आशीर्वाद का महत्व जानिए

आशीर्वाद का महत्व जानिए

इस तरह आशीर्वाद लेने से आपके शरीर में एक धनात्मक उर्जा का प्रवाह होने लगता है

डेस्क-आज कल प्रायः युवा लोग हाय या हैल्लो शब्द का ज्यादा प्रयोग करते है अंग्रेजी बोलकर सोचते है ये उनकी शान है लेकिन वास्तव में वे अपनी भारतीय संस्कृति को भूल गए है ऐसे लोग।

पहले लोग दण्डवत प्रणाम करते थे आज भी गुरुकुल आदि संस्थानों में देखने को मिलता है दोनों हाँथ से माता-पिता गुरुजनो और अपने से बड़ो का पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे प्रायः ऋषि मुनियों, विद्वानों तथा वरिष्ठजनों का जीवन समष्टि के लिए समर्पित होता है। वे परोपकारी सहृदय, विनयशील एवं सत्यवादी होते है। उनके वचनों में इतना बल होता है कि उनके कथन के अनुसार ही कार्य में सफलता मिल जाती है|

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  • भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर प्रणाम को अभिवादन सूचक माना जाता है |
  • अच्छे जीवन की प्राप्ति हेतु विभिन्न संस्कारों की भूमिका अतुलनीय होती है |
  • हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म से मृत्यु तक संस्कारों की अमृत धारा प्रवाहित होती रहती है

अच्छे संस्कार व्यक्ति को यशश्वी उर्जावान व् गुणवान बनाते हैं संस्कार देश की परिधि निर्धारित करती है इसीलिए समाज के सभी सदस्यों को संस्कारों की मान गरिमा बनाये रखने हेतु सजग रहना चाहिए |

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  • बच्चों को समझाएं कि जो अपनत्व प्रणाम में है |
  • वह हाथ मिलाने के आधुनिक व्यवहार में नहीं होता है |
  • पाश्चात्य संस्कृति का दुरूपयोग करने के नकरात्मक प्रभाव आते है |
  • व् स्वास्थ्य के लिए भी खतरा साबित हो सकते हैं |

हाय बाय व् हाथ मिलाने से उर्जा प्राप्त नहीं होती हमारी आज की युवा पीढ़ी अपनी स्वस्थ परम्परा को ठुकराकर अपने लिए उन्नति के द्वार स्वय बंद कर रहे है हाथ मिलाने से बचें , दोनों हाथ जोड़कर या पाँव पर झुक कर अभिवादन की आदत डालें और हाथ मिलाना से जहाँ तक हो सके बचे क्यूंकि यह स्वास्थ्य के मार्ग में और अध्यात्मिक उत्थान के मार्ग में अवरोधक हैं |

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