किस लिए की जाती है श्राद्ध पूजा जानिए

किस लिए की जाती है श्राद्ध पूजा जानिए

मृत्यु के बाद उसकी आत्मा अगले शरीर में प्रवेश करने से पहले भटकती रहती है

डेस्क-हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इंसान की मृत्यु के बाद भी उसकी आत्मा कभी नहीं मरती। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भागवद गीता में अर्जुन से यह कहा था कि इंसान का शरीर भले ही मर जाए, लेकिन उसकी आत्मा अजर-अमर रहती है। वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न शरीरों का इस्तेमाल करती है।

किंतु एक विशेष शरीर को छोड़ने के बाद उसका उसे कोई वास्ता नहीं रहता। ना ही उस शरीर में रहते हुए उसने जितने भी लोगों से संबंध बनाया, उनसे कोई सरोकार रहता है। तभी श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अर्जुन को अपने पुत्र से मिलने के लिए स्वर्ग लोक भेजा था। लेकिन अर्जुन को अचंभा तब हुआ जब अभिमन्यु ने अपने पिता को पहचानने से साफ इंकार कर दिया। तब राजकुमार अर्जुन को श्रीकृष्ण की बताई हुई बात का सार समझ में आया।

बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने करवाया फोटो शूट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा खाता खोलने के लिए आधार अनिवार्य नहीं और भी इन चीजो से हटा आधार

  • इसी पौराणिक कथा के आधार पर आज भी हिन्दू अनुयायियों के बीच यह मान्यता है
  • कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा अगले शरीर में प्रवेश करने से पहले भटकती रहती है।
  • लेकिन यह विचरण वह समाप्त कर दे, उसे मोक्ष की प्राति हो इसके लिए हिन्दू धर्म में पितृ पूजा करने का विधान बना हुआ है।

यह एक खास प्रकार की पूजा है जिसमें आत्मा की शांति के लिए पाठ किया जाता है। लेकिन इस पूजा को करने के पीछे वास्तविक कारण क्या है, यानी श्राद्ध पूजा का सिद्धांत क्या है पहले यह समझने की आवश्यकता है। दरअसल हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक आत्मा को उसके जीवन के आधार पर स्वर्ग या फिर नर्क में भेजा जाता है। यदि उसने जीवन में अच्छे कर्म किए तो उसे स्वर्ग मिलेगा |

Asia Cup 2018 कुलदीप यादव से कहा धोनी ने ऐसा क्या कहा की देखने लगे रोहित शर्मा देखिए विडियो

मन्दिर में भगवान के सामने पैसे फेंकना अपराध है नही

  • लेकिन बुरे कर्म करने वाली आत्मा को नर्क का रास्ता दिखाया जाता है।
  • परन्तु इस फैसले तक पहुंचने से पहले ही आत्मा कई जगहों पर भटकती रहती है।
  • कहते हैं कर्मों के आधार पर आत्मा को देवयोनि या फिर मनुष्य योनि प्राप्त होती है।
  • अच्छे कर्म कर मोक्ष को प्राप्त होने वाली आत्मा देवयोनि को प्राप्त होती है
  • लेकिन वहीं दूसरी ओर अभी भी अपनी इच्छाओं के घेरे में फंसी हुई आत्मा मनुष्य योनि में फिर से जन्म लेने को मजबूर हो जाती है।

Share this story