Rupee में हुई सबसे बड़ी गिरावट, तेल व जरूरी सामान हो सकते है महगें
Rupee कमजोर होने से आयातकों को क्रूड के इम्पोर्ट पर अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी|
डेस्क-डॉलर के मुकाबले Rupee गुरुवार को कारोबार के दौरान 72.10 प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर पर चला गया| सुबह इसमें कुछ सुधार देखा गया था| जिससे शेयर बाजार में भी उछाल दर्ज किया गया था|
क्रूड ऑयल में भी नरमी के संकेत हैं| लेकिन Rupee का अचानक इतना गिरना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि रुपये में गिरावट वैश्विक कारकों की वजह से है| अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर है|
इसके पीछे वजह वैश्विक है
- अंतर बैंक विदेशी विनिमय बाजार में बुधवार को लगातार छठे दिन गिरावट का सिलसिला कायम रहा|
- रुपया 17 पैसे और टूटकर 71.75 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ|
- पिछले छह कारोबारी सत्रों में रुपया 165 पैसे टूट चुका है|
- वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आप घरेलू आर्थिक स्थिति और वैश्विक स्थिति को देखें, तो इसके पीछे कोई घरेलू कारक नजर नहीं आएगा| इसके पीछे वजह वैश्विक है|
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पेट्रोल-डीजल की चुकानी होगी अधिक कीमत
- डॉलर के मुकाबले रुपए के 72.10 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंचने का असर क्रूड के आयात पर पड़ेगा|
- आयातकों को तेल की अधिक कीमत चुकानी होगी|
- इसका असर रोजाना होने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ सकता है|
- भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड बाहर से मंगाता है|
- ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी|
- इंपोर्ट महंगा होगा तो तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं|
महंगाई बढ़ने का हो जाएगा खतरा
- रुपया कमजोर होने से आयातकों को क्रूड के इम्पोर्ट पर अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी|
- अगर ऐसा होता है तो डीजल की कीमत बढ़ सकती है और खाने-पीने की चीजों व दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है|
- डीजल महंगा होता है तो इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढेंगे|
- एडिबल ऑयल भी महंगे हो जाएंगे|
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जरूरत के सामान की बढ़ेगी कीमतें
अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे इन उत्पादों के दाम बढ़ने की आशंका है|
ऑटो उद्योग पर भी पड़ेगा असर
- रुपया कमजोर होने से ऑटो उद्योग की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है|
- रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं|