रावण ने सीता का नही बल्कि इस कन्या का किया था हरण

रावण ने सीता का नही बल्कि इस कन्या का किया था हरण

भगवान राम आश्रम से बाहर चले गये

डेस्क-वेदवती नाम की एक कन्या थी जो भगवान विष्णु की तपस्या कर रही थी। रावण जबरन उसको अपनी पत्नी बनाना चाहता था। वेदवती ने योग क्रिया द्वारा अपने शरीर को भस्म कर दिया और रावण को श्राप दिया मेरे ही द्वारा तेरा संहार होगा तुझे मारने के हित में अवतार हमारा होगा । अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने तन में समाहित कर लिया ।

एक दिन पंचवटी में मारीच नामक राक्षस का बध करने के लिए भगवान राम आश्रम से बाहर चले गये। सीता जी के कठोर बचन सुनके लक्ष्मण जी भी राम जी के पीछे पीछे चले गये ।तत्पश्चात् राक्षस राज रावण सीता को हर ले जाने के लिए आश्रम के समीप आया , उस समय अग्नि देव भगवान राम के अग्नि होत्र-गृह में विद्यमान थे ।अग्नि देव ने रावण की चेष्टा जान ली और असली सीता को साथ में लेकर पाताल लोक अपनी पत्नी स्वाहा के पास चले गये और सीता जी को स्वाहा की देख रेख में सौंप कर लौट आये ।

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  • अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने तन से अलग करके सीता के समान रूप वाली बना दिया।
  • पर्णशाला में सीता जी के स्थान पर उसे बिठा दिया । रावण ने उसी का अपहरण करके लंका में ला बिठाया ।
  • तदन्तर रावण के मारे जाने पर अग्नि परीक्षा के समय उसी वेदवती ने अग्नि में प्रवेश किया।
  • उस समय अग्नि देव ने स्वाहा के समीप सुरक्षित जनकनंदनी सीतारूपा लक्ष्मी को लाकर पुन: श्री राम जी को सौंप दिया|
  • वेदवती रूपी छाया सीता के अपने तन में समाहित कर लिया।

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