मरने से पहले रावण बना था लक्ष्मण का गुरु बताई थी ये बाते

मरने से पहले रावण बना था लक्ष्मण का गुरु बताई थी ये बाते

रावण धराशायी होकर रणभूमि में गिर पडा

डेस्क-श्रीराम को जैसे ही विभीषण ने बताया कि रावण कि नाभि में अम्रत है और उसी के कारण रावण अपराजेय है। तो प्रभु राम ने एक बाण छोडकर रावण की नाभि का अम्रत सुखा दिया और अगले ही बाण में रावण धराशायी होकर रणभूमि में गिर पडा।

यह देखते ही सम्पूर्ण वानर दल में खुशी की लहर दौड पडी रावण के गिरने के साथ ही युद्ध समाप्त हो गया था स्वर्ग से देवता भी पुष्प वर्षा करने लगे और पूरा वातावरण हर्ष से भर गया था। इसी प्रसन्नता के वातावरण के बीच भगवान राम ने लक्ष्मण से बोले |

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  • भ्राता लक्ष्मण सम्पूर्ण विश्व का शासक परम शक्तिशाली, रावण आज रणभूमि में पडा अपनी म्रत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है।
  • रावण एक प्रराक्रमी योद्धा ही नहीं अपितु एक परम विद्वान भी था।
  • ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर उसने वेदों, नीति-शास्त्र और राजनीति का गहन अध्ययन किया है।
  • इस बहुमुखी प्रतिभा और वीरता से ही तो उसने अपना राज्य प्रथ्वी से इन्द्रलोक तक विस्तार कर लिया था।

वास्तव में रावण का जीवन अनुभवों का भंडार है। मैं चाहता हुं कि तुम उसके देहावसान (म्रत्यु) होने से पहले ही शीघ्र ही उसके पास जाओ और उससे कुछ सीख/ज्ञान लेकर आओ, जो भविष्य में तुम्हारे बहुत काम आयेगी। कहीं ऐसा ना हो कि उसके अनुभवों का भंडार भी उसी के साथ हमेशा के लिये विलुप्त हो जाय।

प्रसन्नता के इस अवसर पर राम के मुंह से यह बातें सुनकर लक्ष्मण को आश्चर्य हुआ कि भैया राम ये क्या कह रहे हैं। यह राक्षसों का राजा रावण, माता सीता के अपहरण जैसा निन्दनीय कर्म करने वाला यह रावण, और अब हारकर रणभूमि में पडा यह रावण भी क्या शिक्षा दे सकता है। जिसने जीवने में कभी कोई अच्छा कर्म नहीं किया हो, वो रावण क्या ज्ञान देगा।

लक्ष्मण युद्ध भूमि में घायल पडे रावण के पास गये

लेकिन भैया राम कह रहे हैं, तो फ़िर तो जाना ही पडेगा। देखें क्या बताता है। लक्ष्मण अनबने मन से युद्ध भूमि में घायल पडे रावण के पास गये और उसके सिर के निकट जा कर खडे हो गये और बोले, हे रावण भैया राम ने कहा है कि मुझे तुमसे कुछ शिक्षा लेनी चाहिये। जल्दी बताओ, कि तुम मुझे क्या शिक्षा देने चाहते हो। रावण ने अधबुझी आंखें खोल कर लक्ष्मण की ओर देखा, और एक व्यंग भरी मुस्कान देकर अपना मुंह दूसरी ओर मोड लिया। लक्ष्मण पुन: बोले, अरे रावण जल्दी बोलो, क्या तुम कुछ कहना चाहते हो रावण कुछ नहीं बोला और नेत्र बंद करके पडा रहा। लक्ष्मण को गुस्सा आ गया और वो अपने पांव पटकते हुए लौट आये और श्री राम से बोले, भैया वो अभिमानी रावण तो कुछ भी नहीं बोल रहा, वरन मुझे देखकर उसने अपना मुंह दूसरी ओर मोड लिया।

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