कलश स्थापना की विधि जानिए

कलश स्थापना की विधि जानिए

हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है

डेस्क-आज से नवरात्र शुरू हो गए हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा अलग-अलग रूप में आपके घर में विराजमान रहती हैं। नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां भगवती के एक स्वरूप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कूष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम प्रतिपदा को प्रात: काल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके मां भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।

कलश/घट स्थापन विधि
घट स्थापना शुभ मुहूर्त

देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा अर्चना करते समय सर्वप्रथन कलश/घट की स्थापना की जाती है। घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आह्वान कर उसे कार्यरत करना। कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णु जी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।

सामग्री
• जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र
• जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी
• पात्र में बोने के लिए जौ
• घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (कलश सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का छेदरहित और सुदृढ़ उत्तम माना गया है। वह मंगलकार्यों में मंगलकारी होता है)
• कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
• मौली
• इत्र
• साबूत सुपारी
• दूर्वा
• कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के
• पंचरत्न
• अशोक या आम के पत्ते
• कलश ढकने के लिए ढक्कन
• ढक्कन में रखने के लिए साबूत चावल
• पानी वाला नारियल
• नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा
• फूल माला

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