यूरिक एसिड से बचने के लिए करे ये उपाए
आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिन एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया
डेस्क-यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिन एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिन एसिड में बदलने की प्रक्रिया को यूरिन एसिड कहते हैं।
- भोजन पाचन प्रक्रिया दौरान प्रोटीन से ऐमिनो एसिड और प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडो से यूरिक एसिड बनता है।
- यूरिक एसिड का मतलब है, जो भोजन खाया जाता है, उसमें प्यूरीन पोष्टिकता संतुलन की कमी से रक्त में असंतुलन प्रक्रिया है।
- जिससे Purines टूटने से यूरिक एसिड बनता है।
- यूरिक ऐसिड एक तरह से हड्डियों जोड़ों अंगों के बीच जमने वाली एसिड़ क्रिस्टल है।
- जोकि चलने फिरने में चुभन जकड़न से दर्द होता है। जिसे यूरिक एसिड कहते हैं।
शोध में यूरिक एसिड को शरीर में जमने वाले कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन सी-5, एच-4, एन-4, ओ-3 का समायोजक माना जाता है। यूरिक एसिड समय पर नियत्रंण करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड बढ़ने पर समय पर उपचार ना करने से जोड़ों गाठों का दर्द, गठिया रोग, किड़नी स्टोन, डायबिटीज, रक्त विकार होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। Uric Acid Control करना अति जरूरी है।
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- पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
- पैर एडियों में दर्द रहना।
- गांठों में सूजन
- जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
- एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामन्य हो जाना।
- पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
- शर्करा लेबल बढ़ना।
- इस तरह की समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।