसानों के कर्मों का फैसला करते हैं। इसे यमराज की कचहरी भी कहा जाता है। यहां एक और कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है।

4. किसी इंसान की मृत्यु के बाद यमराज के दूत उसकी आत्मा को पकड़कर सबसे पहले इसी मंदिर में यमराज और चित्रगुप्त के सामने लेकर आते हैं। चित्रगुप्त आत्मा को उनके कर्मों का पूरा ब्योरा सुनाते हैं।

Share this story