इतना गुणी होने के बावजूद रावण क्यों हुआ फेल ,यह था इसका कारण

इतना गुणी होने के बावजूद रावण क्यों हुआ फेल ,यह था इसका कारण

रावण में था दीक्षा का अभाव

डेस्क-प्राचीन काल से भारत में शिक्षा और दीक्षा पर सम्मान बल दिया गया है। शिक्षा का अर्थ सीखना होता है। ज्ञान जब विनीत भाव से गुरु चरणों में बैठकर ग्रहण किया जाता था और उस ज्ञान को जीवन में उतार लिया जाता है, तब उसे दीक्षा कहा जाता था।

रामचरितमानस में श्रीराम की शिक्षा-दीक्षा के संबंध में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं- गुरु गृह गए पढ़न रघुराई, अल्प काल विद्या सब आई। समय के साथ शिक्षा प्रणाली में बदलाव होते गए। लेकिन आज जब विद्या अध्ययन समाप्त होता है, उस समय दीक्षांत कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें उपाधि प्रदान की जाती है।

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  • जीवन में शिक्षा और दीक्षा का समन्वय अनिवार्य है। उच्च शिक्षा उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है
  • दीक्षा आपको जीवन मूल्यों का आधार प्रदान करती है। रावण प्रकांड पंडित था पर उसमें दीक्षा का अभाव था
  • जिस कारण उसका अंत हो गया। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मनुष्य के भीतर संवेदना, प्रेम, भाईचारे की कमी लुप्तप्राय दीक्षा का परिणाम है।
  • लेकिन पहले यह समझिए कि दीक्षा क्या है

‘द’ का अर्थ दमन अर्थात इन्द्रिय निग्रह, ‘ई’ का अर्थ ईश्वर की उपासना, ‘क्ष’ का अर्थ वासनाओं का क्षय और ‘आ’ का अर्थ आनंद है। स्पष्ट रूप से शिक्षा बाह्य ज्ञान है। इसे अर्जित किया जाता है पर दीक्षा अपने अंदर स्थित परमात्मा के दर्शन कर लेना है। अन्तःकरण में जैसे-जैसे दिव्य चेतना का प्रकाश उभरता है, आप ब्रह्म के साथ तारतम्य स्थापित करना शुरू करते है। मूलतः हम सबमें परमात्मा की छवि है, क्योंकि हम सब में ‘अहं ब्रह्मास्मि’ का नाद गुंजित है।

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