ऐसे करे महाव्रत Hartalika teej का पूजन,रखें इन बातों का ध्यान

ऐसे करे महाव्रत Hartalika teej का पूजन,रखें इन बातों का ध्यान

Hartalika teej प्रदोषकाल में किया जाता है।

डेस्क-पौराणिक मान्यताओ के अनुसार Hartalika teej के व्रत को शादीशुदा महिलायें अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मनपसंद वर पाने की इच्छा से करती हैं।

जाने कब है Hartalika teej

  • भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज व्रत मनाया जाता है।
  • इस साल यह व्रत 12 सितंबर 2018 को पड़ रहा है।
  • ऐसा माना गया है कि इस व्रत को करने से कन्याओं को मनोकूल वर तथा सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर स्त्रीयों को हरतालिका तीज एवं व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
  • उसके बाद पूरे दिन निराहार रहना चाहिए।
  • सायं काल को फिर से स्नान करके शुद्ध एवं उज्ज्वल वस्त्र धारण करके शिव एवं पार्वती की पूजा उपासना करनी चाहिए |
  • माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा और सुहाग सामग्री चढ़ानी चाहिए।
  • साथ ही भगवान शिव को धोती कुर्ता आदि 5 वस्त्र चढ़ायें और आखिरी में हरतालिका तीज व्रत कथा सुननी चाहिए।
  • हरतालिका तीज की पूजा सबसे पहले माता पार्वती ने शिव जी को वर रूप में पाने के लिए किया था।

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Hartalika teej या बड़ी तीजा

  • हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज या बड़ी तीजा भी कहते हैं।
  • यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है।
  • इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रिया गौरी-शंकर की पूजा करती हैं।
  • खासकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह पर्व करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है।
  • ये इसलिए है क्योंकि करवाचौथ को चांद देखने के बाद व्रत पूरा हो जाता है, परंतु इस व्रत में पूरे दिन निर्जल रह कर अगले दिन पूजन के बाद ही व्रत ख़त्म किया जाता है। इसीलिए इसे महाव्रत भी कहते हैं।

इस तरह विधिविधान से करें पूजा

  • सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए रखा था।
  • इस दिन खास कर से गौरी−शंकर का पूजन करने के लिए स्त्रियां सूर्योदय से पहले ही उठ जाती हैं, और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं।
  • पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
  • हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त प्रदोषकाल कहलाते हैं।
  • Hartalika teej पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू या काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
  • फिर पूजा स्थल जिसे मंडप कहते हैं को फूलों से सजाकर वहां एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले का पत्ते बिछा कर इस मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद सभी देवी −देवताओं का आह्वान करते हुए शिव, पार्वती और गणेश जी का षोडशोपचार पूजन करें।

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  • पूजन के बाद पार्वती जी पर सुहाग का सारा सामान चढ़ायें।
  • इसके बाद हरतालिका तीज की कथा पढ़ें या सुनें, और सुहाग यानि देवी को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगायें।
  • अब रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण करें और तीन शिव जी आरती की करें।
  • अगले दिन फिर से पूजा करें और आरती करके सुहाग लें।
  • सारी श्रृंगार सामग्री ,वस्त्र ,खाद्य सामग्री ,फल और मिष्ठान्न आदि को किसी सुपात्र अथवा सुहागिन महिला को दान करें।
  • तब व्रत का पारण करके भोजन और जल ग्रहण करें।

इन बातों का दे ध्यान

  • इस व्रत में कुछ बतों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
  • Hartalika teej व्रत के दौरान व्रत करने वाली महिलाओं के लिए शयन का निषेध है।
  • यह व्रत कुमारी कन्यायें और सुहागिन महिलाएं दोनों ही रख सकती हैं, परन्तु एक बार व्रत प्रारंभ करने के जीवन पर्यन्त इसे रखना अनिवार्य।
  • केवल यदि व्रत रखने वाली गंभीर रूप से बीमार हो जाये तो वो व्रत छोड़ सकती है पर उस स्थिति में किसी दूसरी महिला या उसके पति को ये व्रत करना होगा।

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